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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीन संभावनाओं का दौर

  • 09 Aug 2017
  • 8 min read

संदर्भ 
दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications - DoT)अपने कर्मचारियों को मोबाइल टेलीफोन की पाँचवी पीढ़ी (5G) से जुड़ी तकनीकी जानकारियों में सहज बनाने के उद्देश्य से उन्हें पाँचवी पीढ़ी की संचार व्यवस्था (5G communications system) एवं आई.ओ.टी. (Internet of things - IoT) पर आधारित एक ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिये चीन भेजने की योजना बना रहा है|  

  • यह ट्रेनिंग कोर्स थाईलैंड आधारित एक अंतर्सरकारी संगठन (Inter-governmental organization) एशिया – प्रशांत टेलीकम्युनिटी (Asia-Pacific Telecommunity) द्वारा संयोजित किया जाएगा| यह संगठन टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं के साथ संयोजन (conjunction) स्थापित करने, संचार उपकरणों का निर्माण करने तथा इससे संबंधित अनुसंधान एवं विकास संबंधी कार्यों का संचालन करता है|

उद्देश्य

  • इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य थाईलैंड एवं एशिया-प्रशांत क्षेत्र के मध्य नई संचार तकनीकी प्रणाली के विकास की समीक्षा करना एवं अनुपालन संबंधी आयामों का प्रचार-प्रसार करना है| 
  • इस प्रोजेक्ट के तहत प्रतिभागियों को 4G/5G एवं अन्य तकनीकी प्रवृत्ति से जुड़ी बुनियादी जानकारियों, संचार व्यवस्था की सुरक्षा से जुड़े महत्त्वपूर्ण पक्षों एवं तरीकों, स्मार्ट सिटी एवं आई.ओ.टी. के बेहतर प्रयोग से जुड़ी आवश्यक जानकारियों से रूबरू कराया जाएगा|

तकनीकी को प्रोत्साहन देने हेतु किये गए अन्य सरकारी प्रयास

  • ऐसा नहीं है कि भारत सरकार द्वारा पहली बार ऐसा किया जा रहा है| इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ है कि किसी नई तकनीक के संबंध में अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से उन्हें ट्रेनिंग के लिये कहीं बाहर भेजा गया है|
  • ध्यातव्य है कि डी.ओ.टी. के द्वारा पहले से ही एक राष्ट्रीय 5G फ्रेमवर्क प्रोग्राम की स्थापना के विषय में प्रयास आरंभ कर दिये गए हैं| इस प्रोग्राम का उद्देश्य वर्ष 2020 तक देश भर में इस नई तकनीक को प्रसारित  करना है| 
  • इसके अतिरिक्त एम.ई.आई.टी.वाय. (Ministry of Electronics and Information Technology - MEITy) द्वारा भी इस संबंध में अनुसंधान कार्य हेतु फंडिंग की जा रही है, जिसे देश भर के प्रमुख अकादमिक संस्थानों के द्वारा संचालित किया जाएगा| 
  • एम.ई.आई.टी.वाय. के शोधकर्त्ताओं को यह आशा है कि बहुत जल्द वे 5G तकनीक के एक उन्नत नमूने (advanced simulators) एवं तकनीकी प्रतिकृति (technology prototypes) का विकास करने में सफल हो जाएंगे| 
  • इस प्रोजेक्ट से संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकारों को 5G मानकीकरण के लिये योगदान (contributed) के रूप में माना जाएगा| 

चीनी परिदृश्य

  • चीन ने भी वर्ष 2020 तक 5G नेटवर्क का व्यावसायीकरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया है| जैस की हम जानते हैं कि चीन किसी भी नई तकनीक से संबंधित अनुसंधान एवं विकास कार्यों में विश्व का सबसे अग्रणी देश है| संभवतः उसके लिये इस सफलता को प्राप्त करना बहुत आसान होगा|
  • मार्च 2017 में चीन के एक बहुप्रतिष्ठित समाचार पत्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार, चीन ने मोबाइल संचार तकनीकी का मानकीकरण करने के उद्देश्य से 5G तकनीक हेतु एक परीक्षणशाला की स्थापना कर ली है| 

भारतीय परिदृश्य

  • भारतीय टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑथोरिटी (Telecom Regulatory Authority of India - Trai) ने भी देश में 5G टेलीफोन के व्यावसायीकरण करने की दिशा में कार्य आरंभ कर दिया है|
  • इसके लिये आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी में एक परामर्श पत्र जारी करने की भी योजना बनाई जा रही है, जिसमें 3300-3400 MHz एवं 3400-3500 MHz की आवृत्तियों को शामिल किये जाने की संभावना है|  
  • इन आवृत्तियों को 4G/5G मोबाइल सेवाओं के विकास के लिये सबसे उपयुक्त माना जाता है| 
  • उल्लेखनीय है कि भारत आधुनिक वायरलेस तकनीक को मानकीकृत करने की प्रक्रिया आरंभ करने की योजना बना रहा है और अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunication Union - ITU) द्वारा पाँचवी पीढ़ी की मोबाइल तकनीक हेतु कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदुओं से संबंधित एक प्रस्ताव पारित किया है| 
  • हालाँकि, इस संबंध में सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अभी तक 5G तकनीक के डाटा की गति का पता नहीं लगाया जा सका है| इसका कारण यह है कि यह तकनीक अभी विकास के दौर में है|
  • इसके बावजूद आई.टी.यू. के द्वारा फरवरी 2017 में 5G की डी.पी.आर. (downlink peak rate) को 20 गीगाबाइट प्रति सेकेंड (अर्थात् 20,000 मेगाबाइट प्रति सेकेंड) प्रस्तावित किया गया है|
  • ध्यातव्य है कि एक आदर्श स्थिति में किसी भी डाटा की अधिकतम प्राप्य डाटा दर (achievable data rate) को उसकी पी.डी.आर. (Peak data rate) कहते हैं| 
  • इसकी तुलना में 4G निर्धारित गति में डी.पी.आर. एक गीगाबाइट प्रति सेकेंड एवं मोबाइल उपयोगकर्त्ताओं के लिये 100 मेगाबाइट प्रति सेकेंड प्रदान करने की क्षमता रखता है|  

निष्कर्ष
उल्लेखनीय है कि ऐसी भारतीय दूरसंचार कंपनियाँ, जो अभी भी 4G तकनीक के इस्तेमाल को लेकर ज़द्दोज़हद कर रही हैं, उन्होंने भी 5G तकनीक की दिशा में शुरूआती कदम बढ़ा दिये हैं| ध्यातव्य है कि फरवरी 2017 में बार्सिलोना में आयोजित हुई मोबाइल वर्ल्ड कॉन्ग्रेस में भारत की रिलायंस जिओ ने मोबाइल ऑपरेटर संबंधी बुनियादी ढाँचे के संबंध में कार्य करने के उद्देश्य से सैमसंग के साथ भागीदारी की है, ताकि भविष्य में दूरसंचार व्यवस्था से संबद्ध तकनीकों के इस्तेमाल को और अधिक सरल एवं प्रभावी बनाया जा सके| ऐसी ही एक अन्य पहल भारती एयरटेल एवं नोकिया ने भी आरंभ की है|

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