शासन व्यवस्था
गत 4 वर्षों में शिक्षा क्षेत्र को मज़बूत बनाने हेतु की गई नई पहलें
- 22 Jun 2018
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा प्रदत्त एक जानकारी के अनुसार, बीते चार सालों के दौरान शिक्षा क्षेत्र को मज़बूत बनाने के लिये सरकार द्वारा बहुत-सी नई पहलें शुरू की गईं। एचआरडी मंत्रालय द्वारा बीते चार सालों में शिक्षा क्षेत्र को सुगम, गुणवत्तापूर्ण, विश्वसनीय, सभी के लिये समानतापूर्ण और किफायती बनाने के लिये व्यापक बदलाव किये गए हैं और साथ ही शोध एवं नवाचार को बढ़ावा दिया गया है।
मंत्रालय द्वारा शुरू की गई नई पहलों का विवरण
‘लर्निंग आउटकम्स’ नामक पहल
- नई पहल ‘लर्निंग आउटकम्स’ सीखने के परिणाम) को प्रत्येक साल हर विषय और कक्षा में विद्यार्थी द्वारा हासिल की गई क्षमताओं के एक बेंचमार्क के रूप में शुरू किया गया है।
- इसका उद्देश्य विद्यालयों, शिक्षकों और विद्यार्थियों में विश्वसनीयता पैदा करना, साथ ही विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है।
राष्ट्रीय मूल्यांकन सर्वेक्षण
- राष्ट्रीय मूल्यांकन सर्वेक्षण के अंतर्गत कक्षा 3, 5 और 8 के लगभग 22 लाख विद्यार्थी और कक्षा 10 के 15 लाख विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया गया।
- इस सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारियों को संबंधित क्षेत्र के मुख्यमंत्रियों, सांसदों और अधिकारियों के साथ साझा किया गया है, ताकि इस विषय में आवश्यक कदम उठाते हुए शिक्षा व्यवस्था को और अधिक प्रभावकारी बनाने की दिशा में प्रयास किये जा सकें।
नो-डिटेंशन (अवरोध रहित) नीति
- नो-डिटेंशन (अवरोध रहित) नीति के संबंध में मंत्रालय द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2017 को संसद में पहले ही पेश किया जा चुका है और प्रस्तावित संशोधन के तहत राज्यों को कक्षा 5 और 8 में विद्यार्थियों की परीक्षा करानी होगी।
- यदि कोई विद्यार्थी दूसरे प्रयास में भी असफल रहता है तो वह पढ़ाई जारी रख सकता है। इस प्रकार विद्यार्थी की पढ़ाई जारी रहने से उसके प्रदर्शन में सुधार होगा।
पाठ्यक्रम को दुरुस्त करने की दिशा में सरकार का प्रयास
- सरकार पाठ्यक्रम को दुरुस्त करने की दिशा में काम कर रही है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, प्रायोगिक ज्ञान, आजीविका के लिये आवश्यक कौशल शिक्षा, रचनात्मक कौशल और शारीरिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिये और ज़्यादा समय की ज़रूरत है।
- समग्र शिक्षा के अंतर्गत प्रत्येक साल बजट में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की जाएगी।
- इसके अतिरिक्त प्रत्येक दिन 11.4 विद्यालयों में 9.5 करोड़ बच्चों को ताज़ा खाना परोसा जाता है, जिस पर प्रतिवर्ष 17,000 करोड़ रुपए की लागत आती है। केंद्र सरकार भोजन, परिवहन लागत और भोजन को पौष्टिक बनाने के लिये ज़्यादा धनराशि के आवंटन के माध्यम से कार्यक्रम को मज़बूती प्रदान करने का प्रयास कर रही है।
उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी
- उच्च शिक्षा के मोर्चे पर बीते चार सालों के दौरान 141 विश्वविद्यालय, 14 आईआईआईटी, 7 आईआईएम, 7 आईआईटी और 1 एनआईटी खोला गया है। अगले 4 सालों के दौरान उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (Higher Education Financing Agency- HEFA) 1,00,000 करोड़ रुपए उपलब्ध कराएगी।
- 2022 तक ‘शिक्षा में बुनियादी ढाँचा और प्रणालियों को पुनर्जीवित करने’ (Revitalising Infrastructure & Systems in Education - RISE) की पहल के तहत इसका क्रियान्वयन किया गया है।
- उच्च शिक्षा संस्थानों की स्वायत्तता के संबंध में आईआईएम विधेयक पारित किया गया है, वहीं 60 से ज़्यादा विश्वविद्यालयों को ग्रेड आधारित स्वायत्तता दी गई है।
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (Rashtriya Uchhatar Shiksha Abhiyan - RUSA) के अंतर्गत बजट को तीन गुना बढ़ा दिया गया है।
- अंतर्राष्ट्रीयकरण के उद्देश्य से की गई एक अन्य पहल ज्ञान-शैक्षणिक नेटवर्क के लिये वैश्विक पहल के बारे में भी बात की गई है।
उत्कृष्टता और रैंकिंग
- उत्कृष्टता और रैंकिंग से संबंधित राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (National Institutional Ranking Framework-NIRF) को लगातार तीसरे साल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।
- यह संस्थानों के बीच गुणवत्ता और प्रतिस्पर्द्धा की भावना से युक्त एक बेंचमार्क बन गया है। इसमें 4,500 से ज़्यादा संस्थानों ने हिस्सा लिया।
स्वयं पोर्टल
- डिजिटल पहल के अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ संकायों के द्वारा 1,032 कोर्स के साथ स्वयं पोर्टल का शुभारंभ किया गया। इस परस्पर संवादात्मक शिक्षा कार्यक्रम का लाभ 2 मिलियन से ज़्यादा उपयोगकर्त्ता उठा रहे हैं।
- राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय के अंतर्गत 1.7 करोड़ डिजिटल पुस्तकों और पत्रिकाओं का ऑनलाइन पुस्तकालय उपलब्ध है। 32 लाख पंजीकृत उपयोगकर्त्ता मुफ्त में एनडीएल का लाभ उठा रहे हैं।
- नेशनल एकेडमिक डिपॉज़िटरी के अंतर्गत प्रमाण पत्रों और डिग्रियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में संग्रहित करने की सुविधा शुरू कर दी गई है। साथ ही सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में वाई-फाई की सुविधा भी शुरू कर दी गई है। लगभग 400 विश्वविद्यालय परिसरों और 10,000 महाविद्यालयों में वाई-फाई की सुविधा दे दी गई है।
इमप्रिंट इंडिया
- इमप्रिंट-1 और 2 के साथ शोध और नवाचार की पहलों का शुभारंभ कर दिया गया है। इस पहल के अंतर्गत सामाजिक महत्त्व के मुद्दों पर शोध परियोजनाओं के लिये सार्वजनिक वित्तपोषण की शुरुआत की गई है। साथ ही 323 परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन पहल
- स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन पहल के माध्यम से सामान्य समस्याओं का समाधान कराने के लिये महाविद्यालय के विद्यार्थियों को खुला आमंत्रण दिया गया है।
इस विषय में और अधिक जानकारी के लिये पढ़ें :
⇒ मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वार्षिक समीक्षा