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भारतीय अर्थव्यवस्था

भुगतान प्रणालियों हेतु न्यू अम्ब्रेला एंटिटी

  • 10 Mar 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

निजी कंपनियों ने भुगतान प्रणालियों हेतु ‘न्यू अम्ब्रेला एंटिटीज़’ (New Umbrella Entities- NUEs) की स्थापना में रुचि दिखाई है। उल्लेखनीय है कि न्यू अम्ब्रेला एंटिटी की अवधारणा भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) द्वारा प्रस्तुत की गई है।

  • इसका उद्देश्य भारत के मौजूदा राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India- NPCI) हेतु एक वैकल्पिक तंत्र विकसित करना है।

प्रमुख बिंदु:

 ‘न्यू अम्ब्रेला एंटिटी’ (NUEs): 

  • NUEs एक गैर-लाभकारी इकाई होगी जो स्थापित नई भुगतान प्रणालियों का प्रबंधन और संचालन करेगी, विशेष रूप से खुदरा क्षेत्र में जिसमें एटीएम (ATMs), व्हाइट-लेबल पीओएस (white-label PoS),  आधार-आधारित भुगतान (Aadhaar-Based Payments) और प्रेषण सेवाएंँ (Remittance Services) आदि शामिल हैं। 
  • NUEs के तहत निर्धारित कार्य:  
    • NUEs द्वारा नई भुगतान विधियों, मानकों और प्रौद्योगिकियों को विकसित  किया जाएगा।
    • ये समाशोधन एवं निपटान तंत्रों ( Clearing and Settlement Systems) का संचालन  करेंगे, संबंधित जोखिम जैसे- निपटान, क्रेडिट, तरलता और संचालन आदि की पहचान कर उनका  प्रबंधन करेंगे तथा तंत्र में ईमानदारी बनाए रखने में सहायक होंगे।
    • ये देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुदरा भुगतान प्रणाली के विकास तथा संबंधित मुद्दों की निगरानी करेंगी ताकि उस नुकसान और धोखाधड़ी से बचा जा सके जो सिस्टम और अर्थव्यवस्था को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।

NUEs की आवश्यकता:

  • राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) की सीमाएँ: वर्तमान में खुदरा भुगतान प्रणाली प्रदान करने हेतु  NPCI एक अम्ब्रेला एंटिटी है, जो बैंकों के स्वामित्व वाली एक गैर-लाभकारी इकाई है।
    • NPCI निपटान प्रणाली द्वारा UPI, AEPS, RuPay, Fastag, आदि का संचालन किया जाता है।
    • NPCI जो कि भारत में सभी खुदरा भुगतान प्रणालियों का प्रबंधन करने वाली एकमात्र इकाई है, में शामिल विभिन्न भुगतान माध्यमों द्वारा होने वाले  नुकसानों को इंगित किया गया है।
  • प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाना: भुगतान प्रणाली हेतु अन्य संगठनों द्वारा अम्ब्रेला एंटिटी स्थापित करने की RBI की इस योजना का उद्देश्य इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धाी  परिदृश्य का विस्तार करना है।
    • विभिन्न संगठनों द्वारा NUE स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य डिज़िटल भुगतान क्षेत्र (Digital Payments Sector) में बड़ी हिस्सेदारी प्राप्त करना है 

NUEs से संबंधित ढाँचा:

  • निवासियों का स्वामित्व तथा नियंत्रण : भारत में रह रहे नागरिकों के स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियाँ ही NUE के प्रमोटर या प्रमोटर ग्रुप के रूप में आवेदन हेतु पात्र होंगी। इसके अलावा इन्हें भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में 3 वर्ष  का अनुभव भी होना चाहिये।
    • शेयर होल्डिंग के तरीकों में विविधता होनी चाहिये। NUE द्वारा भुगतान की गई पूंजी का 25% से अधिक हिस्सा रखने वाली किसी भी इकाई को प्रमोटर माना जाएगा
  • पूंजी: अम्ब्रेला एंटिटी के पास न्यूनतम 500 करोड़ रुपए की चुकता पूंजी होगी। 
  • किसी एकल प्रमोटर या प्रमोटर समूह को इकाई की पूंजी में 40% से अधिक निवेश करने की अनुमति नहीं होगी।
    •  हर समय न्यूनतम शुद्ध मूल्य 300 करोड़ रुपए रखना होगा। 
  • शासन संरचना: NUE के बोर्ड में नियुक्त किये जाने वाले व्यक्तियों को फिट एंड प्रॉपर’ (Fit and Proper) मानदंडों के साथ-साथ कॉर्पोरेट प्रशासन के मानदंडों के अनुरूप होना चाहिये।
    • RBI ने निदेशकों की नियुक्ति को मंज़ूरी देने और NUE के बोर्ड में एक सदस्य को नामित करने का अधिकार बरकरार रखा है।
  • विदेशी निवेश: जब तक विदेशी निवेशक मौजूदा दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं तब तक उन्हें NUEs में निवेश करने की अनुमति है  

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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