बंदरगाहों, जलमार्ग और तटों हेतु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र | 27 Feb 2018
चर्चा में क्यों?
शिपिंग मंत्रालय द्वारा आईआईटी चेन्नई में बंदरगाहों, जलमार्ग और तटों के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र (National Technology Centre for Ports, Waterways and Coasts - NTCPWC) की आधारशिला रखी गई।
प्रमुख बिंदु
- एनटीसीपीडब्ल्यूसी की स्थापना शिपिंग मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम सागरमाला के तहत की गई।
- यह बंदरगाहों, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण और अन्य संस्थानों के लिये इंजीनियरिंग व तकनीकी जानकारी तथा सहायता प्रदान करने हेतु शिपिंग मंत्रालय की एक तकनीकी शाखा के रूप में कार्य करेगा।
इसकी उपयोगिता क्या है?
- यह सागर, तटीय और एस्ट्रिन फ्लो (coastal and estuarine flows), तलछट परिवहन एवं मोर्फोडायनामिक्स (sediment transport and morphodynamics), नेविगेशन और क्रियान्वयन (navigation and maneuvering), ड्रेजिंग तथा गाद (dredging and siltation), बंदरगाह और तटीय इंजीनियरिंग संरचनाओं (port and coastal engineering-structures) एवं ब्रेकवाटर (breakwaters), स्वायत्त प्लेटफॉर्मों और वाहनों के प्रायोगिक (autonomous platforms and vehicles), 2डी व 3डी मॉडलिंग के क्षेत्रों में व्यावहारिक अनुसंधान को जारी रखेगा।
- साथ ही यह प्रवाह की सीएफडी मॉडलिंग (CFD modeling of flow), पतवार संबंधी कामों और महासागर नवीकरणीय ऊर्जा के हाइड्रोडायनामिक्स को लेकर पारस्परिक संवाद का काम करेगा।
- यह केंद्र स्वदेशी सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी सेवा प्रदान करेगा।
- इसके अलावा, यह तकनीकी दिशा-निर्देशों, मानदंडों और पोर्ट संबंधी समस्याओं व समुद्री मसलों को मॉडल तथा सिमुलेशन के साथ रेखांकित करेगा।
- यह केंद्र न केवल नई तकनीक और नवाचारों को आगे बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि अपने सफल व्यावसायीकरण के लिये भी काम करेगा।
- यह शिपिंग मंत्रालय में काम कर रहे लोगों के लिये तकनीकी रूप से प्रशिक्षण प्राप्त करने के अवसर भी मुहैया कराएगा।
परियोजना का क्रियान्वयन कैसे होगा?
- एनटीसीपीडब्ल्यूसी को स्थापित करने में 70.53 करोड़ रुपए की लागत आएगी जिसे शिपिंग मंत्रालय, आईडब्ल्यूएआई और बड़े बंदरगाहों द्वारा साझा किया जाएगा।
- शिपिंग मंत्रालय एफआरएफ (Field Research Facility - FRF), अवसादन और क्षरण प्रबंधन टेस्ट बेसिन (Sedimentation and Erosion Management Test Basin), शिप/टॉ सिम्युलेटर (Ship/Tow Simulator) जैसी सुविधाएँ मुहैया कराने में पूंजीगत व्यय के लिये अनुदान उपलब्ध कराएगा।
‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा
- भारतीय, वैश्विक बंदरगाह और समुद्री क्षेत्र के लिये उद्योग परामर्शदात्री परियोजनाओं के माध्यम से यह केंद्र तीन वर्षों में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
- एनटीसीपीडब्ल्यूसी की स्थापना से भारत में बंदरगाह और समुद्री क्षेत्र के लिये प्रासंगिक स्वदेशी तकनीक के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- यह सरकार की "मेक इन इंडिया" कार्यक्रम के लिये एक बड़ी कामयाबी होगी और इससे सागरमाला कार्यक्रम को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
- विश्व स्तर के अत्याधुनिक केंद्र के रूप में तैयार किया गया, एनटीसीपीडब्ल्यूसी नवीनतम प्रौद्योगिकी उपकरणों का केंद्र होगा और यह विदेशी संस्थानों पर हमारी निर्भरता को कम करेगा।
- इससे अनुसंधान की लागत बहुत कम हो जाएगी। साथ ही, इससे पोर्ट और समुद्री क्षेत्र में काम करने के लिये लागत कम और समय की बचत होगी।
सागरमाला परियोजना क्या है?
- सागरमाला कार्यक्रम की शुरुआत 25 मार्च, 2015 को की गई थी। इसे भारत में बंदरगाह आधारित आर्थिक विकास के व्यापक उद्देश्यों के साथ शुरू किया गया है।
- भारत के 7,500 किलोमीटर लंबे तटवर्ती क्षेत्रों, 14,500 किलोमीटर संभावित जलमार्ग और प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार मार्गों के रणनीतिक स्थानों के दोहन के उद्देश्य से सरकार ने महत्त्वाकांक्षी सागरमाला कार्यक्रम तैयार किया है।
- सागरमाला कार्यक्रम में एनपीपी के तहत तटीय और समुद्री क्षेत्र के विकास के लिये वृहत् योजना तैयार की गई है।
- एनपीपी ने बंदरगाहों के आधुनिकीकरण एवं नए बंदरगाहों के विकास, बंदरगाहों के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने, बंदरगाह आधारित औद्योगीकरण एवं तटीय समुदाय विकास के क्षेत्र में 150 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की है।
उद्देश्य
- सागरमाला परियोजना का मुख्य उद्देश्य बंदरगाहों के आसपास प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष विकास को प्रोत्साहन देना तथा बंदरगाहों तक माल के तेज़, दक्षतापूर्ण और किफायती ढंग से आवागमन के लिये आधारभूत संरचना उपलब्ध कराना है।
- सागरमाला परियोजना का उद्देश्य इंटर-मॉडल समाधानों के साथ विकास के नए क्षेत्रों तक पहुँच विकसित करना, श्रेष्ठतम मॉडल को प्रोत्साहन देना, मुख्य मंडियों तक संपर्क सुधार तथा रेल, अंतर्देशीय जलमार्गों, तटीय एवं सड़क सेवाओं में सुधार करना है।
अन्य प्रमुख बिंदु
- सागरमाला परियोजना में विकास के तीन स्तंभों पर ध्यान दिया जाएगा-
► समेकित विकास के लिये समुचित नीति एवं संस्थागत हस्तक्षेप तथा एजेंसियों और मंत्रालयों एवं विभागों के बीच परस्पर सहयोग मज़बूत करने हेतु संस्थागत ढाँचा उपलब्ध कराने के साथ-साथ बंदरगाह आधारित विकास को समर्थन देना और उसे सक्षम बनाना।
► आधुनिकीकरण सहित बंदरगाहों के बुनियादी ढाँचे का विस्तार और नए बंदरगाहों की स्थापना।
► बंदरगाहों से भीतरी प्रदेश के लिये और वहाँ से बंदरगाहों तक माल लाने के काम में दक्षता लाना।
- सागरमाला एक समग्र और एकीकृत कार्यक्रम है, इससे देश में परिवहन संचालन के तरीके में बदलाव आएगा।
- सागरमाला के अंतर्गत परिवहन संचालन की लागत कम करने की काफी संभावना है और बंदरगाह के नज़दीक विनिर्माण क्षेत्र स्थापित कर लागत को कम करने में तटीय आर्थिक सहायक सिद्ध हो सकता है।
- इससे भारतीय व्यापार वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धी बनेगा।
- सागरमाला कार्यक्रम की परिकल्पना केंद्र ने की है, लेकिन इसकी सफलता के लिये राज्यों की सक्रिय भागीदारी अति आवश्यक है।