भारत और चीन के बीच संवाद के नए आधिकारिक चैनल | 07 Sep 2017
चर्चा में क्यों?
डोकलाम पठार (Doklam plateau) में सैनिक गतिरोध के बाद भारत और चीन संचार के नए आधिकारिक चैनल खोलकर अपने संबंधों को फिर से नई दिशा देने की कोशिश में लगे हैं, ताकि फिर से किसी छोटी-सी घटना को पूर्ण विकसित संकटों में तब्दील होने से रोका जा सके।
नया तंत्र
- भारत और चीन के बीच सामरिक वार्ता (strategic dialogue) के लिये पहले से ही एक तंत्र बना हुआ है। यह बातचीत समय-समय पर आयोजित होती है, परंतु अब यह नया तंत्र उसका पूरक होगा।
- चीन इस क्षेत्र की एक बड़ी शक्ति है और भारत भी एक बड़ी शक्ति बनने की महत्त्वाकांक्षा रखता है। अतः यह नया तंत्र वार्ता के अलावा हिन्द महासागर और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बीच एक तालमेल कायम रखने की कोशिश भी करेगा।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बातचीत के बाद बहुत उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच मुख्य संचार की गुणवत्ता में काफी सुधार होगा।
भारत की चिंताएँ
- भारत को चिंता है कि ब्रिक्स में नई शुरुआत के बावजूद चीन में आसन्न नेतृत्व परिवर्तन नई दिल्ली-बीजिंग संबंधों की गति को प्रभावित करेगा। इसी के साथ-साथ सीमा वार्ता पर चीन के विशेष प्रतिनिधि (China’s Special Representative) यांग जेयेची (Yang Jiechi) की भी सेवानिवृत्त होने की उम्मीद है।
- पाकिस्तान के जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के मुद्दे पर चीन की नीतियों में आए बदलाव का भी परीक्षण अक्टूबर में संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में होगा, जब संयुक्त राष्ट्र संघ की समिति 1267 इस पर विचार करेगी।
- ऐसी उम्मीद है कि पाकिस्तान के साथ संबंधों को बनाए रखते हुए बीजिंग मसूद अज़हर के मुद्दे पर अपनी दृष्टिकोण में थोड़ा बदलाव ला सकता है।
एक-दूसरे के प्रति शंका
- दोनों देशों के बीच समस्या यह है कि दोनों द्वारा किये गए कुछ कार्य एक-दूसरे के प्रति शंका पैदा करते हैं। जैसे- भारत की एक्ट ईस्ट नीति (Act-East policy) और चीन की बेल्ट और रोड पहल (Belt and Road Initiative) एक-दूसरे के लिये परेशानी का सबब हैं।
- भारत यदि जापान और अमेरिका के साथ मालावार नौसैनिक अभ्यास करता है तो चीन में इसे उसे घेरने का अभ्यास समझा जाता है।
- इसी तरह भारत की इंडो-पैसिफिक डॉक्ट्रिन (Indo-Pacific doctrine) को भी चीन में उसे अमेरिका और जापान के साथ घेरने का प्रयास समझा जाता है। इंडो-पैसिफिक डॉक्ट्रिन प्रशांत महासागर के द्वीप के बारे में है, जहाँ भारतीय समुदाय के लोग (डायस्पोरा) रहते हैं।
- इसी तरह दक्षिण चीन सागर में चीन के तेवर और दक्षिण एशिया में उसके द्वारा प्रभाव बढ़ाने के प्रयास भारत को चिंतित करते हैं। अतः इस अविश्वास को दूर करना दोनों के हित में है।
डोकलाम से आगे की राह
- भारत को डोकलाम के भूत को भुलाकर चीन के साथ नए सिरे से संबंधों को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिये। चीन एक बड़ी आर्थिक शक्ति है उसके साथ आर्थिक संबंधों को और मज़बूत बनाना भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- हाल ही में ज़ारी आर्थिक मामलों की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की आर्थिक स्थिति में इस समय गिरावट चल रही है। इस स्थिति से उभरने के लिये भारत को विदेशी निवेश की आवश्यकता है। चीन भारत में विदशी निवेश का एक बड़ा स्रोत बन सकता है। अतः चीन से विदेशी निवेश आकर्षित किया जा सकता है।
- इसके अलावा दोनों देश आपसी सहयोग के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को और अधिक न्याय सम्मत एवं समान बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।