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नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंटस (संशोधन) बिल-2017

  • 05 Jan 2018
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?
चेक बाउंस से संबंधित मामलों में कार्रवाई में होने वाले विलंब को कम करने और ऐसे मामलों में प्राप्तकर्त्ता (payee) के लिये अंतरिम राहत प्रदान करने के उद्देश्य से परक्राम्य लिखत (संशोधन) विधेयक 2017, (Negotiable Instruments Bill) को हाल ही में लोकसभा में प्रस्तुत किया गया।
चेक से जुड़े मुकदमों में होने वाली देरी से चेक द्वारा लेन-देन की प्रक्रिया को अपनाने से लोग बचना चाहते हैं। 

प्रमुख बिंदु:

  • नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट अधिनियम, 1881 के ऑब्जेक्ट्स एंड रीज़न बिल- 2017  में इस तरह संशोधन करने का प्रस्ताव है कि चेक बाउंस के मामलों में अनुचित विलंब  न हो और भुगतानकर्त्ताओं को अंतरिम राहत मिल सके। 
  • चेक बाउंस की अनावश्यक मुकदमेबाज़ी को हतोत्साहित करने से समय और धन की बचत होगी। 
  • प्रस्तावित संशोधन से उम्मीद है कि यह बैंकों सहित ऋण संस्थानों, अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को वित्तपोषण जारी रखने के लिये सामान्य तौर पर चेक और साझेदारी व्यापार और वाणिज्य की विश्वसनीयता को मज़बूत करेगा।
  • इस संशोधन के अनुसार अंतरिम राहत चेक की कुल राशि के 20% से अधिक नहीं होगी। 
  • इस अधिनियम की नई धारा 143-A के अंतर्गत अदालत चेक देने वाले पक्ष से, भुगतान प्राप्तकर्त्ता को चेक में दर्ज कुल राशि का 20% अंतरिम मुआवज़ा तत्काल देने के लिये कह सकती है। 
  • इस अधिनियम के संशोधनों के पारित हो जाने से चेक द्वारा भुगतान-प्रक्रिया के प्रति लोगों की विश्वसनीयता बनी रहेगी। 
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