2020 के लिये नई एकीकृत शिक्षा योजना : विशेषताएँ एवं महत्त्व | 29 Mar 2018
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा 01 अप्रैल, 2018 से 31 मार्च, 2020 के लिये नई एकीकृत शिक्षा योजना बनाने के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। प्रस्तावित योजना में, सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) और शिक्षक शिक्षण अभियान को समाहित कर दिया गया है। प्रस्तावित योजना के लिये 75 हज़ार करोड़ रुपए मंजूर किये गए हैं। यह राशि मौजूदा आवंटित राशि से 20 प्रतिशत अधिक है।
प्रमुख विशेषताएँ
- प्रस्तावित योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा’ के विज़न के परिप्रेक्ष्य में लाई गई है। इसका लक्ष्य पूरे देश में प्री-नर्सरी से लेकर बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा सुविधा सबको उपलब्ध कराने के लिये राज्यों की सहायता करना है।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में सतत् विकास के लक्ष्यों के अनुरूप नर्सरी से लेकर माध्यमिक स्तर तक सबके लिये समान रूप से समग्र और गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करना है।
- एकीकृत स्कूली शिक्षा योजना में शिक्षकों और प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने पर विशेष बल दिया गया है।
उद्देश्य
स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों के लिये योजना के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं-
- गुणवत्ता युक्त शिक्षा की व्यवस्था और छात्रों के सीखने की क्षमता में वृद्धि करना।
- स्कूली शिक्षा में सामाजिक और लैंगिक असमानता को पाटना।
- स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर समानता और समग्रता सुनिश्चित करना।
- स्कूली व्यवस्था में न्यूनतम मानक सुनिश्चित करना।
- शिक्षा के साथ व्यवसायीकरण प्रशिक्षण को बढ़ावा देना।
- नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार, 2009 को लागू करने के लिये राज्यों की मदद करना।
- राज्यों की शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषदों, शिक्षण संस्थाओं और ज़िला शिक्षण तथा प्रशिक्षण संस्थाओं (डीआईईटी) को शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिये नोडल एजेंसी के रूप में सशक्त एवं उन्नत बनाना।
इसका क्या प्रभाव होगा?
- इस योजना से राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को अपने उपलब्ध संसाधनों के हिसाब से अपनी प्राथमिकता तय करने और योजना के प्रावधान लागू करने का अवसर मिलेगा।
- इससे स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों में बच्चों के आगे शिक्षा ज़ारी रखने के मामलों में बढ़ोतरी होगी तथा बच्चों को अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के लिये सार्वभौमिक रूप से मौका मिलेगा।
- योजना का उद्देश्य बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें विभिन्न तरह के कौशल और ज्ञान में दक्ष बनाना है जो उनके सर्वांगीण विकास के साथ ही भविष्य में कार्यजगत में जाने और उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिये आवश्यक है।
- योजना से बजटीय आवंटन का बेहतर और मानव संसाधन तथा पूर्ववर्ती योजनाओं के लिये तैयार की गई संस्थागत संरचनाओं का प्रभावी इस्तेमाल हो सकेगा।
लाभ
- शिक्षा के संदर्भ में समग्र दृष्टिकोण विकसित होगा।
- पहली बार स्कूली शिक्षा के लिये उच्चतर माध्यमिक और नर्सरी स्तर की शिक्षा का समावेश हो सकेगा।
- सम्पूर्ण इकाई के रूप में स्कूलों का एकीकृत प्रबंधन सुनिश्चित होगा।
- गुणवत्ता युक्त शिक्षा पर ध्यान, सीखने की क्षमता को बेहतर बनाने पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा।
- शिक्षकों के क्षमता विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- शिक्षक-प्रशिक्षण गुणवत्ता सुधार के लिये एससीईआरटी जैसे शिक्षक शिक्षण संस्थाओं और डीआईईटी को सशक्त बनाने की दिशा में काम किया जा सकेगा।
- डीटीके चैनल, डिजिटल बोर्ड और स्मार्ट क्लासरूम के ज़रिये शिक्षा में डिजिटल प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा सकेगा।
- स्वच्छ विद्यालय की मदद के लिये स्वच्छता गतिविधियों की विशेष व्यवस्था सुनिश्चित की जा सकेगी।
- सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता सुधरेगी।
- बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने के लिये, कक्षा 6-8 से लेकर 12वीं कक्षा तक, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का उन्नयन किया जा सकेगा।
- स्कूलों में कौशल विकास पर विशेष बल दिया जाएगा।
- खेलो इंडिया के समर्थन में स्कूलों में खेलों और शारीरिक रूप से इस्तेमाल किये जाने वाले उपकरणों की व्यवस्था की जा सकेगी।
- शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े ब्लॉकों, चरमपंथ प्रभावित राज्यों, विशेष ध्यान देने वाले राज्यों/ज़िलों और सीमावर्ती इलाकों और विकास की आकाँक्षा वाले 115 जिलों को प्राथमिकता दी जाएगी।