शासन व्यवस्था
सुप्रीम कोर्ट का आदेश : मणिपुर मामलों की जाँच में सक्रिय रूप से शामिल हो NHRC
- 03 Jul 2018
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चर्चा में क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मणिपुर में बड़ी संख्या में सेना और पुलिस द्वारा कथित कानूनी रूप से अनुचित (extra-judicial) हत्याओं और फर्जी मुठभेड़ों की जाँच में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को "सक्रिय रूप से शामिल" होना चाहिये। जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस यू.यू. ललित की बेंच ने इन मामलों की जाँच कर रहे सीबीआई के विशेष जाँच दल से यह भी कहा कि वह एनएचआरसी के साथ चार मामलों में तैयार की गई अंतिम रिपोर्ट के ड्राफ्ट समेत जानकारी को साझा करें।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- शीर्ष अदालत ने कहा कि एनएचआरसी के पास किसी मामले की स्वयं जाँच करने की शक्ति है। हमारा अंतिम आदेश इंगित करता है कि एनएचआरसी को इसमें सक्रिय होना चाहिये।
- न्यायालय ने दो चीजों पर ध्यान केंद्रित किया है| पहला, यह कि एनएचआरसी को जाँच में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिये तथा दूसरा, अंतिम चार रिपोर्ट दाखिल करने का मुद्दा।
- न्यायालय ने कहा कि एसआईटी को एनएचआरसी के साथ मसौदे की अंतिम रिपोर्ट की जानकारी साझा करनी चाहिये। एनएचआरसी को स्वतंत्र रूप से अपने दिमाग का प्रयोग करने देना चाहिये|
अधिकारिता संबंधी मुद्दे
- सीबीआई की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने कहा कि एनएचआरसी हमारे ऊपर एक पर्यवेक्षी प्राधिकारी की तरह नहीं होना चाहिये। उन्होंने अदालत से पूछा, क्या इन चार अंतिम रिपोर्टों की जाँच की जा रही है, जिन्हें अब उनके साथ साझा किया जा सकता है या किस स्तर पर इसे साझा किया जा सकता है?
- ध्यातव्य है कि शीर्ष अदालत मणिपुर में कानूनी रूप से अनुचित हत्याओं के 1,528 मामलों की जाँच के लिये दायर पीआईएल पर सुनवाई कर रही है| न्यायालय ने पिछले साल 14 जुलाई को एक एसआईटी गठित की थी और एफआईआर दर्ज कराने तथा मामलों की जाँच के आदेश दिये थे।
जाँच की प्रगति धीमी
- इस बीच, बेंच ने कहा कि न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई एसआईटी की छः स्टेटस रिपोर्ट एनएचआरसी के वकील को सौंपी जाएंगी।
- न्यायालय ने माना कि जाँच की प्रगति बहुत धीमी है| बेंच ने यह भी पाया कि मणिपुर सरकार ने एसआईटी द्वारा मांगे गए दस्तावेज़ नहीं सौंपे हैं।