नियर फील्ड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी | 05 Apr 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में Google pay ने पाइन लैब्स (Pine Labs) के सहयोग से भारत में एक नई सुविधा 'यूपीआई हेतु भुगतान करने के लिये टैप करें’ (Tap to pay for UPI) शुरू की है। इसमें नियर फील्ड कम्युनिकेशन (NFC) तकनीक का उपयोग किया जाता है।
- यह एनएफसी-सक्षम एंड्रॉइड स्मार्टफोन (NFC-enabled Android Smartphones) और Google pay से जुड़े UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) खातों वाले उपयोगकर्त्ताओं को देश भर में किसी भी पाइन लैब्स एंड्रॉइड पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) टर्मिनल पर अपने फोन को टैप कर लेन-देन करने की अनुमति देगी।
- क्यूआर कोड को स्कैन करने या यूपीआई-लिंक्ड मोबाइल नंबर दर्ज करने, जो कि अब तक का पारंपरिक तरीका रहा है, की तुलना में यह प्रक्रिया काफी तीव्रता के साथ कार्य करती है।
- Apple द्वारा iPhone पर ‘Tap to Pay’ को फरवरी 2022 में शुरू किया गया था।
NFC क्या है और यह कैसे कार्य करता है?
- NFC एक छोटी दूरी की वायरलेस कनेक्टिविटी तकनीक है जो एनएफसी-सक्षम उपकरणों (NFC-enabled devices) को एक-दूसरे के साथ संवाद करने तथा स्पर्श के माध्यम से जल्दी और आसानी से जानकारी स्थानांतरित करने की अनुमति देती है- चाहे बिलों का भुगतान करना हो, बिज़नेस कार्ड का आदान-प्रदान करना हो, कूपन डाउनलोड करना हो या कोई दस्तावेज़ साझा करना हो।
- NFC दो उपकरणों के बीच संचार को सक्षम करने के लिये विद्युत चुंबकीय रेडियो क्षेत्रों के माध्यम से डेटा प्रसारित करता है। इसके लिये दोनों उपकरणों में एनएफसी चिप्स होना आवश्यक है क्योंकि लेन-देन एक निकटतम दूरी पर होता है।
- डेटा ट्रांसफर के लिये एनएफसी-सक्षम डिवाइस का एक-दूसरे के साथ स्पर्श कराना या एक-दूसरे को कुछ सेंटीमीटर की दूरी पर रखना ज़रूरी होता है।
- वर्ष 2004 में उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों- नोकिया, फिलिप्स और सोनी ने मिलकर एनएफसी फोरम का गठन किया, जिसने शक्तिशाली नए उपभोक्ता-संचालित उत्पादों को बनाने के लिये एनएफसी प्रौद्योगिकी हेतु रूपरेखा तैयार की।
- नोकिया ने 2007 में पहला एनएफसी-सक्षम फोन (NFC-enabled phone) जारी किया था।
NFC प्रौद्योगिकी के अन्य अनुप्रयोग:
- इसका उपयोग संपर्क रहित बैंकिंग कार्ड्स (Contactless Banking Cards) में पैसे का लेन-देन करने या सार्वजनिक परिवहन हेतु कॉन्टैक्ट-लेस टिकट जेनरेट करने के लिये किया जाता है।
- संपर्क रहित कार्ड और रीडर्स नेटवर्क तथा इमारतों को सुरक्षित करने से लेकर इन्वेंट्री एवं बिक्री की निगरानी, ऑटो चोरी की घटना को रोकने तथा मानव रहित टोल बूथ चलाने तक कई अनुप्रयोगों में NFC का उपयोग किया जाता है।
- स्पीकर, घरेलू उपकरणों तथा कई अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इसका प्रयोग होता है जिन्हें स्मार्टफोन के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।
- एनएफसी-सक्षम रिस्टबैंड के माध्यम से रोगी के आँकड़ों की निगरानी हेतु स्वास्थ्य सेवा में भी इसका प्रयोग किया जाता है, साथ ही वायरलेस चार्जिंग में भी NFC का इस्तेमाल किया जाता है।
कितनी सुरक्षित है यह तकनीक?
- NFC तकनीक को एक-दूसरे से कुछ सेंटीमीटर के भीतर उपकरणों के बीच संचालन के लिये डिज़ाइन किया गया है। इससे हमलावरों के लिये अन्य वायरलेस तकनीकों की तुलना में उपकरणों के बीच संचार रिकॉर्ड करना मुश्किल हो जाता है, जिनमें कई मीटर की कार्य दूरी होती है।
- एनएफसी-सक्षम डिवाइस का उपयोगकर्त्ता टच जेस्चर द्वारा यह निर्धारित करता है कि एनएफसी संचार किस इकाई के साथ होना चाहिये, जिससे हमलावर के लिये कनेक्ट होना अधिक कठिन हो जाता है।
- अन्य वायरलेस संचार प्रोटोकॉल की तुलना में एनएफसी संचार का सुरक्षा स्तर डिफॉल्ट रूप से अधिक है।
- NFC मानवीय त्रुटि की संभावना को कम करता है क्योकि प्राप्त करने वाला उपकरण डेटा को तुरंत भेजता है।
अन्य वायरलेस तकनीकों से तुलना:
इरडा (इन्फ्रारेड) तकनीक डेटा के आदान-प्रदान के लिये इन्फ्रारेड लाइट पर आधारित एक छोटी दूरी (कुछ मीटर) का कनेक्शन है जहांँ दो संचार उपकरणों को दृष्टि की सीधी रेखा के भीतर स्थित होना चाहिये। वर्तमान में इस तकनीक का उपयोग मुख्य रूप से रिमोट कंट्रोल उपकरणों हेतु किया जाता है।
- कंप्यूटर उपकरणों के साथ बड़े डेटा संचार हेतु इस तकनीक को ब्लूटूथ या वाईफाई कनेक्शन से प्रतिस्थापित कर दिया गया था।
- हालाँकि इन तकनीकों के लिये रिसीवर डिवाइसेस (Receiver Devices) को लंबी कार्य दूरी के कारण अपनी स्वयं की विद्युत आपूर्ति की आवश्यकता होती है।
- अत: रिसीविंग डिवाइस को NFC की तरह रेडियोफ्रीक्वेंसी (Radiofrequency- RF) क्षेत्र द्वारा संचालित नहीं किया जा सकता है।
- लंबी कार्य दूरी का एक अन्य परिणाम यह है कि उपयोगकर्त्ता द्वारा अपने डिवाइस को समरूप या कन्फिग्यर (Configure) बनाने तथा संचार हेतु उन्हें एक साथ जोड़ने की आवश्यकता होती है। NFC की तरह एक सामान्य संपर्क द्वारा कनेक्शन को शुरू नहीं किया जा सकता है।
नोट:
ब्लूटूथ: 1990 के दशक के अंत में विकसित, यह एक ऐसी तकनीक है जिसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बीच कम दूरी के वायरलेस संचार को सक्षम करने हेतु डिज़ाइन किया गया है जैसे- लैपटॉप और स्मार्टफोन के बीच या कंप्यूटर और टेलीविज़न के बीच संचार।
- ब्लूटूथ पारंपरिक रिमोट कंट्रोल द्वारा उपयोग किये जाने वाले इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम के बजाय रेडियो फ्रीक्वेंसी के उपयोग पर कार्य करता है। नतीजतन ब्लूटूथ न केवल वायर कनेक्शन की आवश्यकता को समाप्त करता है, बल्कि उपकरणों के बीच संचार हेतु स्पष्ट दूरी बनाए रखने की आवश्यकता को भी समाप्त करता है।
वाई-फाई (वायरलेस फिडेलिटी): यह ब्लूटूथ के समान है जिसमें यह वायर कनेक्शन की आवश्यकता के बिना कम दूरी पर हाई-स्पीड डेटा ट्रांसफर के लिये रेडियो तरंगों का भी उपयोग करता है।
- वाई-फाई सिग्नल को टुकड़ों में तोड़कर और उन टुकड़ों को कई रेडियो फ्रीक्वेंसी पर ट्रांसमिट करके काम करता है। यह तकनीक सिग्नल को प्रति आवृत्ति कम शक्ति पर प्रसारित करने में सक्षम बनाती है और कई उपकरणों को एक ही वाई-फाई ट्रांसमीटर का उपयोग करने की अनुमति देती है।
- प्रारंभ में 1990 के दशक में विकसित, वाई-फाई डेटा ट्रांसफर द्वारा अधिक बैंडविड्थ के प्रयोग हेतु इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स (आईईईई) द्वारा अनुमोदित कई मानकीकरण प्रक्रियाओं को पूरा किया गया है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न: हाल ही में सुर्खियों में रहे 'Li-Fi' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c)
प्रश्न: ब्लूटूथ और वाई-फाई डिवाइस में क्या अंतर है? (2011) (a) ब्लूटूथ 2.4 गीगाहर्ट्ज़ रेडियो फ़्रीक्वेंसी बैंड का उपयोग करता है, जबकि वाई-फाई 2.4 गीगाहर्ट्ज़ या 5 गीगाहर्ट्ज़ फ्रीक्वेंसी बैंड का उपयोग कर सकता है। उत्तर: (a) प्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त में से कौन 2.4 और 2.5 GHz रेंज के रेडियो फ्रीक्वेंसी बैंड के बीच कार्य कर सकता है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d)
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