नौसेना की सुरक्षा अभी तक एक स्वप्न | 24 Jul 2017
संदर्भ
भारतीय नौसेना की सुरक्षा को लेकर शुक्रवार को संसद में पेश नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की एक ऑडिट में कहा गया है कि नौसेना दुर्घटनाओं की जाँच की कई सिफारिशें लागू अभी तक नहीं हुई हैं। नौसेना की सुरक्षा आज भी एक दूर का स्वप्न है।
प्रमुख बिंदु
- सीएजी की ऑडिट में कहा गया है कि पनडुब्बियों और जहाज़ों से जुड़ी कई दुर्घटनाओं एवं सेवा अधिकारियों और नाविकों की मौत के बावजूद भी केंद्र सरकार द्वारा नौसेना की दुर्घटनाओं के निपटारे के लिये एक समर्पित संगठन के गठन को औपचारिक मंज़ूरी देना बाकी है।
- भारतीय नौसेना के पास इसकी स्थापना से अब तक सुरक्षा मुद्दों से निपटने के लिये कोई संस्थागत रूपरेखा नहीं है। सुरक्षा मुद्दों से निपटने के लिये 2014 में भारतीय नौसेना द्वारा एक समर्पित संगठन की स्थापना की गई थी, परन्तु यह अभी भी सरकार से मंज़ूरी का इंतज़ार कर रही है।
वर्ष 2007-08 से 2015-16 के बीच हुए हादसे
- भारतीय नौसेना सुरक्षा संगठन बनाने का विचार 2006 में तय किया गया था और अंततः अक्टूबर 2012 में उसे प्रख्यापित किया गया था। इसे फरवरी 2014 में स्थापित किया गया था, हालाँकि अभी तक इसे सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है।
- भारतीय नौसेना में वर्ष 2007-08 से 2015-16 तक हुए कुल 38 हादसों में 33 सेवा अधिकारियों और नाविकों की मृत्यु हुई है।
- इन हादसों या दुर्घटनाओं में नौसेना ने दो जहाज़ों (आईएनएस विंध्यगिरि और टीआरवी ए-72) और एक पनडुब्बी (आईएनएस सिंधुरक्षक) को खोया है।
- भारतीय नौसेना में सबसे अधिक 14 हादसे वर्ष 2013-14 में हुए थे।
- इसके आलावा 2007-08 में छ:, 2014-15 में पाँच और 2008-09 एवं 2009-10 में चार-चार हादसे हुए थे।
- ऑडिट में बताया गया है कि अब तक कुल 38 दुर्घटनाओं में से 15 (39%) आग या विस्फोट या बाढ़ के कारण, 6 (16%) हादसे जहाज़ों के सतह पर सपर्श के कारण, अन्य 6 (16%) हादसे जहाज़ों की टक्कर के कारण और शेष 11 (29%) हादसे विविध कारणों से हुए थे।