भूगोल
नियोटेथिस महासागरीय प्लेट और विवर्तनिकी संचलन
- 19 Feb 2025
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प्रिलिम्स के लिये:नियोटेथिस महासागरीय प्लेट, ज़ाग्रोस पर्वत, अरब और यूरेशियन महाद्वीपीय प्लेटें, प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत, महाद्वीप निर्माण। मेन्स के लिये:महाद्वीप निर्माण में प्लेट विवर्तनिकी और भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं की भूमिका, विवर्तनिकी बल और भू-आकृतियों का विकास, हिमालय के निर्माण में प्लेट विवर्तनिकी्स की भूमिका और इसका वर्तमान प्रभाव। |
स्रोत: एसडी
चर्चा में क्यों?
एक अध्ययन के अनुसार, प्लेटों की गति के कारण प्राचीन नियोटेथिस महासागरीय प्लेट, जो पहले अरब और यूरेशियाई महाद्वीपीय विवर्तनिकी प्लेटों के बीच स्थित थी, पश्चिम एशिया में ज़ाग्रोस पर्वत के नीचे विखंडित हो रही है।
- इसका प्रभाव क्षेत्रीय भूगोल, भूकंप और संसाधन वितरण पर पड़ता है, तथा पृथ्वी की गहन विवर्तनिकी प्रक्रियाओं के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्राप्त होती है।
नियोटेथिस महासागरीय प्लेट क्या है?
- पैंजिया के विघटन के दौरान, नियोटेथिस महासागर के समुद्र तल का निर्माण नियोटेथिस महासागरीय प्लेट, जो एक प्राचीन महासागरीय प्लेट है, द्वारा हुआ।
- जैसे-जैसे अरब और यूरेशियाई प्लेटें समय के साथ एक-दूसरे के करीब आती गईं, यह यूरेशियाई महाद्वीप के नीचे पृथ्वी के मेंटल में समा गई।
अरेबियन प्लेट:
- अरेबियन प्लेट उत्तरी और पूर्वी गोलार्द्ध में एक छोटी विवर्तनिकी प्लेट है, जो अफ्रीकी और भारतीय प्लेटों के साथ उत्तर की ओर बढ़ रही है।
- यूरेशियन प्लेट के साथ पर्वत निर्माण में इसकी प्रमुख भूमिका रही है, जिसने ज़ाग्रोस पर्वत, अल्बोरज़ पर्वत, ईरानी पठार, हिमालय तथा दक्षिणी यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया में अन्य पर्वतमालाओं के उत्थान में योगदान दिया है।
- ज़ाग्रोस पर्वत के अधिक वजन के कारण आसपास की भूमि निचे की और खिसक गई, जिससे मेसोपोटामिया तलछटी बेसिन का निर्माण हुआ।
यूरेशियन प्लेट:
- यूरेशियन प्लेट एक प्रमुख विवर्तनिकी प्लेट है, जो यूरोप, रूस और एशिया के कुछ हिस्सों को कवर करती है , तथा इसकी सीमाएं उत्तरी अमेरिकी, अफ्रीकी, अरब, भारतीय और सुंडा प्लेटों के साथ साझा करती हैं।
- पश्चिम में उत्तरी अमेरिकी प्लेट के साथ इसकी सीमा अलग है तथा यह 0.25 से 0.5 इंच प्रति वर्ष की औसत गति से आगे बढ़ रहा है, जिससे आइसलैंड 2.5 सेमी प्रति वर्ष अलग हो रहा है।
प्लेट विवर्तनिकी और संचलन क्या है?
- प्लेट विवर्तनिकी (जिसे लिथोस्फेरिक प्लेट भी कहा जाता है) महाद्वीपीय और महासागरीय प्लेटों द्वारा निर्मित ठोस चट्टान का एक विशाल, अनियमित आकार का स्लैब है।
- महाद्वीपीय प्लेटें पृथ्वी के भू-भाग का निर्माण करती हैं, जबकि महासागरीय प्लेटें महासागरीय तल के नीचे स्थित होती हैं।
- महासागरीय प्लेटें सघन बेसाल्टिक चट्टानों से निर्मित अभिसारी सीमाओं पर महाद्वीपीय प्लेटों के नीचे स्थित हैं, जबकि महाद्वीपीय प्लेटों का निर्माण हल्की ग्रेनाइट चट्टानों से हुआ है।
- बड़ी और छोटी विवर्तनिकी प्लेटें: पृथ्वी का स्थलमंडल 7 बड़ी और कई छोटी प्लेटों में विभाजित है।
- बड़ी प्लेटें: अंटार्कटिक प्लेट, उत्तरी अमेरिकी प्लेट, दक्षिण अमेरिकी प्लेट, प्रशांत प्लेट, इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट, अफ्रीकी प्लेट, यूरेशियन प्लेट।
- छोटी प्लेटें : कोकोस प्लेट, नज़का प्लेट, अरेबियन प्लेट, फिलीपीन प्लेट, कैरोलीन प्लेट, फिजी प्लेट, ज्वान डी फ्यूका प्लेट आदि।
- विवर्तनिकी प्लेट संचलन:
- प्लेटों का संचलन: विवर्तनिकी प्लेटें स्थिर नहीं होती हैं, बल्कि ये दुर्बलतामंडल पर क्षैतिज रूप से चलायमान होती हैं।
- इनकी परस्पर क्रिया (टकराना, अलग होना या एक दूसरे के ऊपर से घर्षण करना) के परिणामस्वरूप भूगर्भीय घटनाएँ होती हैं जैसे भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट।
- संचलन की दर: विवर्तनिकी प्लेटें अलग-अलग गति से चलायमान हैं। आर्कटिक रिज की गति सबसे कम है (<2.5 सेमी/वर्ष), जबकि दक्षिण प्रशांत में ईस्ट पैसिफिक राइज़ की गति सबसे अधिक है (>15 सेमी/वर्ष)।
- प्रेरक शक्ति: यह गति मेंटल की संवहन धाराओं से प्रेरित होती है, जो पृथ्वी के निर्माण से उत्पन्न प्रारंभिक ऊष्मा और थोरियम एवं यूरेनियम जैसे समस्थानिकों के रेडियोधर्मी क्षय के कारण उत्पन्न होती है।
- गर्म पदार्थ के ऊपर उठने, फैलने एवं ठंडा होने से एक सतत् चक्र के माध्यम से प्लेट संचलन होता है।
- प्लेटों का संचलन: विवर्तनिकी प्लेटें स्थिर नहीं होती हैं, बल्कि ये दुर्बलतामंडल पर क्षैतिज रूप से चलायमान होती हैं।
- विवर्तनिकी प्लेट सीमाएँ:
- अभिसारी सीमाएँ (विनाशकारी सीमाएँ): इन सीमाओं पर प्लेटों के टकराने के परिणामस्वरूप भूमि धँसाव, पर्वत निर्माण तथा ज्वालामुखी चाप का निर्माण होता है।
- महासागरीय-महाद्वीपीय अभिसरण: सघन महासागरीय प्लेट महाद्वीपीय प्लेट के नीचे धँस जाती है (उदाहरण के लिए, ज्वान डी फ्यूका प्लेट का उत्तरी अमेरिकी प्लेट के नीचे धँस जाना)।
- महासागरीय-महासागरीय अभिसरण: सघन प्लेट के नीचे की ओर धँस जाने से गहरी खाइयाँ एवं द्वीप चाप बनते हैं (जैसे, मारियाना ट्रेंच)।
- महाद्वीपीय-महाद्वीपीय अभिसरण: इनके टकराव के परिणामस्वरूप पर्वत निर्माण होता है (उदाहरण के लिए, भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव के कारण हिमालय का निर्माण)।
- अपसारी सीमाएँ (रचनात्मक सीमाएँ): इसमें प्लेटें अलग हो जाती हैं, जिससे नई भूपर्पटी के निर्माण के साथ समुद्रतल का विस्तार होता है और दरार घाटियाँ बनती हैं।
- महासागरीय अपसरण: इससे मध्य-महासागरीय कटक बनते हैं (जैसे, मध्य-अटलांटिक कटक)।
- महाद्वीपीय अपसरण: इससे दरार घाटियाँ बनती हैं (उदाहरण के लिए, अफ्रीका की महान दरार घाटी)।
- रूपांतरण सीमाएँ: इसमें प्लेटें भूपर्पटी का निर्माण या विनाश किए बिना एक दूसरे के ऊपर से गति करती हैं।
- इससे प्रायः भ्रंश के साथ संचित ऊर्जा के कारण भूकंप आते हैं (उदाहरण के लिए, कैलिफोर्निया में सैन एंड्रियास भ्रंश)।
- अभिसारी सीमाएँ (विनाशकारी सीमाएँ): इन सीमाओं पर प्लेटों के टकराने के परिणामस्वरूप भूमि धँसाव, पर्वत निर्माण तथा ज्वालामुखी चाप का निर्माण होता है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: Q. अभिसारी, अपसारी और रूपांतरित प्लेट सीमाएँ क्या हैं? भूकंपीय गतिविधि एवं प्राकृतिक आपदाओं को समझने के क्रम में इनके महत्त्व पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित में से किस घटना ने जीवों के विकास को प्रभावित किया होगा? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न: 'महाद्वीपीय विस्थापन ' के सिद्धांत से आप क्या समझते हैं? इसके समर्थन में प्रमुख प्रमाणों की विवेचना कीजिये। (2013) |