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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

IAC-1 विक्रांत : भारत का प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत

  • 20 Jan 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में निर्माणाधीन स्वदेशी विमानवाहक (Indigenous Aircraft Carrier-IAC-1) विक्रांत को अक्तूबर 2020 तक भारतीय नौसेना में आधिकारिक रूप से शामिल कर लिया जाएगा। इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर नौसेना की झांकी भी IAC-1 विक्रांत पर केंद्रित होगी।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2003 में सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Security-CCS) द्वारा IAC-1 प्रोजेक्ट को मंज़ूरी दी गई थी।
  • 2009 में इसका निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया था।
  • प्रारंभ में इसके लिये 3,200 करोड़ रुपए मंज़ूर किये गए थे जिसे बाद में 19,341 करोड़ रुपए तक बढ़ा दिया गया।
  • नियंत्रक और महालेखापरीक्षक ने 2016 में अपनी एक रिपोर्ट में इस स्वदेशी पोत के 2023 तक नौसेना में शामिल होने की बात कही थी किंतु नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार अब सभी मुद्दों का समाधान हो चुका है और पोत 2020 तक नौसेना में शामिल हो जाएगा।

प्रोजेक्ट में देरी का कारण 

  • IAC -1 विक्रांत प्रोजेक्ट में रूस से एविएशन कॉम्प्लेक्स से संबंधित उपकरणों की खरीद में रूकावट के कारण देरी हुई है। इसके अतिरिक्त लाइसेंस संबंधित मुद्दों को भी हल करने में समय लगा।
  • अब संभावना है कि दिसंबर 2018 तक इस विमानवाहक पोत को नौसेना को सौंप दिया जाएगा, जिसके बाद इसके बंदरगाह, समुद्री और एविएशन से संबंधित परीक्षण किये जाएंगे।

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट का नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत (INS VIKRANT) के नाम पर रखा गया है , जिसे ब्रिटेन से खरीदा गया था।
  • 1997 में आईएनएस विक्रांत को नौसेना ने अपने बेड़े से बाहर कर दिया था।
  • यह 20 लड़ाकू विमानों और 10 अन्य विमानों का वहन कर सकता है। वर्तमान में नौसेना में शामिल मिग-29 लड़ाकू विमानों को भी विक्रांत पर तैनात किया जाएगा।
  • शुरुआत में स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस (LCA-Tejas) को भी इस पर तैनात करने की योजना थी लेकिन कुछ तकनीकी बाधाओं के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका।
  • वर्तमान में भारत के पास रूस से ख़रीदा हुआ 44,500 टन क्षमता वाला आईएनएस विक्रमादित्य प्रचालन में है।
  • आईएनएस विक्रमादित्य की तरह विक्रांत भी विमान को लॉन्च और रिकवर करने के लिये STOBAR (Short Take-Off But Arrested Recovery) मेकेनिज़्म का प्रयोग करेगा।
  • भारतीय नौसेना द्वारा अब और अधिक उन्नत IAC-II को विकसित करने की योजना पर काम किया जा रहा है।
  • आईएनएस विक्रांत के नौसेना में शामिल होते ही भारत 40,000 टन से अधिक वज़न वाले विमानवाहक पोत की डिज़ाइन और निर्माण में सक्षम देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा। इस क्लब में अभी अमेरिका, ब्रिटेन, रूस तथा फ्राँस शामिल हैं।

आईएनएस विक्रमादित्य 

  • मार्च 2017 में आईएनएस विराट के सेवानिवृत्त होने के बाद आईएनएस विक्रमादित्य देश का सबसे बड़ा और एकमात्र विमानवाहक पोत है।
  • यह 1987 में बनाया गया था और सोवियत नौसेना में यह बाकू के नाम से सेवारत था। बाद में इसे रूसी नौसेना के तहत ‘एडमिरल गोर्शकोव’ का नाम दिया गया।
  • एडमिरल गोर्शकोव की ख़रीद के लिये भारत ने अक्तूबर 2000 में रूस के साथ बातचीत शुरू की थी। भारतीय नौसेना ने 2004 में पोत खरीदा था। 16 नवंबर, 2013 को इसे भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया था।
  • हाल ही में आइएनएस विक्रमादित्य को औपचारिक रूप से भारतीय सेना की अत्यधिक सम्मानित और युद्ध कौशल से युक्त बिहार रेजीमेंट तथा जगुआर युद्धक विमानों से लैस समुद्री इलाके में युद्ध में निपुण भारतीय वायु सेना की छठवीं स्क्वॉड्रन के साथ सम्बद्ध कर दिया गया है। 
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