सामाजिक न्याय
महिलाओं और अनुसूचित जातियों के विरुद्ध अपराधों में वृद्धि-NCRB रिपोर्ट
- 30 Sep 2020
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प्रिलिम्स के लियेराष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो मेन्स के लियेमहिलाओं से संबंधित अपराध के मामले, अनुसूचित जाति से संबंधित अपराध के मामले |
चर्चा में क्यों?
‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Record Bureau-NCRB) की वार्षिक रूप से प्रकाशित ‘भारत में अपराध-2019’ (Crime in India-2019) रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी समयावधि में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराधों में भी 7.3 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
महिलाओं से संबंधित अपराध के मामले
- वर्ष 2019 के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,05,861 मामले दर्ज किये गए। यह संख्या वर्ष 2018 में दर्ज मामलों की संख्या (3,78,236) से 7.3% अधिक थी। प्रति लाख जनसंख्या पर महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सर्वाधिक दर असम में दर्ज की गई।
- भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC) के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के दर्ज मामलों में सर्वाधिक मामले 'पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता' (Cruelty by husband or his relatives) से संबंधित थे। महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल मामलों में इनकी संख्या 30.9% थी।
- इसके पश्चात् ‘महिला की शीलता का अपमान करने के उद्देश्य से हमला’ (21.8%), अपहरण (17.9%) और बलात्कार (7.9%) से संबंधित महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों को दर्ज किया गया।
- NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में प्रति लाख महिलाओं की जनसंख्या पर अपराध के मामलों की दर 62.4 है। इसकी तुलना में वर्ष 2018 में प्रति लाख महिलाओं की जनसंख्या पर अपराध की दर 58.8 थी।
- देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों (59,853) की सर्वाधिक संख्या उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई। उत्तर प्रदेश में अपराधों की संख्या देश में महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों के कुल मामलों का 14.7% है। उत्तर प्रदेश के पश्चात् राजस्थान (41,550 मामले; 10.2%) और महाराष्ट्र (37,144 मामले; 9.2%) का स्थान था।
- असम में प्रति लाख जनसंख्या पर महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 177.8 दर्ज की गई। इस मामले में असम के पश्चात् राजस्थान (110.4) और हरियाणा (108.5) का स्थान आता है।
- राजस्थान में सर्वाधिक बलात्कार के मामले (5,997) दर्ज किये गए हैं। राजस्थान के पश्चात् उत्तर प्रदेश (3,065) और मध्य प्रदेश (2,485) में बलात्कार के मामलों की संख्या सबसे अधिक थी।
- प्रति लाख जनसंख्या पर महिलाओं के बलात्कार से संबंधित मामलों की दर राजस्थान में सर्वाधिक (15.9) थी। इसके पश्चात् केरल (11.1) और हरियाणा (10.9) सर्वाधिक दर वाले राज्य थे।
- पॉक्सो अधिनियम (Protection of Children from Sexual Offences Act-POCSO) के तहत बालिकाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की सर्वाधिक संख्या उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई। राज्य में पॉक्सो अधिनियम के तहत बालिकाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की संख्या 7,444 थी। इसके बाद महाराष्ट्र (6,402) और मध्य प्रदेश (6,053) का स्थान था।
- प्रति लाख महिलाओं की जनसंख्या पर पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज अपराधों की उच्चतम दर सिक्किम (27.1), मध्य प्रदेश (15.1), और हरियाणा (14.6) में दर्ज की गई।
- उत्तर प्रदेश में प्रति लाख महिलाओं की जनसंख्या पर दहेज़ के मामलों की दर सर्वाधिक (2.2) थी। उत्तर प्रदेश में दहेज़ के कुल 2,410 मामले दर्ज किये गए। उत्तर प्रदेश के पश्चात् बिहार (1,120) का स्थान था। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में 150 ‘एसिड हमले’ (Acid Attacks) के मामले दर्ज किये गए, जिनमें से 42 उत्तर प्रदेश में और 36 पश्चिम बंगाल में हुए।
अनुसूचित जाति से संबंधित अपराध के मामले
- रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 के दौरान अनुसूचित जाति (Schedule Cast-SC) के खिलाफ अपराध के रूप में कुल 45,935 मामले दर्ज किये गए।
- अनुसूचित जाति की प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध की दर वर्ष 2018 की 21.2 से बढ़कर वर्ष 2019 में 22.8 हो गई है। वर्ष 2019 में अनुसूचित जाति के खिलाफ हुए अपराध के कुल मामलों में से 28.9% मामले (13,273) साधारण चोटों से संबंधित थे।
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत कुल 9.0% (4,129) मामले दर्ज किये गए। इनके अलावा अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध के 7.6% मामले (3,486) बलात्कार से संबंधित थे।
- उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक मामले (11,829) दर्ज किये गए हैं। यह देश में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध के कुल दर्ज मामलों का 25.8% है। इसके पश्चात् राजस्थान (6,794 मामले; 14.8%) और बिहार (6,544; 14.2%) का स्थान आता है। हालाँकि प्रति लाख जनसंख्या पर ऐसे मामलों की सबसे अधिक दर वाले तीन राज्य राजस्थान (55.6), मध्य प्रदेश (46.7) और बिहार (39.5) थे।
- राजस्थान में दलित महिलाओं के बलात्कार से संबंधित सर्वाधिक मामले (554) दर्ज किये गए। राजस्थान के पश्चात् उत्तर प्रदेश (537) और मध्यप्रदेश (510) का स्थान था। प्रति लाख अनुसूचित जाति की जनसंख्या पर दलित महिलाओं के बलात्कार के मामलों की दर में केरल सबसे आगे था। केरल में यह दर 4.6 थी। केरल के पश्चात् मध्य प्रदेश (4.5) और राजस्थान (4.5) में यह दर सर्वाधिक थी।
आगे की राह
- महिलाओं और अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराधों से संबंधित वर्तमान कानूनों, जैसे-दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम, 1961; बाल विवाह निरोधक अधिनियम, 1929; महिलाओं का असुरक्षित प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986; महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा (रोकथाम) अधिनियम, 2005; आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 67; IPC की धारा-354 (शीलता का अपमान करने के इरादे से महिलाओं पर हमला); IPC की धारा-376 (बलात्कार) se; अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 आदि को सख्ती से लागू किया जाना चाहिये।
- सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से जागरूकता वृद्धि, मामलों की जाँच से संबंधित सामुदायिक निगरानी प्रणाली का विकास, कानूनी साक्षरता और कानूनी जागरूकता शिविर आयोजित करना आदि प्रयास किये जाने चाहिये।