शासन व्यवस्था
नए IT नियम 2021
- 27 Feb 2021
- 11 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थानों के लिये दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) 2021 नियमों को अधिसूचित किया गया है।
- नए नियम व्यापक रूप से सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (Over-The-Top- OTT) प्लेटफाॅर्मों हेतु लाए गए हैं।
- इन नियमों को सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 की धारा 87 (2) के तहत तथा पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थानों के लिये दिशा-निर्देश) नियम 2011 के स्थान पर लाया गया है।
प्रमुख बिंदु:
पृष्ठभूमि :
- वर्ष 2018:
- सर्वोच्च न्यायालय ने रिट याचिका (प्रज्जवल मुकदमा) पर स्वतः संज्ञान लेते हुए 11 दिसम्बर, 2018 के आदेश में कहा था कि भारत सरकार सामग्री उपलब्ध कराने वाले प्लेटफॉर्म और अन्य अनुप्रयोगों में चाइल्ड पोर्नोग्राफी, रेप और गैंगरेप की तस्वीरों, वीडियो तथा साइट को खत्म करने के लिये आवश्यक दिशा-निर्देश तैयार कर सकती है।
- वर्ष 2020:
- राज्यसभा की एक तदर्थ समिति ने सोशल मीडिया पर पोर्नोग्राफी के खतरनाक मुद्दे और बच्चों और समाज पर पड़ने वाले इसके प्रभावों के अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा ऐसी सामग्री के मूल निर्माता की पहचान किये जाने की सिफारिश की।
- सरकार द्वारा वीडियो स्ट्रीमिंग ओवर-द-टॉप [Video Streaming Over-The-Top (OTT)] प्लेटफॉर्म को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाया गया।
सोशल मीडिया/मध्यस्थों हेतु नए दिशा-निर्देश:
- सोशल मीडिया मध्यस्थों की श्रेणियाँ:
- उपयोगकर्त्ताओं की संख्या के आधार पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मध्यस्थों को दो समूहों में विभाजित किया गया है:
- सोशल मीडिया मध्यस्थ।
- महत्त्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ।
- उपयोगकर्त्ताओं की संख्या के आधार पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मध्यस्थों को दो समूहों में विभाजित किया गया है:
- प्रमुख सोशल मीडिया मध्यस्थों द्वारा अतिरिक्त जांँच-पड़ताल/निरीक्षण का अनुपालन:
- मध्यवर्ती इकाइयों सहित सोशल मीडिया द्वारा नियमों में सुझाई गई जांँच-पड़ताल का पालन किया जाता तो उन पर सेफ हार्बर प्रावधान (Safe Harbour Provisions) लागू नहीं होंगे।
- सेफ हार्बर प्रावधानों को आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत परिभाषित किया गया है।
- शिकायत निवारण तंत्र की अनिवार्यता :
- मध्यस्थों को प्राप्त होने वाली शिकायतों के निस्तारण हेतु एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी और इस अधिकारी के नाम व संपर्क विवरण को साझा करना होगा।
- शिकायत अधिकारी भेजी जाने वाली शिकायत को 24 घंटे के भीतर प्राप्त करेगा तथा प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर इसका समाधान करना होगा।
- उपयोगकर्त्ताओं की ऑनलाइन सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करना:
- मध्यस्थों को कंटेंट की शिकायत मिलने के 24 घंटों के भीतर उसे हटाना होगा या उस तक पहुंँच को निष्क्रिय करना होगा जो किसी व्यक्ति की निजता को उजागर करते हों, किसी व्यक्ति को पूर्ण या आंशिक रूप से निर्वस्त्र या यौन क्रिया में दिखाते हों या बदली गई छवियों सहित छद्मरूप में दिखाते हों।
- ऐसी शिकायत या तो किसी व्यक्ति द्वारा या उसकी तरफ से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दर्ज कराई जा सकती है।
- प्रमुख सोशल मीडिया मध्यस्थों द्वारा अतिरिक्त जांँच-पड़ताल का पालन :
- नियुक्तियाँ: नए नियमों के अनुसार, मुख्य अनुपालन अधिकारी, एक नोडल संपर्क व्यक्ति और एक रेज़ीडेंट शिकायत अधिकारी को नियुक्त करने की आवश्यकता है तथा नियुक्त किये जाने वाले सभी व्यक्ति भारत के निवासी होने चाहिये।
- अनुपालन रिपोर्ट: एक मासिक अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित किये जाने की आवश्यकता है जिसमें प्राप्त शिकायतों का विवरण और शिकायतों पर की गई कार्रवाई का विवरण हो, साथ ही हटाई गई सामग्रियों का विवरण भी उल्लेखित हो।
- प्रवर्तक की पहचान सुनिश्चित करना:
- संदेश भेजने की प्रकृति में मुख्य रूप से सेवाएँ प्रदान करने वाले महत्त्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थों को सूचना देने से पहले प्रवर्तक की पहचान को सत्यापित करना होगा।
- यह भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित अपराधों की रोकथाम एवं उनका पता लगाने, जांँच, अभियोजन या सज़ा के प्रयोजन हेतु आवश्यक है।
गैर-कानूनी सूचना को हटाना:
अदालत के आदेश के रूप में या अधिकृत अधिकारी के माध्यम से एक उपयुक्त सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा अधिसूचित वास्तविक जानकारी मिलने पर मध्यस्थों द्वारा पोषित या ऐसी किसी जानकारी का प्रकाशन नहीं किया जाना चाहिये जो भारत की संप्रभुता और अखंडता, सार्वजनिक आदेश, दूसरे देशों के साथ मित्रवत संबंधों आदि के हित में किसी कानून के तहत निषेध हो।
समाचार प्रकाशकों, OTT प्लेटफॉर्म और डिजिटल मीडिया के लिये नियम:
- OTT हेतु:
- सामग्री का स्व-वर्गीकरण:
- नियमों के अनुसार, OTT प्लेटफॉर्म को ऑनलाइन चयनित सामग्री का प्रकाशक कहा जाता है, इस सामग्री को पाँच आयु आधारित श्रेणियों- U (यूनिवर्सल), U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+ और A (वयस्क) में वर्गीकृत किया जाएगा।
- पैरेंटल लॉक:
- U/A 13+ या उससे ऊपर की श्रेणी के लिये OTT प्लेटफॉर्म पर पैरेंटल लॉक का फीचर देना होगा और A श्रेणी के कंटेंट के लिये आयु को वेरिफाई करने का बेहतर मैकेनिज़्म तैयार करना होगा।
- ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट के प्रकाशक को हर कंटेंट या कार्यक्रम के साथ कंटेंट विवरणी में प्रमुखता से वर्गीकृत रेटिंग का उल्लेख करते हुए उपयोगकर्त्ता को कंटेंट की प्रकृति बतानी होगी और हर कार्यक्रम की शुरुआत में दर्शक विवरणी (Viewer Description) प्रस्तुत कर कार्यक्रम देखने से पहले दर्शक को सोच-समझकर निर्णय लेने में सक्षम बनाना होगा।
- सामग्री का स्व-वर्गीकरण:
- डिजिटल मीडिया पर समाचार प्रकाशकों हेतु:
- समाचार प्रशासकों को डिजिटल मीडिया पर ‘भारतीय प्रेस परिषद’ के पत्रकारिता आचरण मानदंड और ‘केबल टेलीविज़न नेटवर्क विनियमन अधिनियम, 1995’ के तहत कार्यक्रमों पर नज़र रखनी होगी, ताकि ऑफलाइन (प्रिंट, टीवी) और डिजिटल मीडिया को एक समान वातावरण में उपलब्ध कराया जा सके।
- शिकायत समाधान तंत्र:
- नियमों के तहत स्व-विनियमन के विभिन्न स्तरों के साथ एक तीन स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया गया है।
- स्तर-I : प्रकाशकों द्वारा स्व-विनियमन
- स्तर-II : प्रकाशकों की स्व-विनियमित संस्थाओं का स्व-विनियमन
- स्तर-III : निगरानी तंत्र
- नियमों के तहत स्व-विनियमन के विभिन्न स्तरों के साथ एक तीन स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया गया है।
- प्रकाशकों द्वारा स्व-विनियमन:
- प्रकाशक को भारत में एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होगा, जो प्राप्त शिकायतों के समाधान के लिये जवाबदेह होगा।
- यह अधिकारी स्वयं द्वारा प्राप्त हर शिकायत पर 15 दिन के भीतर निर्णय लेगा।
- स्व-विनियमित संस्था:
- प्रकाशकों की एक या ज़्यादा स्व-विनियामकीय संस्थाएँ हो सकती हैं।
- ऐसी संस्था की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय का एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक स्वतंत्र प्रतिष्ठित व्यक्ति करेगा, जिसमें छह से अधिक सदस्य नहीं होंगे।
- इस संस्था को सूचना और प्रसारण मंत्रालय में पंजीकरण कराना होगा।
- यह संस्था प्रकाशक द्वारा पालन किये जा रहे आचार संहिता संबंधी नियमों की निगरानी करेगी और उन शिकायतों का समाधान करेगी, जिनका प्रकाशक द्वारा 15 दिन के भीतर समाधान नहीं किया गया है।
- निगरानी तंत्र :
- सूचना और प्रसारण मंत्रालय एक निगरानी तंत्र विकसित करेगा।
- यह आचार संहिताओं सहित स्व-विनियमित संस्थाओं हेतु एक चार्टर का प्रकाशन करेगा। यह शिकायतों की सुनवाई के लिये एक अंतर विभागीय समिति का गठन करेगा।
स्रोत- पीआईबी