तपेदिक रोगियों के परीक्षण के लिये एक राष्ट्रीय कार्यक्रम | 02 Sep 2017
चर्चा में क्यों ?
स्वास्थ्य प्राधिकारी इस महीने से प्रथम पंक्ति के ड्रग प्रतिरोधी लक्षणों का पता लगाने के लिये प्रत्येक टीबी मरीज की जाँच हेतु एक राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे। ऐसा करने से ऐसे अनेक रोगियों का पता चल सकेगा जिनमें यह बीमारी छिपी हुई है और साथ ही टीबी और एचआईवी के संक्रमण वाले कई लोगों की संख्या भी ज्ञात हो सकती है।
प्रमुख बिंदु
- दुनिया में टीबी के सबसे अधिक मरीज भारत में रहते हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीबी की संभावना वाले लाखों भारतीय ऐसे हैं, जो अभी भी सरकार की जाँच से बाहर हैं।
- वर्ष 2015 में 90 लाख भारतीयों में टीबी की संदिग्धता का परीक्षण किया गया था, जिनमें से नौ लाख लोगों में इसकी पुष्टि भी हुई थी।
- इनमें से 3% नए मामले तथा मौजूदा 18% ड्रग प्रतिरोधी हो चुके हैं। स्वतंत्र विश्लेषण के मुताबिक इन आँकड़ों की संख्या और भी अधिक हो सकती है।
जेनेक्सपर्ट (GeneXpert)
- यह अमेरिका द्वारा विकसित एक प्रौद्योगिकी उपकरण है, जो 2010 से दुनिया भर में आणविक नैदानिक परीक्षण में उपयोग किया जाता है।
- यह 90 मिनट के भीतर टीबी जीवाणु का पता लगाने के साथ ही रिफैम्पिसिन (Rifampicin) नामक एक मानक टीबी ड्रग के प्रतिरोध का भी पता लगा सकता है।
- इस जाँच को पूरा करने में परंपरागत परीक्षण कम-से-कम एक या उससे अधिक दिन लेते हैं और इसके लिये अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर्मियों की आवश्यकता होती है।
आगे की राह
- जेनेक्सपर्ट किट महंगा होता है तथा इसके लिये वातानुकूलित व्यवस्था और बिजली की आवश्यकता होती है।
- इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ट्रूनैट एमटीबी (Truenat MTB) नामक जेनेक्सपर्ट का एक सस्ता विकल्प विकसित करने की प्रक्रिया में है, जो कथित तौर पर अधिक पोर्टेबल, बैटरी-चालित और कम कीमत पर प्रदर्शन कर सकने में सक्षम होगा।