शासन व्यवस्था
देश में जल संकट पर नीति आयोग की रिपोर्ट
- 15 Jun 2018
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चर्चा में क्यों?
नीति आयोग द्वारा जारी ‘समग्र जल प्रबंधन सूचकांक’ के मुताबिक, भारत अपने इतिहास में सबसे खराब जल संकट की स्थिति का सामना कर रहा है और लाखों लोगों की आजीविका खतरे में है। नीति आयोग के द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि इस समय देश में 60 करोड़ लोग जल समस्या से जूझ रहे हैं| वहीं स्वच्छ जल उपलब्ध न होने के कारण हर साल करीब दो लाख लोगों की मौत हो जाती है| रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक देश में जल की मांग आपूर्ति के मुकाबले दोगुनी होने और देश के जीडीपी में 6% की कमी होने का अनुमान है| इससे करोड़ों लोगों के सामने जल संकट की स्थिति उत्पन्न होगी|
समग्र जल प्रबंधन सूचकांक के प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट के अनुसार देश की सबसे बड़ी समस्या जल प्रबंधन की है। इस रिपोर्ट ने प्रतिबिंबित किया है कि जिन राज्यों ने पानी को सही तरीके से प्रबंधित किया है, उन्होंने उच्च कृषि वृद्धि दर प्रदर्शित की है।
- मध्य प्रदेश में 22-23 फीसदी की वृद्धि दर है, जबकि गुजरात में 18 फीसदी की वृद्धि दर है। इसका मतलब है कि ग्रामीण और कृषि अर्थव्यवस्थाओं ने बेहतर विकास किया है, साथ ही प्रवास को कम किया है और शहरी आधारभूत संरचना पर दबाव कम किया है।
- जल प्रबंधन के मानकों पर राज्यवार प्रदर्शन रिपोर्ट, 2016-2017 के संदर्भ में गुजरात पहले स्थान पर है, इसके बाद मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र हैं।
- सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और झारखंड हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार ऐसे राज्य हैं जहाँ दूषित पानी के शोधन की क्षमता विकसित ही नहीं की गई है। भू-जल के इस्तेमाल का नियमन भी इन राज्यों में नहीं है। वहीं, ग्रामीण बसावट में साफ पेयजल की आपूर्ति लगभग नगण्य है।
- MoWR के एकीकृत जल संसाधन विकास के लिये राष्ट्रीय आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, उच्च उपयोग परिदृश्य में 2050 तक पानी की आवश्यकता 1,180 BCM होने की संभावना है, जबकि वर्तमान में उपलब्धता मात्र 695 BCM है।
- देश में प्रस्तावित जल की मांग 1137 BCM की तुलना में अभी भी काफी कम है|
- रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे जल संसाधनों और उनके उपयोग के लिये हमारी समझ को बढ़ाने और ऐसी जगहों पर हस्तक्षेप करने की तत्काल आवश्यकता है जहाँ पानी को स्वच्छ और टिकाऊ बनाया जा सके|
- सूचकांक (2015-16 स्तर से अधिक) में वृद्धिशील परिवर्तन के मामले में, राजस्थान अन्य सामान्य राज्यों में पहले स्थान पर है, जबकि उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों में त्रिपुरा पहले स्थान पर है।
- आयोग ने भविष्य में इन रैंकों को वार्षिक आधार पर प्रकाशित करने का प्रस्ताव दिया है|
- सूचकांक में 28 विभिन्न संकेतकों के साथ नौ व्यापक क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें भू-जल के विभिन्न पहलुओं, जल निकायों की बहाली, सिंचाई, कृषि प्रथाओं, पेयजल, नीति और शासन शामिल हैं।
- विश्लेषण के प्रयोजन के लिये विभिन्न जलविद्युत स्थितियों के कारण राज्यों को दो विशेष समूहों - 'उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों' तथा 'अन्य राज्यों' में बाँटा गया था।
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सूचकांक राज्यों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों / विभागों के लिये उपयोगी जानकारी प्रदान करेगा, जिससे उन्हें जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिये उपयुक्त रणनीति तैयार और कार्यान्वित करने में सक्षम बनाया जा सकेगा।