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हवाई अड्डे के प्रबंधन के लिये नया मॉडल

  • 27 Jul 2018
  • 4 min read

संदर्भ

भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाज़ार के रूप में उभरा है। देश में प्रमुख हवाई अड्डों की संख्या 2007 के 12 से बढ़कर 2017 में 27 हो गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • हवाई अड्डा आर्थिक विनियामक प्राधिकरण अधिनियम, 2008 (Airport Economic Regulatory Authority of India Act, 2008-AERA) को हवाई अड्डों, एयरलाइंस और यात्रियों के हितों की रक्षा और मुख्य रूप से हवाई अड्डों पर प्रदान की गई वैमानिकी सेवाओं के टैरिफ को नियंत्रित करने के लिये एक स्वतंत्र प्राधिकरण के गठन हेतु अधिनियमित किया गया था।
  • एयरोनॉटिकल सेवाओं में वायु यातायात प्रबंधन के लिये नौपरिवहन, निगरानी और सहायक संचार, लैंडिंग संबंधी सेवाएँ, एक विमान के हाउसिंग या पार्किंग के लिये सेवाएँ, ज़मीन पर सुरक्षा, ईंधन और हैंडलिंग सेवाएँ आदि शामिल हैं|
  • इस क्षेत्र में घातांकीय (exponential) रूप से वृद्धि ने सरकार को 2018 में संशोधन विधेयक का प्रस्ताव लाने के लिये प्रेरित किया है।
  • एयरलाइन/एयरपोर्ट क्षेत्र में प्रवेश करने वाले निजी ऑपरेटरों की संख्या में वृद्धि के कारण हवाई अड्डा आर्थिक विनियामक प्राधिकरण पर भारी दबाव रहा है।
  • कुछ प्रमुख हवाई अड्डे अब सार्वजनिक-निजी साझेदारी के तहत काम कर रहे हैं। यह महसूस किया गया था कि अगर बहुत से हवाई अड्डे प्राधिकरण के दायरे में आते हैं  तो टैरिफ को प्रभावी ढंग से निर्धारित करना और प्रमुख हवाई अड्डों के सेवा मानकों की निगरानी करना मुश्किल होगा।
  • बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निजी भागीदारों को शामिल करने के लिये  पूर्व निर्धारित टैरिफ या टैरिफ-आधारित बोली-प्रक्रिया जैसे कई व्यावसायिक मॉडल सामने आए हैं। हवाई अड्डा परियोजना उस रियायतकर्त्ता को दी जाती है जो सबसे कम टैरिफ प्रदान करता है।
  • इस मॉडल में  सरकार ने पाया है कि बाज़ार स्वयं ही प्रभार निर्धारित करता है। परियोजना पर फैसला किये जाने के बाद नियामक को शुल्क तय करने की आवश्यकता नहीं है। 2008 के अधिनियम में ऐसी जटिलताओं को शामिल नहीं किया गया है।
  • इस प्रकार, भारत के हवाई अड्डा आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2018  में एक बार संशोधन प्रभावी हो जाने के बाद  सालाना 3.5 मिलियन से अधिक यात्रियों को संभालने वाले एयरोड्रोम को प्रमुख हवाई अड्डों के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
  • AERA विधेयक महत्त्वपूर्ण रूप से  मौजूदा व्यापार मॉडल और टैरिफ सिस्टम के साथ 2008 के अधिनियम की धारा 13 को अपडेट करना चाहता है। इसका मतलब है प्रमुख हवाई अड्डों पर एयरोनॉटिकल सेवाओं के लिये टैरिफ में परिवर्तन होगा।
  • अधिनियम की धारा 13 में विस्तृत प्रावधान हैं जो हवाई अड्डों से संबंधित सुविधाओं के विकास में पूंजी व्यय और समय पर निवेश को आगे बढ़ाता है। उदाहरण के लिये प्रदान की गई सेवा, इसकी गुणवत्ता और अन्य प्रासंगिक कारक, दक्षता में सुधार के लिये लागत तथा प्रमुख हवाई अड्डों का आर्थिक और व्यावहारिक संचालन|
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