राष्ट्रीय संकट प्रबंधन प्रतिक्रिया ढाँचे की आवश्यकता | 20 Oct 2023

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, इज़रायल-फिलिस्तीन

मेन्स के लिये:

सुरक्षा चुनौतियाँ और उनका प्रबंधन, सुरक्षा बल तथा उनका अधिदेश, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में इज़रायल में हुए हमले के मद्देनज़र भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड निदेशक ने चरम आतंकवादी परिदृश्यों के लिये संकट प्रबंधन प्रतिक्रिया ढाँचे के निर्माण के महत्त्व पर ज़ोर दिया है।

राष्ट्रीय संकट प्रबंधन प्रतिक्रिया ढाँचे की आवश्यकता:

  • अप्रत्याशित खतरों के लिये तैयारी:
    • चरम आतंकवादी परिदृश्य अक्सर कम चेतावनी के साथ सामने आते हैं, जिसके लिये एक अच्छी तरह से परिभाषित तैयारी रणनीति की आवश्यकता होती है।
    • एक संकट प्रबंधन ढाँचा यह सुनिश्चित करता है कि अधिकारी अप्रत्याशित सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये सुसज्जित हैं।
      • आतंकवाद का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिये संघीय और राज्य दोनों स्तरों पर विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय महत्त्वपूर्ण है।
    • यह ढाँचा संकट के दौरान सहयोग और संचार के लिये स्पष्ट प्रोटोकॉल स्थापित करेगा।
  • प्रभाव का शमन:
    • तीव्र और अच्छी तरह से समन्वित प्रतिक्रियाएँ आतंकवादी घटनाओं के प्रभाव को काफी हद तक कम करने के साथ ही  हताहतों की संख्या और क्षति में कमी ला सकती है।
    • एक संरचित संकट प्रबंधन ढाँचा शमन रणनीतियों को लेकर मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा:
    • आतंकवादी प्रायः राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालते हुए महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को निशाना बनाते हैं।
      • रूपरेखा में संकट के दौरान महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की रक्षा के उपायों को शामिल किया जाना चाहिये, अंततः चरम आतंकवादी परिदृश्यों का व्यापक रूप से शमन करके राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाया जाना चाहिये।
      • यह देश के सुरक्षा ढाँचे का एक महत्त्वपूर्ण घटक होगा, जो उभरते खतरों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता  सुनिश्चित करेगा।
  • आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को बढ़ावा:
    • यह रूपरेखा आतंकवाद विरोधी प्रयासों में शामिल कर्मियों के लिये निरंतर प्रशिक्षण और कौशल विकास को प्रोत्साहित करती है।
      • कौशल और क्षमताओं में निरंतर निवेश यह सुनिश्चित करता है कि प्रतिक्रियादाता अपनी कला में सबसे अग्रणी रहें।
    • ढाँचे उन्नत प्रौद्योगिकी और उच्च कुशल कर्मियों के बीच तालमेल सुनिश्चित करता हो। हालाँकि यह व्यक्तियों तथा हथियारों का संयोजन है जो तकनीकी प्रगति के बावजूद अंततः निर्णायक अंतर उत्पन्न करता है।
  • सीमा सुरक्षा चुनौतियाँ:
    • दक्षिणी एशिया में अपने बड़े भूभाग एवं रणनीतिक स्थिति के कारण भारत को गंभीर सुरक्षा जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
      • अपने विशाल विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) तथा 7,683 किमी. लंबी तटरेखा के कारण भारत में उच्च समुद्री सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
      • भारत चीन तथा पाकिस्तान के साथ चुनौतीपूर्ण सीमाओं सहित सात अन्य देशों के साथ 15,000 किमी. से अधिक क्षेत्रफल की भूमि सीमा साझा करता है, इसलिये इसकी सुरक्षा हेतु प्रभावी सीमा प्रबंधन की मांग सर्वोपरि है।
      • प्रतिकूल/चुनौतीपूर्ण भूभाग तथा कमज़ोर सीमाएँ सुरक्षा प्रबंधन को और अधिक कठिन बना देते हैं। जिससे सीमा पार आतंकवाद, आतंकवादी घुसपैठ तथा गैर-राजकीय कर्ताओं (Non-State Actors) के उदय की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
    • उपर्युक्त चुनौतियाँ एक व्यापक राष्ट्रीय संकट प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता को उजागर करती हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG):

  • परिचय:
    • NSG संघीय आकस्मिक तैनाती बल है जो अपहरण विरोधी ऑपरेशनों, बचाव संबंधी ऑपरेशनों तथा देश के विभिन्न हिस्सों में किसी भी रूप में घटित आतंकवादी गतिविधियों से लड़ने के लिये  केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों को सहयोग करता है।
    • NSG को विशेष परिस्थितियों से निपटने के लिये विशेष रूप से सुसज्जित और प्रशिक्षित किया जाता है। अतः इसका उपयोग विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। 
    • NSG औपचारिक रूप से वर्ष 1986 में संसद के एक अधिनियम- 'राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड अधिनियम, 1986' द्वारा अस्तित्व में आया।
  • विज़न:  
    • एक विश्व स्तरीय अति सक्षम बल का गठन।
  • मिशन:
    • "सर्वत्र सर्वोत्तम सुरक्षा' के अपने आदर्श वाक्य के अनुरूप आतंकवाद का त्वरित व प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में सक्षम एक विशेष बल को प्रशिक्षित करना, आवश्यक संसाधनों से संपन्न करना और हमेशा तैयार रखना।
  • कार्यप्रणाली:
    • यह गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और एक कार्य-उन्मुख बल है जिसके दो पूरक तत्त्व हैं:
      • NSG का प्रमुख आक्रामक अथवा स्ट्राइक विंग, जिसे विशेष कार्रवाई समूह (SAG) कहा जाता है, में सेना के जवान शामिल होते हैं।
      • विशेष रेंजर समूह (SRG), इसमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों/राज्य पुलिस बलों से चुने गए कर्मी शामिल हैं। वे आमतौर पर VIPs की सुरक्षा का कार्यभार संभालते हैं।
      • NSG के प्रमुख को महानिदेशक के रूप में नामित किया जाता है, इसका चयन और नियुक्ति गृह मंत्री द्वारा की जाती है।
  • किये गए ऑपरेशन्स:
    • ऑपरेशन ब्लैक थंडर (स्वर्ण मंदिर, अमृतसर, वर्ष 1986 और 1988)।
    • ऑपरेशन अश्वमेध (इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट- IC427 हाईजैक मामला, भारत, वर्ष 1993)।
    • ऑपरेशन थंडरबोल्ट या वज्र शक्ति (अक्षरधाम मंदिर हमला, गुजरात, वर्ष 2002)।
    • ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो (मुंबई ब्लास्ट, वर्ष 2008)।
    • ऑपरेशन धांगू सुरक्षा, पठानकोट, वर्ष 2016
  • NSG मुख्यालय: मानेसर, गुरुग्राम।