शासन व्यवस्था
सोने की हॉलमार्किंग को लेकर नए मानदंड
- 18 Jun 2021
- 6 min read
प्रिलिम्स के लियेसोने की हॉलमार्किंग को लेकर नए मानदंड, भारतीय मानक ब्यूरो मेन्स के लियेगोल्ड हॉलमार्किंग की आवश्यकता और महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने सोने के गहनों की हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है, जिसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
हॉलमार्किंग के बारे में:
- भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standard- BIS) भारत में सोने और चाँदी की हॉलमार्किंग योजना को संचालित करता है, हॉलमार्किंग को "कीमती धातु की वस्तुओं में कीमती धातु की आनुपातिक सामग्री का सटीक निर्धारण और आधिकारिक रिकॉर्डिंग" के रूप में परिभाषित करता है।
- यह कीमती धातु की वस्तुओं की "शुद्धता या सुंदरता की गारंटी" है, जो वर्ष 2000 में शुरू हुई थी।
- भारत में वर्तमान में दो कीमती धातुओं सोना और चाँदी को हॉलमार्किंग के दायरे में लाया गया है।
- BIS प्रमाणित ज्वैलर्स किसी भी BIS मान्यता प्राप्त एसेइंग एंड हॉलमार्किंग सेंटर (Assaying and Hallmarking Centres- A&HC) से अपने आभूषण हॉलमार्क करवा सकते हैं।
- पहले यह ज्वैलर्स के लिये वैकल्पिक था और इस प्रकार केवल 40% सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग हो रही थी।
चरणबद्ध तरीके से कार्यान्वयन:
- पहले चरण में केवल 256 ज़िलों में गोल्ड हॉलमार्किंग सुविधा उपलब्ध होगी और 40 लाख रुपए से अधिक वार्षिक टर्नओवर वाले ज्वैलर्स इसके दायरे में आएंगे।
- आभूषण और वस्तुओं की एक निश्चित श्रेणी को भी हॉलमार्किंग की अनिवार्य आवश्यकता से छूट दी जाएगी।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों हेतु आभूषण, सरकार द्वारा अनुमोदित B2B (बिजनेस-टू-बिजनेस) घरेलू प्रदर्शनियों के लिये आभूषणों को अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट दी जाएगी।
गोल्ड हॉलमार्किंग की आवश्यकता:
- भारत सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। हालाँकि देश में हॉलमार्क वाली ज्वैलरी का स्तर बहुत कम है।
- अनिवार्य हॉलमार्किंग जनता को कम कैरेट (शुद्ध सोने का अंश) से बचाएगी और यह सुनिश्चित करेगी कि सोने के गहने खरीदते समय उपभोक्ताओं को धोखा न हो।
- यह आभूषणों पर अंकित शुद्धता को बनाए रखने में मदद करेगा।
- यह पारदर्शिता लाएगा और उपभोक्ताओं को गुणवत्ता का आश्वासन देगा।
- यह आभूषणों के निर्माण की प्रणाली में विसंगतियों और भ्रष्टाचार को दूर करेगा।
भारतीय मानक ब्यूरो
- BIS वस्तुओं के मानकीकरण, अंकन और गुणवत्ता प्रमाणन जैसी गतिविधियों के सामंजस्यपूर्ण विकास का कार्य भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय (National Standard Body of India) करता है।
- मानक तैयार करना: BIS विभिन्न क्षेत्रों के लिये राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप भारतीय मानक तैयार करता है जिन्हें 14 विभागों जैसे- रसायन, खाद्य और कृषि, नागरिक, इलेक्ट्रो-तकनीकी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी आदि के तहत समूहीकृत किया गया है।
BIS की अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियाँ:
- BIS, अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (International Organization for Standardization- ISO ) का संस्थापक सदस्य है और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के विकास में सक्रिय रूप से शामिल है।
- भारत का प्रतिनिधित्व BIS के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रो-तकनीकी आयोग (International Electro-technical Commission- IEC) द्वारा किया जाता है। IEC सभी विद्युत, इलेक्ट्रॉनिक और संबंधित प्रौद्योगिकियों के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों की तैयारी एवं प्रकाशन हेतु विश्व का अग्रणी संगठन है।
- BIS, विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) और व्यापार में तकनीकी बाधाओं (Technical Barriers to Trade- TBT) के लिये राष्ट्रीय पूछताछ बिंदु है।
अन्य पहलें:
- BIS SDO मान्यता योजना:
- भारत सरकार के ‘एक राष्ट्र एक मानक’ विज़न के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये BIS ने एक योजना शुरू की जिसके तहत इसे मानक विकास संगठन (Standard Developing Organization- SDO) की मान्यता प्रदान करती है।
- उत्पाद प्रमाणन योजना:
- भारतीय मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये BIS एक उत्पाद प्रमाणन योजना संचालित करता है। किसी उत्पाद पर BIS मानक चिह्न (जिसे ISI चिह्न के रूप में जाना जाता है) की उपस्थिति प्रासंगिक भारतीय मानक के अनुरूप होने का संकेत देती है।