भारत में बढ़ते आपराधिक मामले | 22 Oct 2019
प्रीलिम्स के लिये:
NCRB
मेन्स के लिये:
भारत में बढ़ते आपराधिक मामले
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Record Bureau-NCRB) ने देश भर में अपराध की घटनाओं को लेकर डेटा प्रकाशित किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस डेटा में भीड़ द्वारा हत्या (मॅाब लीचिंग), प्रभावशाली लोगों द्वारा हत्या, खाप पंचायत द्वारा आदेशित हत्या और धार्मिक कारणों से की गई हत्याओं के डेटा को प्रकाशित नहीं किया गया है।
- NCRB की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016 की तुलना में देश में अपराधों की घटनाओं में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- इसमें देशद्रोह, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और दूसरों के बीच सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने जैसे अपराध शामिल हैं।
- सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने जैसे अपराध हरियाणा (2,576) के बाद यूपी (2,055) में बड़े पैमाने पर हुए हैं।
- राजद्रोह के मामले हरियाणा (13) के बाद असम (19) में सबसे अधिक सामने आए हैं । जम्मू और कश्मीर में देशद्रोह का सिर्फ एक मामला दर्ज किया गया, जबकि छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व के सभी राज्यों में असम को छोड़कर, ऐसी कोई घटना नही हुई है।
- एंटी-नेशनल एलिमेंट्स की विभिन्न श्रेणियों द्वारा किये गए अपराधों में अधिकतम अपराध लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिस्ट ऑपरेटिव्स द्वारा किये गए, इसके बाद नॉर्थ-ईस्ट विद्रोहियों और आतंकवादियों (जिहादी और अन्य तत्त्व) द्वारा किये गए हैं।
- महिलाओं के मामलों में IPC के तहत दर्ज किए गए अपराधों में से अधिकांश मामले (33.2%) महिलाओं के साथ उनके पति या रिश्तेदारों द्वारा की गई क्रूरता के खिलाफ थे।
- महिलाओं की ईमेज को नुकसान पहुँचने के इरादे से हमले के संबंध में 27.3 %,
- अपहरण और उन्हे बहला-फुसलाकर भगाने में 21.0 % और बलात्कार के 10.3% मामले दर्ज हुए हैं।
- महिलाओं से संबंधित सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए उसके बाद महाराष्ट्र तथा पश्चिम बंगाल हैं।
- वर्ष 2017 के दौरान क्राइम अगेंस्ट चिल्ड्रन (Crime Against Children) के तहत दर्ज अपराधों में अपहरण (42.0%) के मामले प्रमुख थे।
- वहीं यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत बलात्कार सहित 25.3% मामले थे।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो
- NCRB की स्थापना केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1986 में इस उद्देश्य से की गई थी कि भारतीय पुलिस में कानून व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये पुलिस तंत्र को सूचना प्रौद्योगिकी समाधान और आपराधिक गुप्त सूचनाएँ प्रदान करके समर्थ बनाया जा सके।
- NCRB नीति संबंधी मामलों और अनुसंधान हेतु अपराध, दुर्घटना, आत्महत्या और जेल संबंधी डेटा के प्रामाणिक स्रोत के लिये नोडल एजेंसी है।
- NCRB ‘भारत में अपराध’, ‘दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों और आत्महत्या’, ‘जेल सांख्यिकी’ तथा फ़िंगर प्रिंट पर 4 वार्षिक प्रकाशन जारी करता है।
- बाल यौन शोषण से संबंधित मामलों की अंडर-रिपोर्टिंग के चलते वर्ष 2017 से NCRB ने बाल यौन शोषण के आँकड़ों को भी एकत्रित करना प्रारंभ किया है।
- NCRBको वर्ष 2016 में इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा ‘डिजिटल इंडिया अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया था।
- भारत में पुलिस बलों का कंप्यूटरीकरण वर्ष 1971 में प्रारंभ हुआ। NCRB ने CCIS (Crime and Criminals Information System) को वर्ष 1995 में, CIPA (Common Integrated Police Application) को वर्ष 2004 में और अंतिम रूप में CCTNS को वर्ष 2009 में प्रारंभ किया।