नेपाल द्वारा बाउंड्री वर्किंग ग्रुप की बैठक का प्रस्ताव | 21 Aug 2020
प्रिलिम्स के लियेबाउंड्री वर्किंग ग्रुप, कैलाश मानसरोवर मार्ग मेन्स के लिये:भारत-नेपाल सीमा विवाद |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद के समाधान पर चर्चा के लिये नेपाल द्वारा अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत में दोनों देशों के बीच ‘बाउंड्री वर्किंग ग्रुप’ (Boundary Work Group- BWG) की बैठक के आयोजन का प्रस्ताव किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- भारत और नेपाल के बीच सीमा रेखा को लेकर बढ़े विवाद के बीच हाल में द्विपक्षीय संबंधों में सुधारों के प्रयास तेज़ हुए हैं।
- गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद बढ़ने के बाद 15 अगस्त, 2020 को नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने भारतीय प्रधानमंत्री से टेलीफोन से बातचीत की थी।
- दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच हुई वार्ता के पश्चात 17 अगस्त को नेपाल में भारत सरकार के सहयोग से चल रही परियोजनाओं की समीक्षा के लिये दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों के बीच ‘निगरानी तंत्र’ (Oversight Mechanism- OSM) की बैठक का आयोजन किया गया था।
पृष्ठभूमि:
- गौरतलब है कि मई, 2020 में भारतीय रक्षा मंत्री द्वारा उत्तराखंड के धारचूला (Dharchula) को लिपुलेख दर्रे (Lipulekh Pass) से जोड़ने वाले कैलाश मानसरोवर मार्ग के उद्घाटन के बाद नेपाल ने इसका विरोध किया था।
- इसके पश्चात मई माह में ही नेपाल सरकार द्वारा अपने देश का एक विवादित राजनीतिक मानचित्र जारी किया था, जिसमें उसने उत्तराखंड के कालापानी (Kalapani), लिंपियाधुरा (Limpiyadhura) और लिपुलेख (Lipulekh) को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा बताया था।
- जून, 2020 में नेपाल की संसद के निचले सदन में इस विवादित मानचित्र को बहुमत से संवैधानिक मान्यता प्रदान कर दी गई थी।
‘बाउंड्री वर्किंग ग्रुप’ (Boundary Work Group- BWG):
- ‘बाउंड्री वर्किंग ग्रुप’, भारत और नेपाल सरकार द्वारा गठित एक संयुक्त एजेंसी है।
- इस एजेंसी का गठन वर्ष 2014 में किया गया था।
- BWG के गठन का उद्देश्य भारत नेपाल सीमा पर निर्माण से संबंधित कार्य करना है, जिसमें- सीमा स्तंभों की मरम्मत, दोनों देशों की सीमा के बीच निर्धारित ‘नो-मेन्स लैंड’ (No-Man’s Land) की सफाई/निगरानी और अन्य तकनीकी कार्य शामिल हैं।
पूर्व में आयोजित ‘बाउंड्री वर्किंग ग्रुप’ की बैठकें:
- इस एजेंसी की स्थापना के बाद से अब तक इसकी 6 बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं।
- BWG की अंतिम बैठक 28 अगस्त, 2019 को देहरादून में आयोजित की गई थी।
- वर्ष 2017 में आयोजित एक बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने अगले पाँच वर्षों में सीमा कार्य को पूरा करने और इसके निष्पादन की प्रक्रिया पर एक व्यापक योजना तैयार की थी।
बाउंड्री वर्किंग ग्रुप की बैठकों का महत्त्व:
- BWG की बैठक, दोनों पक्षों के बीच आयोजित की जाने वाली विदेश सचिव स्तर की बैठकों से अलग होती है, हालाँकि सीमा कार्य की समीक्षा करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण तंत्र है।
- BWG बैठकों में भारतीय पक्ष का नेतृत्व ‘भारत के महासर्वेक्षक’ (The Surveyor General of India) द्वारा किया जाता है।
- BWG से प्राप्त जानकारियाँ सरकारों के लिये बहुत ही महत्त्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि इन जानकारियों को ज़मीनी स्तर पर किये गए सर्वेक्षणों के आधार पर तैयार किया जाता है।
प्रभाव:
- 15 अगस्त को दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच हुई वार्ता और 17 अगस्त को दोनों पक्षों के बीच आयोजित बैठकों के बाद सीमा विवाद को सुलझाने के लिये द्विपक्षीय वार्ता का रास्ता और भी आसान हुआ है।
- दोनों पक्ष BWG के कार्यों की समीक्षा के लिये उपग्रहों से प्राप्त तस्वीरों, ड्रोन सर्वेक्षण जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग कर सकेंगे।
- दोनों देशों के बीच BWG की इस बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित किये जाने की उम्मीद है, हालाँकि पिछले तीन महीनों के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में आए तनाव के बीच यह बैठक बहुत ही महत्त्वपूर्ण होगी।
आगे की राह:
- 15 अगस्त को भारत और नेपाल के प्रधानमंत्रियों की टेलीफोन वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने भविष्य में द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा जारी रखने पर सहमति व्यक्त की थी, जो द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति के लिये एक सकारात्मक संकेत है।
- हालाँकि हाल के वर्षों में चीन के साथ नेपाल की बढ़ती निकटता को देखते हुए भारत को अपनी विदेशी नीति पर विचार करना चाहिये।
- भारत और नेपाल के संबंध की मज़बूती में सरकारों के साथ-साथ दोनों देशों के नागरिकों का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है, ऐसे में भारत सरकार को नेपाल में शुरू की गई विकास योजनाओं को समय से पूरा करने का प्रयास करना चाहिये तथा इस बात पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये कि इन योजनाओं का लाभ नेपाल की आम जनता तक पहुँच सके।