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नया नेविगेशन उपग्रह आई.आर.एन.एस.एस.-1 एच.

  • 01 Sep 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation - ISRO) द्वारा एक रॉकेट प्रक्षेपण असफल हो गया। हालाँकि, सैटेलाइट अपनी कक्षा में पहुँच गया, परंतु उसका हीट शील्ड उससे अलग नहीं हो पाया। इस कारण यह नेविगेशन सैटेलाइट (navigation satellite) उपयोग रहित हो गया। आई.आर.एन.एस.एस. - 1एच. (IRNSS-1H ) को आई.आर.एन.एस.एस. - 1ए (IRNSS-1A) के स्थान पर स्थापित किये जाने की योजना बनाई गई थी। ध्यातव्य है कि लगातार 39 सफल लॉन्चिंग के बाद यह पी.एस.एल.वी की पहली विफलता है।

नेविगेशन सैटेलाइट क्या है?

  • एक नेविगेशन सैटेलाइट (satellite navigation)  सैटेलाइटों के एक नेटवर्क पर आधारित होता है, जो उच्च सटीकता वाले रिसीवर्स की भू-स्थानिक स्थिति (geospatial location) का निर्धारण करने के लिये रेडियो संकेत प्रेषित (transmit radio signals) करता है।
  • किसी सैटेलाइट सिस्टम का उपयोग किसी की स्थिति,  नेविगेशन अथवा सैटेलाइट के रिसीवर में संलग्नित उपकरणों की वास्तविक स्थिति पर नज़र बनाए रखने के लिये किया जा सकता है।

भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (The Indian Regional Navigation Satellite System - IRNSS) 

  • भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम दो प्रकार की सेवाएँ प्रदान करता है –

→ मानक स्थिति निर्धारण सेवा (Standard Positioning Service) : यह सभी उपयोगकर्त्ताओं के लिये उपलब्ध है।
→ प्रतिबंधित सेवा (Restricted service): एन्क्रिप्टेड सेवा (Encrypted service) केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं के लिये उपलब्ध है, उदाहरण के लिये - रक्षा बल। 

भारतीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (India’s navigation satellite system)

  • भारत के 1420 करोड़ रुपए के सैटेलाइट सिस्टम को भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (Indian Regional Navigation Satellite System) कहा जाता है।
  • ध्यातव्य है कि नाविक [आईआरएनएसएस: नाविक (Navigation with Indian Constellation)] के अंतर्गत एक कक्षा में सात उपग्रह स्थापित किये जाते हैं, ऐसा ही एक विकल्प आई.आर.एन.एस.एस. -1एच. है।
  • आई.आर.एन.एस.एस. कार्यक्रम संयुक्त राज्य अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (States’ Global Positioning System -GPS) के समान है, जिसमें 24 उपग्रह हैं।

नेविगेशन सैटेलाइटों के उपयोग क्या-क्या हैं?

  • मछुआरों को मछली पकड़ने हेतु संभावित क्षेत्र में पहुँचने में सहायता प्रदान करता है।
  • मछुआरों को खराब मौसम एवं  उच्च तरंगों की स्थिति के विषय में सूचित करता है।
  • इसके अतिरिक्त वे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (international maritime boundary line) से संपर्क करते हैं,  तब भी यह उन्हें सतर्कता संदेश (alert messages ) भेजता हैं।
  • गौरतलब है कि ये सभी सेवाएँ एक स्मार्टफोन पर सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन के माध्यम से प्रदान की जाती हैं।
  • नाविक व्यापारी जहाजों के पथ-प्रदर्शन एवं खोज तथा बचाव कार्यों आदि में भी सहायता करता है।
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