खाद्य उत्पादों की पैकिंग हेतु नए नियम | 04 Jan 2019
चर्चा में?
हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने नए पैकेजिंग नियमों को अधिसूचित किया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- इन नियमों के अनुसार, खाद्य उत्पादों की पैकिंग, उनके आवरण, भंडारण, ढुलाई या वितरण के लिये अखबार या पुर्नचक्रित प्लास्टिक के उपयोग प्रतिबंधित होगा।
- ये नए नियम 1 जुलाई, 2019 से लागू होंगे।
- नया विनियमन खाद्य उत्पादों की पैकेजिंग के लिये उपयोग की जाने वाली विभिन्न सामग्रियों हेतु मानकों को परिभाषित करता है।
- इन नियमों के अनुसार, खाद्य उत्पादों की पैकिंग या भंडारण हेतु उपयोग की जाने वाली पैकेजिंग सामग्री अनुसूची में प्रदान किये गए भारतीय मानकों के अनुरूप ही होगी।
- स्याही और रंजक के कार्सिनोजेनिक प्रभाव (Carcinogenic Effect) का संज्ञान लेते हुए, ये नियम खाद्य पदार्थों की पैकिंग या उनके आवरण के लिये समाचार पत्र तथा अन्य ऐसी सामग्रियों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाते हैं।
- खाद्य पैकेजों पर मुद्रण हेतु उपयोग की जाने वाली स्याही के लिये भी भारतीय मानकों को शामिल किया गया है।
- FSSAI ने नए नियमों को प्रस्तुत करने से पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग (IIP), मुंबई और नेशनल टेस्ट हाउस (NTH), कोलकाता के साथ मिलकर अध्ययन किया था।
- इन अध्ययनों में यह बात खुलकर सामने आई थी कि संगठित क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली पैकेजिंग सामग्री काफी हद तक सुरक्षित है, जबकि असंगठित क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली पैकेजिंग सामग्री के उपयोग के बारे में चिंता व्यक्त की गई है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India - FSSAI)
- केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण का गठन किया। जिसे 1 अगस्त, 2011 को केंद्र सरकार के खाद्य सुरक्षा और मानक विनिमय (पैकेजिंग एवं लेबलिंग) के तहत अधिसूचित किया गया।
- इसका संचालन भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत किया जाता है।
- इसका मुख्यालय दिल्ली में है, जो राज्यों के खाद्य सुरक्षा अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को लागू करने का काम करता है।
- FSSAI मानव उपभोग के लिये पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उत्पादन, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात की सुरक्षित व्यवस्था को सुनिश्चित करने का काम करता है।
- इसके अलावा, यह देश के सभी राज्यों, ज़िला एवं ग्राम पंचायत स्तर पर खाद्य पदार्थों के उत्पादन और बिक्री के निर्धारित मानकों को बनाए रखने में सहयोग करता है। यह समय-समय पर खुदरा एवं थोक खाद्य-पदार्थों की गुणवत्ता की भी जाँच करता है।