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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

नेत्रा परियोजना और अंतरिक्ष मलबा

  • 31 Mar 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस (नेत्रा) प्रोजेक्ट, एंटी-सैटेलाइट सिस्टम (ASAT), अंतरिक्ष मलबा, केसलर सिंड्रोम, स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस (SSA)।

मेन्स के लिये:

अंतरिक्ष कचरा, एक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भारत, वैज्ञानिक नवाचार और खोज।

चर्चा में क्यों?

अंतरिक्ष मलबे के रूप में अंतरिक्ष में भारतीय संपत्ति के लिये बढ़ते खतरे को देखते हुए ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (इसरो) अपनी कक्षीय मलबे की ट्रैकिंग क्षमता का निर्माण कर रहा है।

  • इस अभियान में ‘स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस’ (नेत्रा) परियोजना के लिये नेटवर्क के तहत एक प्रभावी निगरानी और ट्रैकिंग नेटवर्क स्थापित करने के हिस्से के रूप में 1,500 किलोमीटर की दूरी के साथ अंतरिक्ष मलबे पर नज़र रखने वाले रडार एवं एक ऑप्टिकल टेलीस्कोप को शामिल किया जाएगा।

अंतरिक्ष मलबा:

  • अंतरिक्ष मलबे में प्रयोग किये गए रॉकेट, निष्क्रिय उपग्रह, अंतरिक्ष निकायों के टुकड़े और एंटी-सैटेलाइट सिस्टम (ASAT) से उत्पन्न मलबा शामिल होता है।
  • लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में 27,000 किमी प्रति घंटे की औसत गति से टकराती हुई ये वस्तुएँ अत्यधिक गंभीर खतरा पैदा करती हैं, क्योंकि इस टक्कर में सेंटीमीटर आकार के टुकड़े भी उपग्रहों के लिये घातक साबित हो सकते हैं।
  • अंतरिक्ष मलबा परिचालन उपग्रहों के लिये भी एक संभावित खतरा है और उनसे टकराने से उपग्रह निष्क्रिय हो सकते हैं।
    • इसे केसलर सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है, जिसका नाम वर्ष 1978 में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के वैज्ञानिक डोनाल्ड केसलर के नाम पर रखा गया था।
    • इस सिद्धांत के मुताबिक, यदि कक्षा में बहुत अधिक अंतरिक्ष मलबा मौजूद है, तो इसके परिणामस्वरूप एक ‘डोमिनो इफेक्ट’ उत्पन्न हो सकता है, जहाँ अधिक-से-अधिक वस्तुएँ टकराएंगी और इस प्रक्रिया में नए अंतरिक्ष मलबे का निर्माण होगा।

नेत्रा परियोजना और इसका महत्त्व:

  • परिचय: ‘नेत्रा परियोजना' भारतीय उपग्रहों के लिये मलबे और अन्य खतरों का पता लगाने हेतु अंतरिक्ष में एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली है।
    • परिचालन के पश्चात् यह भारत को अन्य अंतरिक्ष शक्तियों की तरह स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस (SSA) की क्षमता प्रदान करेगी।
  • आवश्यकता: विभिन्न देशों द्वारा अधिक-से-अधिक उपग्रहों को लॉन्च किया जा रहा है, जो कि रणनीतिक या व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं और भविष्य में इनका आपस में टकराव काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
    • अपनी अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा के लिये इसरो को वर्ष 2021 में 19 ‘कोलिज़न अवॉइडेंस मनूवर (CAM) करने के लिये मजबूर किया गया था।
  • कार्य पद्धति: नेत्रा के तहत इसरो ने कई अवलोकन सुविधाएँ स्थापित करने की योजना बनाई है: जिसमें कनेक्टेड रडार, टेलीस्कोप, डेटा प्रोसेसिंग यूनिट और एक नियंत्रण केंद्र आदि शमील हैं।
  • लाभ: नेत्रा 10 सेमी जितना छोटा है और यह 3,400 किमी की सीमा तक और लगभग 2,000 किमी की अंतरिक्ष कक्षा के बराबर वस्तुओं की खोज, उन्हें ट्रैक और कैटलॉग कर सकता है।
    • नेत्रा का प्रयास भारत के लिये अंतरिक्ष मलबे पर नज़र रखने, उसके बारे में चेतावनी देने और उसे कम करने की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का हिस्सा बना देगा।
    • इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि SSA के कई सैन्य लाभ भी हैं और यह देश की समग्र सुरक्षा- वायु, अंतरिक्ष या समुद्र के हमलों के खिलाफ देश की रक्षा कर सकता है।
    • यह हमारी अंतरिक्ष संपत्ति और बल गुणक की सुरक्षा के लिये एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है।

वर्तमान स्थिति:

  • मुद्रा एसएसए क्षमता: वर्तमान में भारत श्रीहरिकोटा रेंज (आंध्र प्रदेश) में एक मल्टी ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रडार का उपयोग करता है, लेकिन इसकी एक सीमित सीमा है।
    • इसके अलावा SSA के लिये भारत नोराड और सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध अन्य डेटा पर निर्भर है।
    • हालाँकि ये प्लेटफॉर्म सटीक (या व्यापक) जानकारी प्रदान नहीं करते हैं।
    • नोराड या उत्तरी अमेरिकी एयरोस्पेस डिफेंस कमांड, यू.एस. और कनाडा की एक पहल है जो कई देशों के साथ चुनिंदा मलबे संबंधी डेटा को साझा करती है।
  • कार्यान्वयन एजेंसी: अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता (SSA) की दिशा में इसरो के प्रयासों को बंगलूरू में एसएसए नियंत्रण केंद्र द्वारा समन्वित किया जाता है और इसरो मुख्यालय में अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता एवं प्रबंधन निदेशालय द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
  • वैश्विक पहल: क्लियरस्पेस-1 (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का), जो 2025 में लॉन्च होने वाला है, कक्षा से मलबे को खत्म करने वाला पहला अंतरिक्ष मिशन होगा।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हाल ही में खबरों में रहा "भुवन" क्या है? (2010)

(A) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये इसरो द्वारा लॉन्च किया गया एक छोटा उपग्रह
(B) चंद्रयान-II के लिये अगले मार्स प्रोब को दिया गया नाम
(C) 3डी इमेजिंग क्षमताओं के साथ इसरो का एक जियोपोर्टल
(D) भारत द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष दूरबीन

उत्तर: (C)

  • भुवन इसरो द्वारा विकसित एक जियोपोर्टल है जो पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र की उच्च रिज़ॉल्यूशन इमेजरी तक मुफ्त पहुँच प्रदान करने पर केंद्रित है।

स्रोत: द हिंदू

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