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जैव विविधता और पर्यावरण

मलेरिया के उपचार हेतु नई खोज

  • 01 Jun 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, संपूर्ण विश्व में मलेरिया से सालाना 400,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है। परंतु हाल ही में पश्चिम अफ्रीका (West Africa) में किये गए एक परीक्षण में यह पाया गया है कि आनुवांशिक रूप से संशोधित (Genetically Modified) कवक (Fungus) एक-डेढ़ महीने में मलेरिया (Malaria) को खत्म कर सकता है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • शोधकर्त्ताओं ने इस परीक्षण हेतु कवक का आनुवंशिक रूप से संशोधित प्रारूप मेथेरिज़म पिंग्सशेंस (Metarhizum Pingshaense) का उपयोग किया।
  • मेथेरिज़म पिंग्सशेंस स्वभाव से लचीला (Flexible) होता है इसलिये इसे आसानी से आनुवांशिक रूप संशोधित किया जा सकता है।
  • जब इस कवक को यह ज्ञात हो जाता है कि वह किसी मच्छर के ऊपर बैठा हो तो यह बहुत तेज़ी से प्रतिक्रिया करता है।
  • आनुवांशिक रूप से संशोधित कवक स्पाइडर नामक विष (Spider Toxin) का निर्माण करता है जिसके कारण 45 दिन के अंदर 99% मच्छरों का सफाया हो जाता है।
  • संशोधित कवक में आनुवंशिक निर्देश प्राप्त करने की क्षमता विकसित की गई है ताकि यह मच्छर के अंदर प्रवेश कर विष बनाना शुरू कर दे।
  • मच्छरों में टॉक्सिन का प्रवेश कराये जाने हेतु ऑस्ट्रेलियाई ब्लू माउंटेन फ़नल-वेब मकड़ी (Australian Blue Mountains funnel-web spider) के जहर का प्रयोग किया जाता है।
  • आनुवांशिक रूप से संशोधित कवक स्वाभाविक रूप से उन एनोफिलिस मच्छरों को संक्रमित करते हैं जो मलेरिया फैलाते हैं।
  • आनुवांशिक रूप से संशोधित कवक केवल मच्छरों को पैदा करने वाले कीट एवं  छल्ली (Mosquito’s Cuticle) में प्रवेश करते हैं, इसलिए यह कीटों के लाभदायक प्रजातियों जैसे कि मधुमक्खियाँ, ततैया इत्यादि के लिये किसी भी प्रकार का खतरा उत्पन्न नहीं करते।
  • मेथेरिज़म पिंग्सशेंस का परीक्षण प्रयोगशाला के अंदर प्रयोग में लाए जा रहे चादरों पर  किया गया।
  • इस शोध का परीक्षण एक गाँव में किया गया जहाँ मक्खियों के लिये प्रयुक्त 6,550 वर्ग फीट के जाल (Fly Net) का प्रयोग किया जाता था।
  • इस शोध की सत्यता जाँचने हेतु आनुवांशिक रूप से संशोधित कवक को जंगल में छोड़ा गया जो कि सफल रहा।
  • पूर्व में मलेरिया की रोकथाम हेतु कीटनाशकों (Insecticide) के प्रयोग से मच्छरों में  कीटनाशक-प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण हुआ है।
  • इस अनुसंधान ने मलेरिया की रोकथाम हेतु ट्रांसजेनिक अप्रोच (Transgenic Approach) में नया मार्ग प्रशस्त किया है।

स्रोत: द इकॉनमिक टाइम्स  

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