भारतीय अर्थव्यवस्था
दोपहिया वाहनों पर लेवी को लेकर मतभेद
- 10 Dec 2018
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चर्चा में क्यों?
ग्रीन ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों को सब्सिडी देने हेतु दोपहिया वाहनों पर ‘फीबेट’ (एक तरह का शुल्क या छूट) लगाने के नीति आयोग के प्रस्ताव पर भारी उद्योग मंत्रालय और नीति आयोग के बीच मतभेद उभर कर सामने आए हैं।
प्रमुख बिंदु
- मंत्रालय ने नीति आयोग के दोपहिया वाहन जैसे बड़े पैमाने पर उपयोग होने वाले परिवहन माध्यम पर ‘शुल्क’ लगाने को लेकर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि इससे न सिर्फ कीमतों में वृद्धि होने की आशंका है, बल्कि इस कर के संग्रह से जुड़ी व्यावहारिक चुनौतियाँ भी उत्पन्न होंगी।
- नीति आयोग द्वारा शुल्क लगाए जाने का प्रस्ताव किया गया है। आयोग का कहना है कि वह शुल्क के माध्यम से पूंजी एकत्र करेगा और इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये सब्सिडी देने में किया जाएगा।
- इलेक्ट्रिक वाहनों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लागू है, जबकि दहन इंजन (पेट्रोल-डीज़ल) वाले वाहनों पर 28 प्रतिशत। इस लिहाज़ से पहले ही 16 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।
- भारी उद्योग मंत्रालय देश में वाहन क्षेत्र के विकास के लिये योजनाओं और नीतियों को लागू करने का काम करता है।
- देश में हर साल करीब दो करोड़ दोपहिया वाहन बेचे जाते हैं। नीति आयोग की गणना के हिसाब से यदि प्रति वाहन 500 रुपए का भी शुल्क लगाया जाता है, तो करीब 10,000 करोड़ रुपए एकत्र हो सकते हैं।
- हालाँकि दिक्कत यह है कि इसे एकत्र कौन करेगा, क्योंकि अब सभी उपकर जीएसटी के अंदर सम्मिलित हो गए हैं।
- भारी उद्योग मंत्रालय भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र के विकास के लिये योजनाओं और नीतियों को लागू करता है। हर साल लगभग 2 करोड़ दोपहिया वाहन बेचे जाते हैं।
फीबेट क्या है?
- फीबेट एक तरह की शुल्क और छूट प्रणाली है, जिसमें ऊर्जा-दक्ष या पर्यावरण अनुकूल गतिविधियों को पुरस्कृत किया जाता है, जबकि इस तरह की गतिविधियों का पालन करने में नाकाम रहने पर दंडित किया जाता है।
- इस साल सितंबर में आयोजित भारत के पहले वैश्विक गतिशीलता शिखर सम्मेलन में नीति आयोग द्वारा समर्थित दो रिपोर्टों में इसे शामिल किया गया था।
- ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया मोबिलिटी' नामक रिपोर्ट में ग्रीन मोबिलिटी प्रौद्योगिकियों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिये फीबेट सिस्टम का उपयोग करने और फीबेट सिस्टम के साथ ग्रीन मोबिलिटी प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन देने के लिये एक विनियमन प्रक्रिया विकसित करने का सुझाव दिया गया था।
स्रोत : द हिंदू, बिज़नेस लाइन