भूकंप की भविष्यवाणी के लिये नया गणितीय मॉडल | 15 Jul 2020
प्रीलिम्स के लियेभूकंप, भूकंपमापी उपकरण, भूकंपीय तरंगें, नवीन गणितीय मॉडल मेन्स के लियेप्राकृतिक आपदा के रूप में भूकंप |
चर्चा में क्यों?
हैरियट-वॉट यूनिवर्सिटी (Heriot-Watt University), स्कॉटलैंड के शोधकर्त्ताओं ने भूकंप की भविष्यवाणी की प्रक्रिया में सुधार करने के लिये एक नए गणितीय मॉडल का विकास किया है।
प्रमुख बिंदु
- शोधकर्त्ताओं द्वारा विकसित किये गए इस नए गणितीय समीकरण ने भूकंप की भविष्यवाणी के मुद्दे को एक बार पुनः चर्चा में ला दिया है।
- गौरतलब है कि भूकंप की भविष्यवाणी से संबंधित इस नए मॉडल में शोधकर्त्ताओं ने प्रयोगशालाओं में किये जाने वाले अध्ययन के स्थान पर गणितीय समीकरणों का प्रयोग किया है।
नया गणितीय मॉडल
- शोधकर्त्ताओं ने अपनी खोज इस तथ्य के साथ शुरू की कि कुछ विशिष्ट प्रकार की चट्टाने भूकंप के दौरान महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। इन चट्टानों को सामूहिक तौर पर फीलोसिलीकेटस (Phyllosilicates) कहा जाता है। चट्टानों के एक दूसरे से टकराने के पश्चात् भूकंप की उत्पत्ति होती है।
- इस प्रकार चट्टानों के टकराने अथवा फिसलन में घर्षण शक्ति (Frictional Strength) एक महत्त्वपूर्ण कारक होती है।
- घर्षण शक्ति (Frictional Strength) को एक प्लेट के विरुद्ध दूसरी प्लेट को धकेलने के लिये आवश्यक बल के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- गौरतलब है कि घर्षण शक्ति एक ऐसा कारक है जिसकी गणितीय माध्यम से गणना की जा सकती है।
- इस अध्ययन के दौरान शोधकर्त्ताओं ने फीलोसिलीकेटस (Phyllosilicates) की घर्षण शक्ति (Frictional Strength) की भविष्यवाणी करने की कोशिश की।
- इसके पश्चात् शोधकर्त्ताओं ने यह अनुमान लगाने के लिये गणितीय समीकरणों का एक समूह विकसित किया कि आर्द्रता और फाॅॅल्ट अथवा भ्रंश (Fault) की गति की दर जैसी स्थितियों में परिवर्तन का फीलोसिलीकेटस की घर्षण शक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है।
- इसके माध्यम से शोधकर्त्ताओं के लिये प्राकृतिक स्थितियों जैसे- भूकंप आदि में फाॅॅल्ट अथवा भ्रंश (Fault) की गति को समझना काफी आसान हो गया है।
शोध का महत्त्व
- गौरतलब है कि बीते कई दशकों में भूकंप की भविष्यवाणी करने के लिये एक तरीका विकसित करने पर काफी अधिक समय और धन राशि खर्च की गई है, किंतु इस तरह के प्रयासों की सफलता दर काफी कम रही है।
- भूकंप का अनुमान लगाना अपेक्षाकृत काफी मुश्किल होता है, जिसके कारण आम लोगों की जान बचाना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
- बीते 30 वर्षों में सबसे भयानक प्राकृतिक आपदाओं में दो भूकंप भी शामिल हैं, जिनके कारण लाखों लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी थी।
- सर्वप्रथम वर्ष 2004 में आए भूकंप और सुनामी के कारण 220,000 लोगों की मृत्यु हुई थी और इसके पश्चात् वर्ष 2010 में आए भूकंप में 1, 59,000 लोगों की जान गई थी।
- संयुक्त राज्य भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 1990 और वर्ष 2019 के मध्य विश्व भर में भूकंप के कारण 923,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
भूकंप का अर्थ
- साधारण शब्दों में भूकंप का अर्थ पृथ्वी की कंपन से होता है। यह एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने के कारण तरंग उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर पृथ्वी को कंपित करती हैं।
- भूपर्पटी (Earth's Crust) की शैलों (Rocks) में कुछ गहन दरारें होती हैं, जिन्हें भ्रंश (Fault) कहा जाता है, प्रायः ऊर्जा भ्रंश के किनारे ही निकलती है।
- भ्रंश के दोनों ओर शैलें विपरीत दिशा में गति करती हैं।
- जहाँ ऊपर के शैलखंड में दबाव डालते हैं, उनके आपस का घर्षण उन्हें बाँधे रखता है।
- किंतु अलग होने की प्रवृत्ति के कारण एक समय पर घर्षण का प्रभाव कम हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप शैलखंड विकृत होकर अचानक एक दूसरे के विपरीत दिशा में सरक जाते हैं।
- इसके परिणामस्वरूप ऊर्जा निकलती है और ऊर्जा तरंगे सभी दिशाओं में गतिमान होती हैं।
- भू-पर्पटी के नीचे वह स्थान, जहाँ कंपन आरंभ होता है, उद्गम केंद्र कहलाता है, जबकि उद्गम केंद्र (Focus) के भूसतह पर उसके निकटम स्थानों पर अधिकेंद्र (Epicenter) कहते हैं।
भूकंप का मापन
- भूकंप से निकलने वाली ऊर्जा तरंगों के माध्यम से पृथ्वी की सतह पर यात्रा करती हैं, जिन्हें भूकंपीय तरंगें (Seismic Waves) कहा जाता है।
- वैज्ञानिक इन भूकंपीय तरंगों को भूकंपमापी (Seismometer) नामक उपकरण से मापते हैं।
- वैज्ञानिक भूकंपमापी (Seismometer) उपकरण में दर्ज की गई जानकारी के आधार पर भूकंप के समय, स्थान और तीव्रता का निर्धारण कर सकते हैं।