सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय करने के लिये नई व्यवस्था | 24 Aug 2017
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अल्टरनेटिव मैकेनिज्म (Alternative Mechanism - AM) के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks) के विलय को सैद्धांतिक रूप से मंज़ूरी प्रदान की है। इस निर्णय से राष्ट्रीयकृत बैंकों (Nationalised Banks) के विलय के फलस्वरूप सशक्त एवं प्रतिस्पर्धी बैंकों (competitive banks) के निर्माण में मदद मिलेगी।
मुख्य बिंदु
- बैंकों को मज़बूत एवं प्रतिस्पर्धी बनाने के संबंध में यह निर्णय मुख्य रूप से वाणिज्यिक दृष्टि (commercial considerations) को ध्यान में रखकर किया गया है।
- बैंकों के विलय की योजना को तैयार करने के लिये बैंकों से प्राप्त प्रस्तावों का सैद्धांतिक रूप से अनुमोदन के लिये अल्टरनेटिव मैकेनिज्म (Alternative Mechanism) के समक्ष रखा जाएगा।
- सैद्धांतिक मंज़ूरी मिलने के बाद बैंक कानून एवं सेबी की अपेक्षाओं के अनुसार निर्णय ले सकेंगे।
- केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ परामर्श करके अंतिम योजना को अधिसूचित किया जाएगा।
- रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Rating agency Crisil) द्वारा भी कैबिनेट के इस फैसले को एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में समेकित करते हुए गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों का तीव्रता से समाधान करने तथा इस संबंध में एक एकीकृत रणनीति तैयार करने की दिशा में कवायद शुरू कर दी है।
पृष्ठभूमि
- इस संबंध में वर्ष 1991 में यह सुझाव दिया गया था कि भारत के बदलते आर्थिक परिदृश्य के मद्देनज़र देश में कुछ, किंतु मज़बूत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक होने चाहिये।
- हालाँकि, मई 2016 में जाकर इस संबंध में प्रभावी कार्यवाही प्रारंभ हुई तथा छह बैंकों के भारतीय स्टेट बैंक में विलय की घोषणा की गई।
- यह विलय स्टेट बैंक ऑफ इंदौर एवं सौराष्ट्र के पूर्ववर्ती विलय की तुलना में रिकॉर्ड समय में पूरा हो गया था।
- भारतीय स्टेट बैंक अब करीब 24000 शाखाओं, 59000 ए.टी.एम., 6 लाख पी.ओ.एस. मशीनों तथा 50000 से ज़्यादा व्यापारिक प्रतिनिधियों वाला अकेला बैंक है, जो दूर-सुदूर क्षेत्रों सहित देश के सभी भागों में अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहा है।
- भारतीय स्टेट बैंक एक-समान बैंकिंग कार्यसंस्कृति के माध्यम से राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने का काम कर रहा है। इतना ही नहीं इस बैंक का अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में भी उल्लेखनीय महत्त्व है। भारतीय स्टेट बैंक, विश्व के सबसे बड़े बैंकों में से एक है।
निष्कर्ष
इस समय देश में भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर 20 अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक मौजूद हैं। स्पष्ट है कि अब बैंकिंग परिदृश्य में बदलाव आ रहा है, निजी क्षेत्र के बैंकों (Private Sector Banks) की बढ़ती बैंकिंग सक्रियता, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (non-banking Financial Companies), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (Regional Rural Banks), भुगतान बैंकों (Payment Banks) और छोटे वित्तीय बैंकों (Small Finance Banks) की संख्या में हो रही निरंतर वृद्धि इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। सार्वजिनक क्षेत्र के बैंकों के विलय संबंधी इस निर्णय से जहाँ एक ओर विकासशील अर्थव्यवस्था की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता मिलेगी, वहीं दूसरी ओर अन्य आर्थिक उतार-चढ़ावों को झेलने तथा राजकोष पर अनावश्यक निर्भरता के बगैर निवेश एवं विकास हेतु संसाधन जुटाने की दृष्टि से सार्वजनिक क्षेत्र में मज़बूत और प्रतिस्पर्धी बैंकों के निर्माण में भी मदद मिलने की संभावना है।