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भारतीय अर्थव्यवस्था

खुदरा भुगतान प्रणाली के लिये नई अम्ब्रेला इकाई

  • 17 Feb 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

खुदरा भुगतान प्रणाली के लिये नई अम्ब्रेला इकाई, RBI

मेन्स के लिये:

खुदरा भुगतान प्रणाली की समस्याएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 500 करोड़ रुपए की न्यूनतम भुगतान पूंजी के साथ खुदरा भुगतान प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करने वाली अखिल भारतीय नई अम्ब्रेला इकाई (New Umbrella Entity- NUE) स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • प्रस्तावित इकाई विशेष रूप से खुदरा क्षेत्र में नई भुगतान प्रणालियों की स्थापना, प्रबंधन और संचालन करेगी।
  • ऐसी इकाई कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत भारत में निगमित कंपनी होगी।
  • यह एटीएम, व्हाइट लेबल PoS, आधार-आधारित भुगतान और प्रेषण सेवाएँ, भुगतान विधियों, मानकों और प्रौद्योगिकियों को विकसित करने, संबंधित मुद्दों पर निगरानी रखने तक सीमित नहीं है बल्कि इसके अलावा अन्य समस्याओं को भी ध्यान में रखेगी।
  • RBI ने निदेशकों की नियुक्ति को मंज़ूरी देने के अधिकार के साथ ही NUE के बोर्ड में एक सदस्य को नामित करने का अधिकार बरकरार रखा है।
  • NUE को अपने बोर्ड में नियुक्त किये जाने वाले व्यक्तियों के लिये उपयुक्त और उचित मानदंडों के साथ-साथ कॉर्पोरेट प्रशासन के मानदंडों के अनुरूप होना चाहिये।

इकाई के कार्य:

  • समाशोधन (Clearing) और निपटान प्रणाली संचालित करना।
  • निपटान, ऋण, तरलता और परिचालन जैसे प्रासंगिक जोखिमों की पहचान एवं प्रबंधन और सिस्टम की अखंडता को बनाए रखना तथा खुदरा भुगतान प्रणाली के विकास की निगरानी करना।
  • इसके अतिरिक्त इसका कार्य आर्थिक धोखाधड़ी (Fraud) से बचने के लिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुदरा भुगतान प्रणाली के विकास और संबंधित मुद्दों की निगरानी करना है जो कि सामान्य रूप से प्रणाली और अर्थव्यवस्था को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

इस संदर्भ में RBI की शर्तें

  • NUE की स्थापना के लिये आवेदन में एक विस्तृत व्यवसाय योजना होनी चाहिये जिसमें भुगतान प्रणाली को शामिल करने का प्रस्ताव हो या भुगतान दस्तावेज़ पारिस्थितिकी तंत्र में अपने अनुभव को विधिवत स्थापित करने के लिये अन्य दस्तावेज़ों के साथ संचालित हो।
  • एक अम्ब्रेला इकाई के रूप में अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने के संदर्भ में एक प्रस्तावित संगठनात्मक रणनीति भी व्यवसाय योजना में दी जानी चाहिये।
  • RBI के अनुसार, किसी भी प्रवर्तक या प्रवर्तक समूह को इकाई की पूंजी में 40 प्रतिशत से अधिक निवेश की अनुमति नहीं है।
  • प्रवर्तकों को संस्था की स्थापना के लिये आवेदन करते समय कम-से-कम 10 प्रतिशत (या कम-से-कम 50 करोड़ रुपए) का पूंजी योगदान करना चाहिये।
  • व्यवसाय शुरू होने के 5 साल बाद प्रमोटर या प्रमोटर समूह की हिस्सेदारी कम से कम 25 प्रतिशत तक कम होनी चाहिये।
  • RBI के अनुसार, 300 करोड़ रुपए का न्यूनतम नेटवर्थ हमेशा बना रहना चाहिये।
  • भुगतान प्रणाली ऑपरेटर (Payment System Operator- PSO) या भुगतान सेवा प्रदाता (Payment Service Provider- PSP) या प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता (Technology Service Provider- TSP) के रूप में भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में 3 वर्ष के अनुभव के साथ NUE के लिये प्रमोटर या प्रमोटर समूह के रूप में आवेदन हेतु योग्य इकाई 'निवासियों द्वारा स्वामित्व और नियंत्रित' होनी चाहिये।
  • शेयरधारिता पैटर्न में विविधता होनी चाहिये तथा NUE में भुगतान की गई पूंजी का 25 प्रतिशत से अधिक रखने वाली किसी भी इकाई को प्रवर्तक माना जाएगा।

आगे की राह

  • खुदरा भुगतान प्रणाली से संबंधित समस्याओं से निपटने के लिये बेहतर एवं परिणामोन्मुख रणनीतियों की आवश्यकता है।
  • नई नीतियों एवं वर्तमान नीतियों का सफल क्रियान्वयन अत्यंत आवश्यक है अन्यथा नई नीतियों के निर्माण का कोई महत्त्व नहीं रह जाएगा।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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