भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों के लिये नया फ्रेमवर्क | 05 Aug 2021

प्रिलिम्स के लिये

भारतीय रिज़र्व बैंक, भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007, भुगतान प्रणाली ऑपरेटर

मेन्स के लिये

भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों के लिये नए फ्रेमवर्क की आवश्यकता एवं महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों द्वारा भुगतान एवं निपटान से संबंधित गतिविधियों के लिये एक रूपरेखा (फ्रेमवर्क) जारी की है।

  • यह फ्रेमवर्क भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के प्रावधानों के तहत जारी किया गया है।
  • भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 भारत में भुगतान प्रणालियों के लिये विनियमन और पर्यवेक्षण प्रदान करता है तथा RBI को उसके उद्देश्य और सभी संबंधित मामलों के लिये प्राधिकरण के रूप में नामित करता है।

भुगतान प्रणाली

  • भुगतान प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है जिसका उपयोग मौद्रिक मूल्य के हस्तांतरण के माध्यम से वित्तीय लेन-देन को निपटाने के लिये किया जाता है तथा इसमें विभिन्न तंत्र शामिल होते हैं जो एक पार्टी (भुगतानकर्त्ता) से दूसरे (प्रदाता) को धन के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करते हैं। 
  • एक भुगतान प्रणाली में प्रतिभागियों (संस्थाओं) व उपयोगकर्ताओं (ग्राहकों/पक्षकार), नियमों और विनियमों को शामिल किया जाता है जो इसके संचालन, मानकों एवं  प्रौद्योगिकियों को निर्देशित करते हैं जिन पर सिस्टम संचालित होता है।
  • भुगतान और निपटान प्रणाली के विनियमन एवं पर्यवेक्षण बोर्ड (BPSS), RBI के केंद्रीय बोर्ड की एक उप-समिति, भारत  में भुगतान प्रणाली पर नीति निर्माण करने वाली सर्वोच्च संस्था है।

भुगतान प्रणाली ऑपरेटर (PSO)

  • PSO अपने द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं और उन मॉडलों के निर्माण के आधार पर, जिन पर वे काम करते हैं, बड़े पैमाने पर अपने भुगतान और निपटान से संबंधित गतिविधियों को विभिन्न अन्य संस्थाओं को आउटसोर्स करते हैं।
  • यह एक संस्था है जिसे भुगतान प्रणाली के संचालन के लिये एक प्राधिकरण प्रदान किया गया है।

प्रमुख बिंदु

नया ढाँचा:

  • लाइसेंस प्राप्त गैर-बैंक भुगतान प्रणाली ऑपरेटर (PSOs), मुख्य प्रबंधन कार्यों को आउटसोर्स नहीं कर सकते हैं।
    • मुख्य प्रबंधन कार्यों में जोखिम प्रबंधन और आंतरिक लेखापरीक्षा, अनुपालन तथा निर्णय लेने के कार्य जैसे-KYC मानदंडों के अनुपालन का निर्धारण करना, शामिल है।
  • यह भारत या विदेश में स्थित सभी सेवा प्रदाताओं पर लागू होगा।

उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य ग्राहकों और आईटी-आधारित सेवाओं जैसे ऑनबोर्डिंग कार्यों सहित भुगतान तथा निपटान संबंधी गतिविधियों की आउटसोर्सिंग में जोखिमों के प्रबंधन के लिये न्यूनतम मानकों को स्थापित करना है।

आवश्यकता:

  • भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों और अधिकृत भुगतान प्रणालियों के प्रतिभागियों द्वारा आउटसोर्सिंग से जुड़े परिचालन जोखिम का एक संभावित क्षेत्र है।
    • भारत के तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र ने पिछले साल ग्राहकों के भुगतान डेटा को लक्षित करते हुए कई हाई-प्रोफाइल साइबर हमले देखे हैं, जैसे कि जसपे (Juspay), अपस्टॉक्स (Upstox) और मोबिक्विक (Mobikwik) पर।

संबंधित पूर्व की पहलें:

  • इससे पहले RBI ने उन नई संस्थाओं द्वारा भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों (PSO) में निवेश के संबंध में प्रतिबंध लगा दिया है जिनके पास मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण गतिविधियों से निपटने के लिये कमज़ोर उपाय हैं।

आगे की राह

  • चूँकि, विश्व स्तर पर 17 सबसे अधिक डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में से भारत दूसरा सबसे तेज़ डिजिटल एडेप्टर है और तेज़ी से डिजिटलीकरण हेतु साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये दूरंदेशी उपायों की आवश्यकता होती है।
  • कॉरपोरेट्स या संबंधित सरकारी विभागों के लिये यह महत्त्वपूर्ण है कि वे अपने संगठनों में कमियों का पता लगाएँ तथा उन कमियों को दूर करें और एक स्तरित सुरक्षा प्रणाली बनाएँ जिसमें विभिन्न चरणों के बीच सुरक्षा खतरे की खुफिया जानकारी साझा हो रही हो।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस