नीति आयोग का सुझाव - अनुसंधानों पर हो संस्थानों का विशेष ध्यान | 04 May 2017

संदर्भ
यह सुनिश्चित करने के लिये कि अनुसंधानों में निवेश करने से ‘नवाचार और विकास’ को नया आधार मिलेगा, भारत के नीति आयोग (National Institution for the Transformation of India -NITI) ने यह अनुशंसा की है कि विश्व स्तरीय संस्थानों के अध्यापकों को अध्यापन से अधिक शोध कार्यों को वरीयता देनी होगी। इसके अंतर्गत आवश्यकता होने पर अध्यापकों को शोध कार्यों हेतु अध्यापन में कमी करने की भी अनुमति दे दी गई है।

प्रमुख बिंदु

  • इन विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों को विदेश से भी अपने अनुसंधान स्टाफ को नियुक्त करने की अनुमति दी गई है। इसके अतिरिक्त इन विश्वविद्यालयों को विभिन्न अनुसंधान प्रोजेक्टों से प्रतियोगिता करने के लिये भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • ये विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय सरकार की योजना की रूपरेखा का एक भाग है जिसके तहत 10 सार्वजानिक और 10 निजी विश्वविद्यालय के लिये केंद्र सरकार द्वारा आवंटित धन में बढ़ोतरी की जाएगी तथा उन्हें ऐसे संस्थान में बदल दिया जाएगा जिससे वे विश्व के प्रमुख संस्थानों की श्रेणी में शामिल हो सकें।
  • यह अनुमान है कि इस वर्ष के अंत तक इन संस्थानों के नामों को सार्वजनिक कर दिया जाएगा।
  • नीति आयोग के ये सुझाव उसके तीन वर्षीय दृष्टि आलेख से ही लिये गए हैं। इस तीन वर्षीय दृष्टि आलेख में वर्ष 2020 तक मंत्रालयों(रेलवे, पर्यावरण आदि) द्वारा प्राप्त किये जाने वाले लक्ष्यों की रुपरेखा तैयार की गई थी ।
  • विश्वविद्यालयों को विभिन्न मानकों (जैसे-शिक्षा, अनुसंधान तथा निजी क्षेत्र से प्राप्त धनराशि) के आधार पर श्रेणीबद्ध किया जाएगा। 
  • इस मॉडल के अंतर्गत अन्य विश्वविद्यालयों को सम्मिलित करने के लिये धीरे- धीरे इस मॉडल का विस्तार किया जाएगा।
  • नीति आयोग ने नई संस्था ‘राष्ट्रीय विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नवाचार फाउंडेशन’ (National Science, Technology and Innovation Foundation) की आवश्यकता पर भी बल दिया है जिसके अध्यक्ष एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक होंगे।
  • यह संस्था विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, मंत्रालयों, सरकारी और निजी क्षेत्र के निकायों के साथ सहयोग करेगा, राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श करेगी और उनमें आवश्यक हस्तक्षेप का भी सुझाव देगी ।
  • ऐसी संस्था प्रत्येक छह माह में प्रोजेक्टों की प्रगति की समीक्षा करेगी तथा उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये यह उनमें आवश्यक संशोधन भी करेगी।
  • यह संस्था मंत्रालयों और विभागों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित सभी मौजूदा योजनाओं की समीक्षा करेगी। इसके पास समन्वयक मंत्रालय, उनके लक्ष्यों और उपलब्ध धन के विषय में सूचना होगी।
  • इसका मुख्य उद्देश्य प्रयासों के दोहराव,स्वीकृति के समय में कमी करना,जवाबदेहिता में वृद्धि और संस्थाओं और उनके कार्यों के मध्य समन्वय स्थापित करना होगा।
  • इस संस्था को अधिकाधिक सार्वजनिक - निजी भागीदारी के लिये भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रोजेक्ट, अवसंरचना के प्रोजेक्टों से अलग होंगे क्योंकि अवसंरचना के प्रोजेक्ट जोखिम पूर्ण होते हैं तथा उन्हें पूरा होने में अधिक समय लगता है।
  • नीति आयोग को इन प्रोजेक्टों के क्रियान्वयन के लिये स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने चाहियें तथा सरकारी वित्तपोषण के लिये एक स्पष्ट शासन व्यवस्था का विकास करना चाहिये।
  • नीति आयोग ने अनुसंधान की प्राथमिकताओं में जल-प्रबंधन, कृषि, ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वास्थ्य, कनेक्टिविटी और सुरक्षा को शामिल किया है।