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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

गंगा के किनारे कचरा फेंकने पर प्रतिबंध

  • 14 Jul 2017
  • 3 min read

संदर्भ 
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( NGT ) ने 1985 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गंगा नदी के किनारे पाँच सौ मीटर के दायरे में कूड़ा-कचरा फेकने पर रोक लगाते हुए हरिद्वार से उन्नाव तक गंगा नदी के सौ मीटर के दायरे में किसी भी तरह के विकास कार्यों पर रोक लगा दी है।  इसके उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगाया जायेगा। 

प्रमुख बिंदु 

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने गंगा नदी के किनारे पाँच सौ मीटर के दायरे में कूड़ा-कचरा फेकने पर रोक लगाते हुए हरिद्वार से उन्नाव तक गंगा नदी के सौ मीटर के दायरे को  ‘नो डेवलपमेंट ज़ोन’ घोषित किया है।  अब नदी में कचरा फेंकने वालों को पचास हज़ार रुपए का पर्यावरण जुर्माना भरना पड़ेगा। 
  • एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार एवं उत्तराखंड सरकार को गंगा एवं इसकी सहायक नदियों के घाटों पर धार्मिक कार्यों को करने संबंधी दिशा-निर्देश बनाने का निर्देश दिया है। 
  • अधिकरण ने आईआईटी के प्रोफेसरों एवं उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों को मिलाकर जल संसाधन मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक पर्यवेक्षी समिति की भी नियुक्ति की है, जो इसके निर्देशों के क्रियान्वयन की निगरानी करेंगे। 

राष्ट्रीय हरित अधिकरण

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना दिनांक 18 अक्टूबर 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के तहत पर्यावरण बचाव, वन संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों सहित पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन, क्षतिग्रस्त व्यक्ति अथवा संपत्ति के लिये अनुतोष और क्षतिपूर्ति प्रदान करना एवं इससे जुडे़ हुए मामलों का प्रभावशाली और तीव्र गति से निपटारा करने के लिये की गई है। 
  • यह एक विशिष्ट निकाय है, जो पर्यावरण विवादों एवं बहु-अनुशासनिक मामलों को  सुविज्ञता से संचालित करने के लिये सभी आवश्यक तंत्रों से सुसज्जित है। 
  • अधिकरण का उद्देश्य पर्यावरण के मामलों को द्रुत गति से निपटाना तथा उच्च न्यायालयों के मुकदमों के भार को कम करने में मदद करना है।
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