भारतीय अर्थव्यवस्था
राष्ट्रीय लघु बचत कोष
- 02 Mar 2019
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चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार अपने वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिये राष्ट्रीय लघु बचत निधि (National Small Savings Fund-NSSF) से बजट में उल्लिखित धनराशि से अधिक उधार ले सकती है।
प्रमुख बिंदु
- ध्यान देने वाली बात है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान राष्ट्रीय लघु बचत निधि (NSSF) पर सरकार की निर्भरता बढ़ी है।
♦ हालाँकि वित्तीय वर्ष-2020 हेतु 21% का लक्ष्य वित्तीय वर्ष-2019 के 22.4% से थोड़ा कम है किंतु यह वित्तीय वर्ष-2015 की तुलना में 3% अधिक है।
- ऐसे राज्य जो पहले इस कोष के प्रमुख कर्ज़दार थे, अब 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये बाज़ार के कर्ज़ (राज्य विकास ऋण) पर अधिक भरोसा कर रहे हैं।
♦ अप्रैल 2016 के बाद सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों (अरुणाचल प्रदेश, केरल, दिल्ली (UT) और मध्य प्रदेश को छोड़कर) द्वारा राष्ट्रीय लघु बचत से कर्ज़ न लेने की वज़ह से केंद्र और सार्वजनिक उपक्रमों हेतु उपलब्ध कर्ज़ का हिस्सा बढ़ा है।
- हालाँकि ध्यान देने वाली बात यह भी है कि बाज़ार से लिये जाने वाले कर्ज़ की लागत NSSF के कर्ज़ की तुलना में ज़्यादा होती है।
राष्ट्रीय लघु बचत कोष (NSSF)
- भारत में राष्ट्रीय लघु बचत कोष (NSSF) की स्थापना 1999 में की गई थी।
- राष्ट्रीय लघु बचत कोष (निगरानी और निवेश) नियम, 2001 के तहत वित्त मंत्रालय (आर्थिक मामलों का विभाग) इस कोष को प्रशासित करता है।
- राष्ट्रीय लघु बचत कोष का उद्देश्य भारत के संचित निधि से छोटी बचत लेन-देन को हटाना और पारदर्शी तथा आत्मनिर्भर तरीके से उनका संचालन सुनिश्चित करना है।
- राष्ट्रीय लघु बचत कोष सार्वजनिक खाते के रूप में संचालित होता है, इसलिये इसका लेन-देन सीधे केंद्र के वित्तीय घाटे को प्रभावित नहीं करता है।
- लघु बचत को तीन प्रमुख भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
♦ डाकघर जमा
♦ बचत पत्र
♦ सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ।
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस