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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ब्रह्मांड के नए नक्शे में 3 लाख से ज़्यादा आकाशगंगाएँ

  • 21 Feb 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में LOFAR (Low-Frequency Array) दूरबीन का प्रयोग करके मानचित्र पर रात में आकाश के भाग का एक नया नक्शा प्रकाशित किया गया जिसमें पूर्व अज्ञात सैकड़ों आकाशगंगाओं के चित्र दिखाए गए हैं। ये मानचित्र प्रकाशीय उपकरण द्वारा नहीं देखे जा सकते हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • वैज्ञानिकों ने इस अब तक ज्ञात इस ब्रह्मांड का आकार बहुत बड़ा होने की जानकारी दी है। जिसे उन्होंने ब्रह्मांड में एक ‘नई खिड़की’ (New Window) की संज्ञा दी है।
  • अभूतपूर्व अंतरिक्ष सर्वेक्षण करने वाली अंतर्राष्ट्रीय टीम ने बताया है कि इस खोज द्वारा ब्रह्मांड के कुछ गूढ़ रहस्यों, जैसे - ब्लैक होल की भौतिकी और आकाशगंगाओं के समूह कैसे विकसित हुए, पर नई जानकारी प्राप्त हुई है।
  • 18 देशों के 200 से अधिक खगोलविदों ने अपने इस अध्ययन में उत्तरी गोलार्द्ध के ऊपर आकाश के एक भाग को देखने के लिये ‘रेडियो खगोल विज्ञान’ का उपयोग किया, और 3,00,000 ऐसे अनदेखे प्रकाश स्रोतों की पहचान की जिन्हें पहले नहीं प्राप्त किया जा सका था।
  • खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी पत्रिका (Journal Astronomy & Astrophysics) में प्रकाशित LOFAR दूरबीन के अवलोकन द्वारा बनाए गए इस नक्शे में केवल दो प्रतिशत आँकड़े प्राप्त किये जा सके हैं, जबकि दूरबीन में दस मिलियन डीवीडी की क्षमता के बराबर आँकड़े शामिल हैं।

प्राचीन विकिरण (Ancient Radiation)

  • वैज्ञानिकों की टीम ने नीदरलैंड्स में लो-फ्रिक्वेंसी एरे (LOFAR) टेलीस्कोप से उन प्राचीन विकिरणों का पता लगाया जब आकाशगंगायें एक साथ जुड़ी थी जो पहले कभी प्राप्त नहीं हुईं। ये विकिरण लाखों प्रकाश वर्ष तक विस्तार कर सकते हैं।
  • वैज्ञानिको के अनुसार, रेडियो विकिरण द्वारा उन विरल माध्यमों से विकिरण का पता लगाया जा सकता है जो आकाशगंगाओं के बीच मौजूद होते हैं।
  • नए प्रकाश स्रोतों की खोज से वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष की सबसे गूढ़ घटनाओं में से एक के व्यवहार को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सकती है।
  • ब्लैक होल भी जब अन्य उच्च द्रव्यमान वाली वस्तुओं, जैसे कि तारे और गैस के बादलों को खुद में समाहित करते हैं तो विकिरण का उत्सर्जन करते हैं।
  • नई अवलोकन तकनीक खगोलविदों को आने वाले समय में ब्लैक होल की तुलना करने में सहयोग करेगी कि कैसे ये बनते हैं या विकसित होते हैं क्योंकि इस तकनीक से बहुत पुराने इलेक्ट्रॉन एवं विकिरणों को देखा जा सकता है।
  • वैज्ञानिकों ने हबल टेलीस्कोप द्वारा ब्रह्मांड में 100 बिलियन से अधिक आकाशगंगाएँ होने के मानचित्र दिये है हालाँकि कई पारंपरिक पहचान तकनीकों का उपयोग करके पाया गया कि आकशगंगा के ये चित्र बहुत पुराने और दूर के हैं।

LOFAR टेलीस्कोप

  • लो-फ्रिक्वेंसी एरे या LOFAR एक बड़ा रेडियो टेलीस्कोप नेटवर्क है जो मुख्य रूप से नीदरलैंड्स में स्थित है।
  • यह टेलीस्कोप सात देशों के रेडियो एंटीना के नेटवर्क से बना है, जो 1,300 किलोमीटर के व्यास वाले सैटेलाइट डिश (Satellite Dish) के बराबर है।

कृष्ण-छिद्र Black Hole

  • कृष्ण-छिद्र अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं जहाँ गुरुत्व बल इतना अधिक होता है कि यहाँ से प्रकाश का पारगमन नहीं होता।
  • चूँकि इनसे प्रकाश बाहर नहीं निकल सकता, अतः हमें कृष्ण छिद्र दिखाई नहीं देते अर्थात वे अदृश्य होते हैं। हालाँकि विशेष उपकरणों से युक्त अंतरिक्ष टेलीस्कोप की मदद से कृष्ण-छिद्रों की पहचान की जा सकती है।
  • ये उपकरण यह जानकारी प्राप्त करने में भी सक्षम हैं कि कृष्ण-छिद्रों के निकट स्थित तारे अन्य प्रकार के तारों से किस प्रकार भिन्न व्यवहार करते हैं।

रेडियो खगोल विज्ञान (Radio Astronomy)

  • यह खगोल विज्ञान का एक उप-क्षेत्र है जो रेडियो फ्रिक्वेंसी पर आकाशीय वस्तुओं का अध्ययन करता है। 1932 में एक खगोलीय वस्तु से रेडियो तरंगों की पहली बार पहचान की गई थी।

स्रोत – द हिंदू

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