वायु प्रदूषण कम करने का नया लक्ष्य | 30 Sep 2022
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मेन्स के लिये:पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने वर्ष 2026 तक राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत आने वाले शहरों में कणों की सांद्रता में 40% की कमी का नया लक्ष्य निर्धारित किया है, जो वर्ष 2024 तक 20 से 30% की कमी के पहले के लक्ष्य को अद्यतन करता है।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम:
- परिचय:
- इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा जनवरी 2019 में लॉन्च किया गया था।
- यह देश में समयबद्ध कमी के लक्ष्य के साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय ढाँचा तैयार करने का पहला प्रयास है।
- यह अगले पाँच वर्षों में भारी (व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम या PM10 के कण पदार्थ) और महीन कणों (व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम या PM2.5 के कण पदार्थ) के संकेंद्रण में कम-से-कम 20% की कटौती करेगा, जिसकाआधार वर्ष 2017 है।
- इसमें 132 गैर-प्राप्ति वाले शहर शामिल हैं जिनकी पहचान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा की गई थी।
- गैर-प्राप्ति वाले शहर (Non- Attainment Cities) वे शहर हैं जो पाँच वर्षों से अधिक समय से राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) को पूरा करने में विफल रहे हैं।
- NAAQs वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत CPCB द्वारा अधिसूचित विभिन्न पहचाने गए प्रदूषकों के संदर्भ में परिवेशी वायु गुणवत्ता के मानक हैं। NAAQS के तहत प्रदूषकों की सूची में PM10, PM2.5, SO2, NO2, CO, NH3, ओज़ोन, लेड, बेंज़ीन, बेंजो-पाइरेन, आर्सेनिक और निकेल शामिल है।
- गैर-प्राप्ति वाले शहर (Non- Attainment Cities) वे शहर हैं जो पाँच वर्षों से अधिक समय से राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) को पूरा करने में विफल रहे हैं।
- उद्देश्य:
- देश भर में प्रभावी एवं कुशल परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क में वृद्धि और विकसित करना।
- वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिये उचित समय पर उपायों हेतु कुशल डेटा प्रसार और बेहतर सार्वजनिक तंत्र उपलब्ध कराना।
- वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उपशमन के लिये एक व्यवहार्य प्रबंधन योजना बनाना।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये भारत द्वारा की गई पहल:
- वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली (The System of Air Quality and Weather Forecasting And Research- SAFAR
- वायु गुणवत्ता सूचकांक: AQI आठ प्रदूषकों अर्थात PM 2.5, PM 10, अमोनिया, सीसा, नाइट्रोज़न ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओज़ोन तथा कार्बन मोनोऑक्साइड के लिये विकसित किया गया है।
- ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (दिल्ली के लिये)
- वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिये:
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये नया आयोग
- पराली जलाने को कम करने के लिये टर्बो हैप्पी सीडर (THS) मशीन खरीदने हेतु किसानों को सब्सिडी
- वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिये डैशबोर्ड:
- NAQMP के तहत सभी स्थानों पर नियमित निगरानी के लिये चार वायु प्रदूषकों अर्थात् SO 2, NO 2, PM 10 और PM 2.5 की पहचान की गई है।
UPSC सिविल सेवा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रश्न: हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक के मूल्य की गणना में सामान्यतः निम्नलिखित में से किस वायुमंडलीय गैस को ध्यान में रखा जाता है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प b सही है। मेन्सप्रश्न. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में जारी किये गए संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (AQGs) के प्रमुख बिंदुओं का वर्णन कीजिये। विगत 2005 के अद्यतन से यह किस प्रकार भिन्न हैं? इन संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में किन परिवर्तनों की आवश्यकता है? (2021) |