'दुर्लभ रक्त विकार' के मरीज़ों के लिये नई स्वास्थ्य नीति | 27 Jul 2017
संदर्भ
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में भारत में हीमोग्लोबिनोपैथी की रोकथाम और नियंत्रण पर एक नीति जारी की है। थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और अन्य प्रकार के हीमोग्लोबिन डिसऑर्डर के साथ रहने वाले लोग अब केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की नई नीति के आधार पर बेहतर स्क्रीनिंग और उपचार की उम्मीद कर सकते हैं।
प्रमुख बिंदु
- इसमें पूर्व-प्रारंभिक जाँच के दौरान गर्भवती महिलाओं की जाँच, कॉलेज स्तर पर विवाह-पूर्व परामर्श और बच्चों में एनीमिया के लिये एक बार स्क्रीनिंग से संबंधित दिशा-निर्देश दिये गए हैं।
- इस नीति का उद्देश्य रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिये उपचार प्रोटोकॉल बेंचमार्क बनाना है।
थैलेसीमिया क्या है ?
- थैलेसीमिया एक ऐसा आनुवंशिक रक्त विकार रोग है, जिसमें रोगी के शरीर में लाल रक्त कण तथा हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य अवस्था से कम हो जाती है।
- मानव शरीर में आक्सीजन का परिवहन तथा संचरण करने के लिये हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन की आवश्यकता पड़ती है और यदि यह न बने या सामान्य आवश्यकता से भी कम बने तो इस परिस्थिति में बच्चे को थैलेसीमिया रोग से ग्रसित होने की आशंका अधिक रहती है।
- बीमार बच्चे के शरीर में रक्ताल्पता के कारण उसे बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है। रक्ताल्पता के कारण उसके शरीर में लौह तत्त्व अधिक मात्रा में उत्पन्न होने लगता है, जो हृदय, यकृत तथा फेफड़ों में प्रविष्ट होकर उन्हें क्षतिग्रस्त और दूष्प्रभावित कर देता है और अंततः प्राणघातक भी हो सकता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में प्रति वर्ष आठ से दस हजार थैलेसीमिया पीडि़त बच्चों का जन्म होता है।
सिकल सेल एनीमिया क्या है ?
- सिकल सेल एनीमिया, माता-पिता से प्राप्त असामान्य जीन से उत्पन्न एक आनुवंशिक विकार है।
- सामान्य लाल रक्त कोशिकाएं (RBC) उत्तल डिस्क के आकार की होती हैं और रक्तवाहिकाओं में आसानी से प्रवाहित होती हैं, लेकिन सिकल सेल रोग में लाल रक्त कोशिकाओं का आकार अर्धचंद्र/हंसिया जैसा हो जाता है।
सिकल सेल एनीमिया
- ये असामान्य लाल रक्त कोशिकाएँ कठोर और चिपचिपी होती हैं तथा विभिन्न अंगों में रक्त प्रवाह को अवरुद्ध करती हैं। अवरूद्ध रक्त प्रवाह के कारण तेज़ दर्द होता है और विभिन्न अंगों को क्षति पहुँचता है।
- सिकल सेल रक्त कोशिकाओं का जीवन काल केवल 10-20 दिनों का होता है और अस्थि मज्जाएँ उन्हें तेज़ी से पर्याप्त मात्रा में बदल नहीं पाती हैं, जिसके फलस्वरूप शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की सामान्य संख्या और हीमोग्लोबिन में कमी हो जाती है।