नवीन लेखा प्रणाली मानक (IndAS) | 23 Mar 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रिज़र्व बैंक ने नवीन लेखा प्रणाली मानक (IndAs) के क्रियान्वयन को दूसरी बार स्थगित किया है। इसका अनुपालन 1 अप्रैल, 2019 से प्रस्तावित था।
मुख्य बिंदु
- इसे बैंकों द्वारा प्रयोग किये जाने के लिये बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 में संसोधन की आवश्यकता होगी। यह संसोधन अभी तक न हो पाने के कारण IndAS के अनुपालन को स्थगित करना पड़ा। इसके अतिरिक्त रिज़र्व बैंक द्वारा दिशा-निर्देशों का जारी न किया जाना भी इसके स्थगन का कारण है।
- यह ऋण-हानि प्रावधान (Loan-Loss Provision) के कारण बैंकों के अनुपालन भार में वृद्धि कर सकता है। जो संभावित साख हानि मॉडल (Credit Loss Model) पर आधारित है।
- IndAS के अनुपालन के लिये बैंकों को अपने सॉफ्टवेयर प्रणाली को परिवर्तित कर इसके अनुरूप करना होगा।
- रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित अन्य गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ व वित्तीय संस्थान वर्तमान वित्तीय वर्ष से IndAS का अनुपालन कर रहे हैं, जबकि भारतीय कंपनियाँ वर्ष 2016 से इस लेखा प्रणाली का प्रयोग कर रही हैं।
- यह बैंकों के वित्तीय बोझ में वृद्धि करेगा।
IndAS क्या है?
- IndAS एक लेखा प्रणाली है जो अंतर्राष्टीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानक के अनुरूप है।
- वर्ष 2016 में रिज़र्व बैंक ने इसके अनुपालन हेतु बैंकों के लिये मार्गदर्शन नोट जारी किया था।
स्रोत- बिज़नेस स्टैंडर्ड, हिंदुस्तान टाइम्स