अंतर्राष्ट्रीय संबंध
पनाम पेपर लीक मामले में नवाज़ शरीफ का इस्तीफा और भारत की चिंताएं
- 28 Jul 2017
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संदर्भ
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ और उनके परिजनों पर पनामा पेपर लीक मामले के तहत काला धन छुपाने, भ्रष्टाचार और मनी लांड्रिंग के आरोप थे। अब इन मामलों में उनको और परिजनों को दोषी पाया गया है। इससे पहले 21 जुलाई को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एजाज़ अफज़ल की अध्यक्षता में पाँच न्यायाधीशों की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
प्रमुख बिंदु
- विदित हो कि पनामा पेपर लीक में नवाज शरीफ और उनके परिवार का नाम सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर संयुक्त जाँच दल (Joint Investigation Team-JIT) गठित किया गया था।
- सर्वसम्मत फैसला सुनाते हुए जस्टिस एजाज अफजल खान ने कहा कि नवाज़ शरीफ अब पाकिस्तानी संसद के ईमानदार और समर्पित सदस्य होने के योग्य नहीं हैं।
- पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 62 और 63 के आधार पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने उन्हें प्रधानमंत्री का पद छोड़ने का आदेश दिया।
- सुप्रीम कोर्ट ने आशा जताई कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन संविधान के अनुरूप कदम उठाएंगे।
- यह निर्णय आने के तत्काल बाद पाकिस्तान चुनाव आयोग ने नवाज़ शरीफ की योग्यता को खारिज़ करने का आदेश दिया।
- 2016 में यह मामला उजागर होने के बाद नवाज़ शरीफ पर लगातार इस्तीफा देने का दबाव पड़ रहा था और वह इससे इन्कार करते आ रहे थे|
- सुप्रीम कोर्ट ने अन्य लोगों के खिलाफ दायर मामलों की जाँच का काम एनएबी (National Accountability Bureau-NAB) को सौंपा है।
- स्वायत्त और संवैधानिक एनएबी पाकिस्तान की सबसे बड़ी भ्रष्टाचार निरोधी संस्था है, जिसका काम भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की सुनवाई करना है।
- सुप्रीम कोर्ट ने जेआईटी द्वारा इस केस से जुड़ी जमा की गई चीज़ों को 6 हफ्तों के भीतर एनएबी को सौंपने का आदेश दिया है।
- नवाज़ शरीफ के खिलाफ दायर मामलों में आगे की जाँच भी एनएबी को सौंपी गई है।
- कोर्ट ने एनएबी को सुनवाई शुरू होने के 30 दिनों के भीतर फैसला सुनाने का निर्देश दिया है।
क्या है पनामा पेपर्स मामला?
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भारत पर पड़ने वाला संभावित प्रभाव
विदेश मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि नवाज़ शरीफ के प्रधानमंत्री पद से हटने का असर भारत पर पड़ेगा और सुरक्षा संबंधी मामलों में इसे ज़्यादा महसूस किया जा सकता है। यदि पाकिस्तान में सत्ता सेना के हाथ चली गई तो दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण चल रहे संबंध और बिगड़ सकते हैं, क्योंकि पाकिस्तान की सेना पर चरमपंथी ताकतों को शह देने और उन्हें भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने का आरोप लगते रहे हैं।