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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर

  • 03 Jan 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

31 दिसंबर 2017 को बहु-प्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens - NRC) का पहला ड्राफ्ट प्रकाशित किया गया. इसके अंतर्गत कानूनी तौर पर भारत के नागरिक के रूप में पहचान प्राप्त करने हेतु असम में तकरीबन 3.29 करोड आवेदन प्रस्तुत किये गए थे, जिनमें से कुल 1.9 करोड़ लोगों के नाम को ही इसमें शामिल किया गया है।

  • असम में अवैध आप्रवासियों (illegal immigrants) की पहचान करने के लिये सुप्रीम न्यायालय के निर्देश के बाद एन.आर.सी. को संकलित किया जा रहा है।

पृष्ठभूमि

  • 20 वीं शताब्दी की शुरुआत से ही असम बांग्लादेश से आने वाले प्रवासियों के संकट से ग्रस्त हैं, 
  • यह भारत का पहला ऐसा राज्य है जिसके पास एन.आर.सी. है, जिसे पहली बार वर्ष 1951 में तैयार किया गया था।
  • इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी का कार्य सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जा रहा है ।
  • नागरिकता हेतु प्रस्तुत लगभग दो करोड़ से अधिक दावों (इनमें लगभग 38 लाख लोग ऐसे भी थे जिनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावज़ो पर संदेह था) की जाँच पूरी होने के बाद न्यायालय द्वारा एन.आर.सी. के पहले मसौदे को 31 दिसंबर तक प्रकाशित करने का आदेश दिया गया था।

मुद्दा क्या है?

  • असम में एन.आर.सी. को आखिरी बार 1951 में अपडेट किया गया था। उस समय असम में कुल 80 लाख नागरिकों के नाम इस रजिस्टर के तहत दर्ज़ किये गए थे। 
  • तब से असम में अवैध आप्रवासियों की पहचान की प्रक्रिया पर न केवल निरंतर बहस जारी है बल्कि यह राज्य की राजनीति में एक विवादास्पद मुद्दा भी बन गया है।
  • 1979 में ए.ए.एस.यू. (All Assam Students’ Union - AASU) द्वारा अवैध आप्रवासियों की पहचान और निर्वासन (identification and deportation of illegal immigrants) की मांग करते हुए एक 6 वर्षीय आन्दोलन का संचालन किया गया था। 
  • यह आन्दोलन 15 अगस्त, 1985 को असम समझौते पर हस्ताक्षर के बाद शांत हुआ था।

एन.आर.सी. क्या है?

  • राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens - NRC) में भारतीय नागरिकों के नाम शामिल होते हैं. 
  • एन.आर.सी. को वर्ष 1951 की जनगणना के बाद 1951 में तैयार किया गया था।
  • इसे जनगणना के दौरान वर्णित सभी व्यक्तियों के विवरणों के आधार पर तैयार किया गया था।
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