पाकिस्तान का नया मानचित्र | 06 Aug 2020
प्रीलिम्स के लिये:भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच विवादित क्षेत्र मेन्स के लिये:सर क्रीक की अवस्थिति और विवाद |
चर्चा में क्यों:
हाल ही में पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर, लद्दाख, सर क्रीक और जूनागढ़ को शामिल करते हुए एक नए राजनीतिक मानचित्र का अनावरण किया है।
प्रमुख बिंदु:
- यह मानचित्र अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे के निराकरण/समाप्ति की पहली वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर जारी किया गया है।
- मानचित्र में पूरे जम्मू और कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र के रूप में दर्शाया गया है तथा यह कश्मीर के पूर्व में कोई सीमा नहीं दर्शाता है।
- इसके अलावा इसमें इस्लामाबाद में कश्मीर राजमार्ग नाम बदलकर श्रीनगर राजमार्ग के रूप में दर्शाया गया है।
- यह दावा करता है कि सियाचिन, सर क्रीक के क्षेत्र और गुजरात में जूनागढ़ की पूर्ववर्ती स्थिति पाकिस्तान के क्षेत्र के रूप में है।
- यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने जूनागढ़ को अपने क्षेत्र के रूप में चित्रित करने की कोशिश की है। वर्ष 2012 के पाकिस्तान के एटलस ने भी जूनागढ़ को पाकिस्तान के क्षेत्र के रूप में चित्रित किया था।
- नक्शे में संघीय रूप से प्रशासित जनजातीय क्षेत्र (Federally Administered Tribal Areas- FATA) को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के हिस्से के रूप में भी दिखाया गया है।
भारत की प्रतिक्रिया:
- इस कदम पर तेज़ी से प्रतिक्रिया देते हुए, भारत ने इसे "राजनीतिक गैर-बराबरी की एक कवायद करार (Exercise In Political Absurdity) दिया है" और इन हास्यास्पद दावों की न तो कोई कानूनी वैधता है और न ही अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता है, कहते हुए इस मानचित्र को खारिज कर दिया।
भारत के लिये चिंता:
- हाल के दिनों में यह दूसरी बार है जब भारत के पड़ोसी देश ने भारत के क्षेत्रों पर दावा करते हुए एक नया मानचित्र प्रकाशित किया है। इससे पहले नेपाल ऐसा करने वाला पहला देश था।
- नेपाल ने कालापानी क्षेत्र पर अपना दावा करते हुए अपने मानचित्र को प्रकाशित किया था।
- इसके अलावा नेपाल और पाकिस्तान की चीन के साथ निकटता।
- हाल ही में, चीन ने भी अपने पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) के साथ अपने पक्ष में यथास्थिति बदल दी।
सर क्रीक लाइन:
- यह कच्छ के रण में भारत और पाकिस्तान के मध्य विवादित जल की 96 किलोमीटर लंबी पट्टी है।
- मुख्य विवाद कच्छ और सिंध के बीच की समुद्री सीमा रेखा की अस्पष्ट व्याख्या है।
- पाकिस्तान इसके मुहाने के पूर्वी किनारे का अनुसरण करने के लिये लाइन का दावा करता है जबकि भारत एक केंद्रीय रेखा का दावा करता है।
- पाकिस्तान द्वारा प्रस्तुत दावों के अनुसार, वर्ष 1914 में तत्कालीन सिंध सरकार और कच्छ के राव महाराज के बीच हस्ताक्षरित ‘बंबई सरकार संकल्प’ (Bombay Government Resolution) के अनुच्छेद 9 एवं 10 के अनुसार पूरे क्रीक क्षेत्र पर उसी का अधिकार है।
- ध्यातव्य है कि इस संकल्प-पत्र में इन दोनों क्षेत्रों के बीच की सीमाओं को सीमांकित किया गया। इसमें क्रीक को सिंध के हिस्से के रूप में शामिल किया गया है। तब से क्रीक के पूर्वी भाग की सीमा को ग्रीन लाइन (Green Line) के रूप में जाना जाता है।
- भारत का कहना है कि सर क्रीक को थालवेग सिद्धांत के अनुसार दोनों देशों के बीच विभाजित किया जाना चाहिये।
- अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, एक थालवेग प्राथमिक जलमार्ग के बीच वह जलमार्ग है जो राज्यों के मध्य सीमा रेखा को परिभाषित करता है।
- भारत और पाकिस्तान के मध्य सर क्रीक क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सीमा और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (International Maritime Boundary line- IMBL) को सीमांकित नहीं किया गया है।
सियाचिन ग्लेशियर:
- सियाचिन ग्लेशियर लद्दाख का हिस्सा है जिसे अब केंद्रशासित प्रदेश में बदल दिया गया है। यह दुनिया के गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों में दूसरा सबसे लंबा ग्लेशियर है।
- यह हिमालय में पूर्वी काराकोरम श्रेणी में स्थित है, जो कि प्वाइंट NJ9842 के उत्तर-पूर्व में है, जहाँ भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा समाप्त होती है।
- यह दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है।
संघीय रूप से प्रशासित जनजातीय क्षेत्र (FATA):
- संघीय रूप से प्रशासित जनजातीय क्षेत्र उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में एक अर्द्ध-स्वायत्त जनजातीय क्षेत्र था जो वर्ष 1947 से अस्तित्त्व में आया।
- वर्ष 2018 में इसे इसके पड़ोसी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में मिला दिया गया था।
आगे की राह:
- पिछले एक वर्ष में, पाकिस्तान ने कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर जम्मू एवं कश्मीर राज्य को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के मुद्दे को उठाया है लेकिन इस मुद्दे पर उसे कोई व्यापक समर्थन नहीं मिला है।
- नेपाल के साथ अनबन होने के साथ, श्रीलंका का चीन की ओर झुक जाना, बांग्लादेश के साथ नागरिकता (संशोधन), 2019 को लेकर विवाद और भारत का ईरान की चाबहार रेलवे लिंक परियोजना से बाहर (जिसका निर्माण भारत को करना था) हो जाना, भारत के प्रभाव क्षेत्र विशेष रूप से इसके पड़ोस और विस्तारित पड़ोस में सापेक्ष गिरावट के कारण हैं। यह विदेश नीति की गहन परीक्षा की मांग करता है।