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नेपाल का नया क्रिमिनिल कोड बनाम प्रेस की स्वतंत्रता

  • 18 Aug 2018
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नेपाल सरकार ने एक नया क्रिमिनिल कोड पेश किया है जिससे प्रेस की स्वतंत्रता के हनन होने की आशंका के कारण विरोध किया जा रहा है।

प्रमुख प्रावधान

  • नया कानून गोपनीय सूचना को प्रकाशित करने, बगैर इज़ाजत के ऑडियो रिकॉर्ड करने या तस्वीर खींचने हेतु जेल की सज़ा दिये जाने का प्रावधान करता है।
  • इस कानून में बिना किसी प्राधिकरण के ही दो लोगों के बीच "गोपनीय" वार्तालापों के बारे में रिपोर्टिंग करने को दंडनीय अपराध माना गया है।
  • उल्लेखनीय है कि नया क्रिमिनल कोड और क्रिमिनल प्रोसीजर कोड देश की पुरानी विधिक प्रणाली की जगह लेगा।
  • इस कानून के तहत किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन करने वाले को हज़ार रुपए से अधिक का ज़ुर्माना या तीन साल की कैद या दोनों दंडों का एक साथ सामना करना पड़ सकता है।
  • नए कानून के मुताबिक ऐसी कोई भी सामग्री प्रकाशित करना जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर सीधे या व्यंग्य द्वारा ठेस पहुँचाई जाती है, के लिये सज़ा का प्रावधान है।

विरोध का कारण

  • वर्ष 2015 में जारी किये गए नए संविधान में प्रेस की स्वतंत्रता और सूचना के अधिकार की गारंटी सुनिश्चित की गई है किंतु सरकार द्वारा पेश किए गए नए कोड ने पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं के दिमाग में संदेह पैदा किया है।
  • इस नए कानून का विरोध मीडिया, चिकित्सकीय प्रशिक्षु और मानवाधिकार समूहों द्वारा किया जा रहा है, क्योंकि इस नए कानून से किसी भी पेशेवर समूह के खिलाफ पुलिस को व्यापक शक्तियाँ मिलेंगी।
  • साथ ही इस नए कानून को संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन के कारण अस्वीकार्य किया जा रहा है।
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