हाल ही में केंद्र सरकार ने बैंकों तथा बीमा कंपनियों के साथ ही सूचीबद्ध संस्थानों और बड़ी असूचीबद्ध कंपनियों के लेखा परीक्षकों पर चार्टर्ड एकाउंटेंट संस्थान की निगरानी और अनुशासनात्मक शक्तियों को कम करने के लिये बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण (एनएफआरए) नियमों को अधिसूचित किया है।
प्रमुख बिंदु
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के इस नवीनतम पहल के साथ, लेखांकन पेशे के लिये नवगठित स्वतंत्र नियामक एनएफआरए लेखा परीक्षकों को अनुशासित करने और बड़ी संस्थाओं में चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता की निगरानी करने के लिये सर्वशक्तिशाली निकाय बन गई है।
ज्ञातव्य है कि केंद्र ने हाल ही में पूर्व आईएएस अधिकारी रंगाचारी श्रीधरन को एनएफआरए के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 मार्च को स्वतंत्र नियामक एनएफआरए की स्थापना को मंज़ूरी दी थी जिसमें ग़लत लेखा परीक्षकों और लेखा परीक्षा फर्मों के खिलाफ कार्य करने के लिये व्यापक शक्तियाँ निहित हैं।
क्या हैं नए नियम?
नए अधिसूचित नियमों के अनुसार, एनएफआरए में लेखांकन मानकों और लेखा परीक्षा मानकों के अनुपालन की निगरानी और लागू करने की शक्ति निहित होगी, साथ ही यह सेवा की गुणवत्ता की निगरानी करेगा और सूचीबद्ध संस्थाओं के लेखा परीक्षकों की जाँच करेगा।
इसके अतिरिक्त एनएफआरए के दायरे में वे असूचीबद्ध कंपनियाँ शामिल हैं जिनके पास पिछले वित्त वर्ष की 31 मार्च तक 500 करोड़ रुपए से कम की प्रदत्त पूंजी न हो या 1000 करोड़ रुपए से अधिक का वार्षिक कारोबार हो या जिनके पास कुल ऋण, डिबेंचर या जमा 500 करोड़ रुपए से कम न हो।
एनएफआरए बैंकों, बीमा कंपनियों, बिजली कंपनियों और उन कॉरपोरेट्स निकायों के लेखा परीक्षकों पर भी नज़र रखेगा जिनको केंद्र द्वारा इन्हें निर्दिष्ट किया गया हो।
एनएफआरए कंपनियों द्वारा नियुक्त लेखा परीक्षकों के हिसाब खाते का विवरण संभालेगा; केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के लिये लेखा और लेखा परीक्षा मानकों की सिफारिश करेगा; लेखांकन मानकों और लेखा परीक्षा मानकों के अनुपालन की निगरानी करेगा तथा उन्हें लागू करेगा।
यह प्राधिकरण ऐसे मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के साथ ही संबंधित व्यवसायों की सेवा की गुणवत्ता की देखरेख करेगा और सेवा की गुणवत्ता में सुधार के उपायों हेतु सुझाव देगा।
नवीनतम नियमों में कहा गया है कि एनएफआरए लेखा परीक्षा मानकों और लेखा परीक्षा मानकों के अनुपालन की स्थापना और पर्यवेक्षण में स्वतंत्र लेखा परीक्षा नियामकों के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करेगा।
ये नियम एनएफआरए द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही पर विस्तृत प्रक्रिया भी प्रदान करते हैं। इसने सारांश प्रक्रिया के माध्यम से कारण बताओ नोटिस के समयबद्ध (90 दिनों की अवधि के भीतर) निपटान को अनिवार्य किया है।
कारण बताओ नोटिस के निपटान आदेश के तहत कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी बल्कि यह एक चेतावनी के रूप में होगी और लेखा परीक्षक पर ज़ुर्माना लगाने या लेखा परीक्षक की नियुक्ति से रोकने की कार्रवाई होगी।