सेल थेरेपी को बढ़ावा देने के लिये नई स्टोरेज तकनीक | 01 Jun 2018
संदर्भ
यूके स्थित कंपनी एटेलिक्स ने एक तकनीक विकसित करने का दावा किया है जो सामान्य तापमान पर कोशिकाओं को स्टोर करने और गतिशील बनाने में मदद करती है तथा इन कोशिकाओं को अच्छी तरह से एक एल्गिनेट जेल (Alginate gel) के रूप में पैक किया जा सकता है। एल्गिनेट भूरे रंग के समुद्री शैवाल से प्राप्त एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला बहुलक है। खाद्य, रासायनिक और जैव चिकित्सा क्षेत्रों में इसका अनुप्रयोग तेज़ी से बढ़ रहा है।
रूपांतरित प्रौद्योगिकी (Transformative Technology)
- यह तकनीक मानव स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में विस्तृत रूप से प्रयोग में आने वाली सेल थेरेपी की उम्मीदों को बढ़ाने के साथ स्टेम कोशिकाओं सहित जीवनरक्षक कोशिकाओं को स्टोर करने और उन्हें गतिशील बनाने में मदद करती है।
- वर्तमान में क्रायोशिपिंग (Cryoshipping) (शून्य या बहुत कम तापमान का उपयोग करके) कोशिकाओं को विभिन्न स्थानों पर संरक्षित और गतिशील करने के लिये आवश्यक है।
- एटेलेरिक्स (atelerix) जो कि न्यूकैस्टल (Newcastle) यूनिवर्सिटी का एक स्टार्ट-अप है, ने एल वी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट (LVPEI), हैदराबाद के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और व्यावसायीकरण के लिये रूपांतरित प्रौद्योगिकी के एक हिस्से के रूप में करार किया है।
- LVPEI को इस करार से आँखों की कॉर्निया से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिये स्टेम सेल आधारित थेरेपी का उपयोग कर इस समस्या को दूर किये जाने की उम्मीद है।
इस तकनीक से कॉर्निया संबंधी समस्याओं का समाधान कैसे होगा?
- भारत में कॉर्निया संबंधी अंधापन से पीड़ित लगभग 1,30,000 लोग हैं जिसमें प्रतिवर्ष 30,000 नए रोगी जुड़ जाते हैं।
- इस बीमारी के 30 प्रतिशत मामलों में दोनों आँखें एक साथ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इस रोग से बच्चे भी प्रभावित होते हैं|
- वर्तमान में देश में कॉर्निया प्रत्यारोपण ही इस रोग का उपयुक्त इलाज है।
- यद्यपि सर्जरी काफी तीव्र और सरल ढंग से होती है लेकिन इसमें जीवन भर प्रतिदिन आवश्यक इम्मुनोसप्रेसेंट आईड्राप (immunosuppressant eyedrops) के साथ उच्च स्तर पर देखभाल किये जाने की आवश्यकता होती है। सामान्य रूप से रोगी इसका अनुपालन ठीक ढंग से नहीं कर पाते|
- LVPEI कॉर्निया संबंधी समस्याओं के इलाज के लिये एक स्टेम सेल उपचार विकसित कर रहा है जिसके चिकित्सीय परीक्षणों से बहुत उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं।
पृथक् की गई कोशिकाओं की जीवन अवधि (shelf life)
- वर्तमान में चिकित्सक केवल हैदराबाद में मरीजों का इलाज कर सकते हैं जहाँ क्लिनिक आई बैंक के नज़दीक स्थित है जिससे वे कोशिकाओं को पृथक् करते हैं और उन्हें cGMP सुविधा में संवर्द्धित (Culture) करते हैं।
- इन पृथक् कोशिकाओं की जीवन अवधि 6-8 घंटे होती है जो कोशिकाओं को देश के अन्य हिस्सों या अन्य क्षेत्रीय केंद्रों या उनके कई छोटे केंद्रों में ले जाना असंभव बनाती है|
- इस पृष्ठभूमि में एटेलेरिक्स तकनीक 5 दिनों तक कोशिकाओं की जीवन अवधि को बढ़ाने में मदद कर सकती है जिससे उपचार के दायरे में काफी सुधार हो सकता है|
निष्कर्ष
- अपनी दृष्टि खो चुके दुनिया भर में लाखों लोगों की दृष्टि हासिल करने में मदद के लिये यह करार अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- यह करार आँखों के सेल थेरेपी तक ही सीमित नहीं है बल्कि इससे कई अन्य आधुनिक उपचारों की खोज में सफलता हासिल की जा सकती है।