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भारतीय अर्थव्यवस्था

वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति: 2019-2024

  • 11 Jan 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति: 2019-2024

मेन्स के लिये:

वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति: 2019-2024 को प्रारंभ करने का कारण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2019-2024 की अवधि के लिये ‘वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति’ (National Strategy for Financial Inclusion) तैयार करने की प्रक्रिया प्रारंभ की है।

मुख्य बिंदु:

  • वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति को ‘वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद’ (Financial Stability and Development Council-FSDC)) द्वारा अनुमोदित किया गया है।

क्या है वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति?

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  • वर्तमान में पूरे विश्व में तेज़ी से वित्तीय समावेशन को आर्थिक विकास के चालक और गरीबी उन्मूलन के रूप में पहचाना जा रहा है।
  • वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिये सात सतत् विकास लक्ष्यों में इसकी चर्चा की गई है।
  • भारत में भी समन्वयपूर्ण और समयबद्ध तरीके से उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये RBI ने वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति तैयार करने की प्रक्रिया प्रारंभ की है।
  • वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति से औपचारिक वित्त तक पहुँच बढ़ने से रोज़गार के सृजन को बढ़ावा मिलेगा तथा आर्थिक मोर्चे पर हानि की संभावना कम होगी और मानव पूंजी में निवेश बढ़ सकेगा।

वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति का उद्देश्य:

  • इस कार्यनीति के उद्देश्यों में से एक प्रमुख उद्देश्य मार्च 2020 तक हर गाँव के 5 किमी. के दायरे में तथा पहाड़ी क्षेत्रों के 500 परिवारों के समूह तक बैंकिंग पहुँच को बढ़ाना है।
  • RBI के अनुसार, इसका एक उद्देश्य यह भी है कि प्रत्येक वयस्क की मार्च 2024 तक मोबाइल के माध्यम से वित्तीय सेवाओं तक पहुँच हो।
  • हर वयस्क व्यक्ति तक वित्तीय सेवाओं की पहुँच प्रदान करने के उद्देश्य से एक लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि प्रत्येक इच्छुक और पात्र वयस्क, जिसे प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत नामांकित किया गया है, को मार्च 2020 तक बीमा योजना और पेंशन योजना के तहत नामांकित किया जाना चाहिये।
  • मार्च 2022 तक पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री (Public Credit Registry- PCR) को पूरी तरह से प्रारंभ करने की योजना भी है ताकि नागरिकों के साख प्रस्तावों का मूल्यांकन करने के मामले में भी अधिकृत वित्तीय संस्थाएँ इसी प्रकार का लाभ प्राप्त कर सके।

वित्तीय समावेशन:

  • वित्तीय समावेशन' के तहत यह सुनिश्‍चित किया जाता है कि अंतिम छोर पर खड़े व्‍यक्‍ति को भी आर्थिक विकास के लाभों से संबद्ध किया जा सके ताकि कोई भी व्यक्ति आर्थिक सुधारों से वंचित न रहे।
  • इसके तहत देश के प्रत्येक नागरिक को अर्थव्‍यवस्‍था की मुख्‍यधारा में शामिल करने का प्रयास किया जाता है ताकि गरीब व्यक्ति को बचत करने के साथ-साथ विभिन्‍न वित्तीय उत्‍पादों में सुरक्षित निवेश करने के लिये प्रोत्‍साहित किया जा सके।

वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति से जहाँ एक ओर समाज में कमज़ोर तबके के लोगों को अपनी ज़रूरतों तथा भविष्‍य की आवश्यकताओं के लिये धन की बचत करने, विभिन्‍न वित्तीय उत्‍पादों जैसे- बैंकिंग सेवाओं, बीमा और पेंशन आदि के उपयोग से देश के आर्थिक क्रियाकलापों से लाभ प्राप्‍त करने के लिये प्रोत्‍साहन मिलेगा। वहीं दूसरी ओर, इससे देश को 'पूंजी निर्माण' की दर में वृद्धि करने में भी सहायता प्राप्‍त होगी। इसके फलस्‍वरूप होने वाले धन के प्रवाह से देश की अर्थव्‍यवस्‍था को गति मिलने के साथ-साथ आर्थिक क्रियाकलापों को भी बढ़ावा मिलेगा।

स्रोत- द हिंदू

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