भारत में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर | 16 Jul 2021
प्रिलिम्स के लिये:न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, गैर-संचारी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर मेन्स के लिये:न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के लिये ज़िम्मेदार कारक और उनसे निपटने के उपाय |
चर्चा में क्यों?
लैंसेट ग्लोबल हेल्थ (Lancet Global Health) में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में वर्ष 1990 से 2019 तक भारत में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से संबंधित मामलों का पहला व्यापक विश्लेषण प्रकाशित किया गया है।
- यह अध्ययन ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ स्टडी 2019 का एक हिस्सा है, जिसे इंडिया स्टेट लेवल डिज़ीज़ बर्डन इनिशिएटिव (India State-Level Disease Burden Initiative) द्वारा प्रकाशित किया गया था।
- इंडिया स्टेट लेवल डिज़ीज़ बर्डन इनिशिएटिव अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों के साथ-साथ इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research- ICMR) की एक संयुक्त पहल है।
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर/तंत्रिका संबंधी विकार
- अर्थ: न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर केंद्रीय और परिधीय तंत्रिका तंत्र (Central and Peripheral Nervous System) से संबंधित रोग हैं, दूसरे शब्दों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, कपाल तंत्रिकाएंँ, परिधीय तंत्रिकाएंँ, तंत्रिका जोड़, स्वायत्त तंत्रिका तंत्र, न्यूरोमस्कुलर जंक्शन और मांसपेशियों से संबंधित विकार।
- गैर-संचारी तंत्रिका संबंधी विकार: इसमें स्ट्रोक, सिरदर्द, मिरगी, सेरेब्रल पाल्सी, अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease ) और मस्तिष्क एवं केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का कैंसर, पार्किंसंस रोग (Parkinson’s Disease), मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple Sclerosis), मोटर न्यूरॉन रोग (Motor Neuron Diseases) व अन्य तंत्रिका संबंधी विकार शामिल होते हैं।
- संचारी तंत्रिका संबंधी विकार: इंसेफेलाइटिस (Encephalitis), मेनिनजाइटिस (Meningitis), टेटनस (Tetanus)।
- चोट से संबंधित तंत्रिका संबंधी विकार: दर्दनाक मस्तिष्क की चोटें, रीढ़ की हड्डी की चोटें।
प्रमुख बिंदु:
डेटा विश्लेषण:
- भारत में कुल रोगों में 10% योगदान न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का है।
- देश में गैर-संचारी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का बोझ बढ़ रहा है, जो मुख्य रूप से जनसंख्या की उम्र बढ़ने के कारण है।
- भारत में कुल विकलांगता समायोजित जीवन-वर्ष (Disability Adjusted Life-Years- DALY) में गैर-संचारी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का योगदान वर्ष 1990 में 4% से दोगुना होकर वर्ष 2019 में 8·2% हो गया और चोट से संबंधित न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का योगदान 0·2% से बढ़कर 0·6% हो गया है।
- विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (Disability-Adjusted Life Years- DALYs) समय से पहले मृत्यु के कारण खोए हुए जीवन के वर्षों की संख्या और बीमारी या चोट के कारण विकलांगता के साथ रहने वाले वर्षों की एक भारित माप है।
- जबकि संचारी रोगों ने पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुल न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के बोझ में योगदान दिया, अन्य सभी आयु समूहों में गैर-संचारी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का सबसे अधिक योगदान था।
- भारत में संक्रामक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का बोझ कम हो गया है, हालाँकि कम विकसित राज्यों में यह बोझ अधिक है।
राज्यवार परिदृश्य:
- इस अवधि के दौरान न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के मामलों में विकलांगता- समायोजित जीवन वर्षों (DALY) की उच्चतम दर देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों जैसे- पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, त्रिपुरा और असम में थी।
- वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में संचारी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे- इंसेफेलाइटिस, मेनिनजाइटिस व टेटनस की विकलांगता- समायोजित जीवन वर्ष (DALY) दर सर्वाधिक थी।
- वर्ष 2019 में भारत के दक्षिणी राज्यों जैसे- तमिलनाडु एवं केरल, इसके बाद पश्चिम में गोवा तथा उत्तर में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में क्षति से संबंधित न्यूरोलॉजिकल स्थितियों की विकलांगता-समायोजित जीवन वर्षों (DALY) की दर सर्वाधिक थी।
प्रमुख मस्तिष्क संबंधी विकार:
- स्ट्रोक, सिरदर्द विकार और मिर्गी भारत में स्नायविक विकारों के बोझ में प्रमुख योगदानकर्ता हैं।
- गैर-संचारी तंत्रिका संबंधी विकारों में स्ट्रोक भारत में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है, तथा डिमेंशिया (मनोभ्रंश) अत्यधिक तीव्र गति से प्रसारित होने वाला तंत्रिका/मस्तिष्क संबंधी विकार है।
- सिरदर्द प्रत्येक 3 में से 1 भारतीय को प्रभावित करने वाला सामान्य तंत्रिका संबंधी विकार है तथा इसे अक्सर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता के संदर्भ में उपेक्षित किया जाता है।
- माइग्रेन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है, जो कामकाजी उम्र की आबादी में वयस्कों को बहुत प्रभावित करता है।
तंत्रिका संबंधी रोगों के लिये ज़िम्मेदार कारक:
- न्यूरोलॉजिकल विकारों के लिये ज्ञात जोखिम कारकों में बोझ, उच्च रक्तचाप, वायु प्रदूषण, आहार संबंधी जोखिम, प्लाज़्मा ग्लूकोज़ और उच्च बॉडी-मास इंडेक्स प्रमुख योगदानकर्त्ता हैं।
आगे की राह:
- प्रत्येक राज्य में तंत्रिका विज्ञान सेवाओं की योजना: इस अध्ययन में प्रत्येक राज्य में तंत्रिका संबंधी विकारों के बोझ को कम करने के लिये जागरूकता बढ़ाने, शीघ्र पहचान, लागत प्रभावी उपचार और अन्य प्रयासों के बीच पुनर्वास का आह्वान किया गया है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे के रूप में सिरदर्द: सिरदर्द, विशेष रूप से माइग्रेन को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में पहचाना जाना चाहिये और इसे राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग कार्यक्रम के तहत शामिल किया जाना चाहिये।
- तंत्रिका विज्ञान कार्यबल को सुदृढ़ बनाना: प्रशिक्षित न्यूरोलॉजी कार्यबल की कमी को दूर करने और देश में तंत्रिका संबंधी विकारों का शीघ्र पता लगाने तथा लागत प्रभावी प्रबंधन को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
- सुरक्षित जन्म को बढ़ावा देना: सुरक्षित जन्म पर ध्यान केंद्रित करने वाली नीतियाँ और प्रथाएँ, सिर की चोट और स्ट्रोक को रोकने से मिर्गी को रोकने में मदद मिलेगी।