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जैव विविधता और पर्यावरण

RO सिस्टम के संबंध में NGT का निर्देश

  • 07 Nov 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये -

NGT

मेन्स के लिये -

भारत में जल प्रदूषण संबंधी विश्लेषण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को RO (Reverse Osmosis) सिस्टम के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित अधिसूचना जारी करने के लिये अल्टिमेटम जारी किया है।

प्रमुख बिंदु-

  • NGT ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को ऐसे क्षेत्रों में जहाँ पानी खारा नहीं है, RO सिस्टम के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है।
  • निर्देश के अनुसार जिन जगहों पर पानी में टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स (Total Dessolved Solids- TDS) की मात्रा 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, वहाँ RO सिस्टम के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया जाए।
  • सरकार की प्रस्तावित नीति में इसका प्रावधान होना चाहिये कि RO सिस्टम में व्यर्थ होने वाले पानी के 60% से अधिक का पुनः प्रयोग किया जा सके।
  • NGT के अनुसार अगर टीडीएस का स्तर 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, तो आरओ सिस्टम उपयोगी नहीं होगा, बल्कि पानी में मौजूद महत्वपूर्ण खनिजों की हानि के साथ पानी की बर्बादी भी होगी।

आरओ (Reverse Osmosis)-

रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) एक जल उपचार प्रक्रिया है जो पानी से दूषित पदार्थों को दबाव (Pressure) का उपयोग करके अर्धचालक झिल्ली (Semipermeable Membrane) के माध्यम से बाहर निकालती है।

WHO का पेयजल संबंधी मानक -

डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के अनुसार 300 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे के टीडीएस स्तर वाले जल को उत्कृष्ट, 900 मिलीग्राम प्रति लीटर टीडीएस स्तर वाले जल को खराब और 1200 मिलीग्राम से ऊपर के टीडीएस स्तर वाले जल को अस्वीकार्य माना गया है।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

  • यह भारत की पर्यावरण एवं वानिकी संबंधी नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के नियोजन, संवर्द्धन, समन्वय और निगरानी हेतु केंद्र सरकार के प्रशासनिक ढाँचे के अंतर्गत एक नोडल एजेंसी है।
  • इस मंत्रालय का मुख्य दायित्व देश की झीलों और नदियों, जैव विविधता, वनों एवं वन्यजीवों सहित प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, पशु कल्याण,आदि से संबंधित नीतियों तथा कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करना है।
  • इन नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में मंत्रालय सतत् विकास एवं जन कल्याण को बढ़ावा देने के सिद्धांतों का पालन करता है।
  • यह मंत्रालय देश में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम (SACEP), अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वत विकास केंद्र (ICIMOD) तथा पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCED) के लिये भी नोडल एजेंसी की तरह कार्य करता है।
  • इस मंत्रालय को बहुपक्षीय निकायों और क्षेत्रीय निकायों के पर्यावरण से संबंधित मामले भी सौंपे गए हैं।
  • मंत्रालय के व्यापक उद्देश्यों के अंतर्गत वनस्पतियों, जीवों, जंगलों एवं वन्यजीवों का संरक्षण और सर्वेक्षण, प्रदूषण की रोकथाम तथा नियंत्रण, पर्यावरण का संरक्षण व पशुओं का कल्याण सुनिश्चित करना शामिल है।

स्रोत-द हिंदू

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