कोल बेड मीथेन के संबंध में उत्पन्न चुनौतियाँ एवं समाधान | 20 Sep 2017
चर्चा में क्यों?
दुनिया में भारत कोयले का तीसरा सबसे बड़ा भंडारक राष्ट्र है, इसीलिये यहाँ सी.बी.एम. (Coal Bed Methane - CBM) के होने की उच्च संभावना है। अभी तक सी.बी.एम.के संबंध में निवेशकों की कम रूचि एक मुख्य समस्या बनी हुई थी। हालाँकि, भारत सरकार द्वारा पेश की गई नई नीति ओ.ए.एल.पी. (Open Acreage Licensing Policy - OALP) के आधार पर इस समस्या का हल होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
समस्याएँ एवं समाधान
- निवेशकों के न मिलने संबंधी समस्या के संदर्भ में ग्रेट ईस्टर्न एनर्जी कॉरपोरेशन के सीईओ प्रशांत मोदी द्वारा यह कहा गया है कि सी.बी.एम. को ओ.ए.एल.पी. और हेल्प (Hydrocarbon Exploration and Licensing Policy) इन दो नीतियों से लाभ मिलेगा।
- इन नीतियों के अनुपालन से सी.बी.एम. की लागत वसूली संरचना में भी कमी आएगी, जिससे इसके संबंध में निवेश करना और भी आसान हो जाएगा।
- इस संबंध में दूसरी बड़ी समस्या मूल्य निर्धारण और विपणन की स्वतंत्रता की थी। इसके संबंध में श्री मोदी द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि आगे चलाकर जब इसका बाज़ार मूल्य निश्चित हो जाएगा तो इसमें निवेश के स्तर में स्वाभाविक रूप से वृद्धि हो जाएगी।
इस संबंध में कोई बोली नहीं लगाई जाएगी
- श्री मोदी द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 2010 से सी.बी.एम. के संबंध में कोई बोली नहीं लगाई गई है।
- हालाँकि, डी.एस.एफ. (Discovered Small Fields - DSF) बोलियाँ अवश्य संपन्न हुई हैं, परंतु उनमें से किसी के भी संबंध में अभी तक कोई विशेष प्रगति नहीं है।
- श्री मोदी के मुताबिक, वर्ष 1993 से ग्रेट ईस्टर्न एनर्जी कॉरपोरेशन (भारत में पहली बार) सी.बी.एम. पर काम कर रहा है। कंपनी द्वारा प्रति दिन 20 मिलियन क्यूबिक फीट गैस का उत्पादन किया जाता है।
- उन्होंने कहा कि सी.बी.एम. निष्कर्षण की प्रकृति को देखते हुए यह कहना गलत न होगा कि एस.एम.ई. हेतु सी.बी.एम. एक सही विकल्प है।
- चूँकि, कोयले एवं भट्ठी के तेल (furnace oil) की तुलना में सी.बी.एम.एक अधिक स्वच्छ एवं अधिक कुशल ईंधन है।