राष्ट्रीय शारीरिक साक्षरता मिशन | 10 May 2022
प्रिलिम्स के लिये:संविधान का अनुच्छेद 21, जनहित याचिका। मेन्स के लिये:राष्ट्रीय शारीरिक साक्षरता मिशन, खेल, युवा। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्यों से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत खेलों को स्पष्ट रूप से मौलिक अधिकार बनाने की सिफारिश करने वाली एक रिपोर्ट का जवाब देने को कहा है।
- इसके अलावा न्यायालय के न्याय मित्र (Court’s Amicus Curiae) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि "संकीर्ण" शब्दावली 'खेल' को 'शारीरिक साक्षरता' से बदल दिया जाए, यह ऐसा शब्द है जो "विश्व के अग्रणी खेल राष्ट्रों में दृढ़ता से एक अधिकार के रूप में स्थापित है।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का आधार:
- खेल को मौलिक अधिकार बनाने एवं खेल शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु इसे राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में शामिल करने के लिये संविधान में संशोधन करने हेतु जनहित याचिका (PIL) दायर की गई थी।
- इसमें मांग की गई थी कि केंद्र और राज्यों के बीच सहकारी कार्य को सुविधाजनक बनाने के लिए खेलों को समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया जाना चाहिये (वर्तमान में खेल एक राज्य का विषय है)।
रिपोर्ट में दिये गए सुझाव:
- रिस्पांसिबिलिटी मैट्रिक्स: केंद्र सरकार द्वारा 'राष्ट्रीय 'शारीरिक साक्षरता मिशन' शुरू किया जाना चाहिये।
- मिशन को ज़िम्मेदारियों के मैट्रिक्स को लागू करना चाहिये जिसमें पाठ्यक्रम डिज़ाइन, अनुपालन निगरानी और समीक्षा, शिकायत निवारण व आत्म-सुधार तंत्र शामिल हों। जो बच्चों को स्कूल स्तर पर विभिन्न खेलों में प्रशिक्षित करने हेतु आवश्यक हैं।
- खेल के लिये समर्पित समय: सीबीएसई, आईसीएसई, राज्य बोर्ड, आईजीसीएसई सहित सभी स्कूल बोर्डों को यह सुनिश्चित करने के लिये निर्देशित किया जाना चाहिये कि 2022-2023 से शुरू होने वाले शैक्षणिक वर्ष से प्रत्येक स्कूल दिवस में कम-से-कम 90 मिनट खेलने के लिये समर्पित हों।
- मुफ्त में खेल सुविधाएँ: राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि वर्तमान शैक्षणिक वर्ष से सभी शिक्षण संस्थान अपने गैर-कार्य वाले घंटों में पड़ोस के बच्चों को अपने खेल के मैदानों और खेल सुविधाओं का मुफ्त में उपयोग करने की अनुमति दें।
- 'भौतिक साक्षरता नीति' का मसौदा: शैक्षणिक संस्थानों को 'भौतिक साक्षरता नीति' का मसौदा तैयार करने के लिये 80 दिनों का समय दिया जाना चाहिये।
- इस नीति में 'कोई भी बच्चा पीछे न छूटे' दृष्टिकोण के लिये संस्थान की प्रतिबद्धता शामिल होगी।
- यह सुनिश्चित करना चाहिये कि संस्थान की शारीरिक साक्षरता गतिविधियों को इस तरह से डिज़ाइन और वितरित किया जाए जो छात्रों के लिये समावेशी हो।
- आंतरिक समिति: विशिष्ट मामलों को संबोधित करने के लिये एक आंतरिक समिति बनाने की आवश्यकता है, जो छात्रों को शारीरिक साक्षरता का अधिकार देने के उत्तरदायित्त्व की विफलता संबंधी मामलों की जाँच करे।
- डैशबोर्ड: देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में उपलब्ध खेल मैदानों और खुले स्थानों की मैपिंग व उनके उपयोग की दर, शारीरिक शिक्षा शिक्षकों की उपलब्धता तथा योग्यता, पाठ्यक्रम, समय सारिणी एवं उपकरणों पर रियल टाइम डेटा के साथ एक डैशबोर्ड बनाने की आवश्यकता है।
शारीरिक शिक्षा, शारीरिक गतिविधि और खेल का अंतर्राष्ट्रीय चार्टर:
- शारीरिक शिक्षा, शारीरिक गतिविधि और खेल का अंतर्राष्ट्रीय घोषणा-पत्र एक अधिकार आधारित दस्तावेज़ है जो खेल संबंधी नीति और निर्णयन कार्य, मार्गदर्शन और समर्थन करता है।
- यह बिना किसी भेदभाव के सभी के लिये खेल तक समावेशी पहुँच को बढ़ावा देता है। यह खेल कार्यक्रमों और नीतियों को बनाने, लागू करने तथा मूल्यांकन करने वाले सभी कार्यकर्त्ताओं के लिये नैतिक व गुणवत्ता मानकों को निर्धारित करता है।
- इसे यूनेस्को के आम सम्मेलन (1978) के 20वें सत्र में इसे अपनाया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और खेल:
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में खेलों को गौरवपूर्ण स्थान प्रदान किया गया है।
- खेल, जिसे पहले पाठ्येतर गतिविधि माना जाता था, अब पाठ्यक्रम का हिस्सा माना जा रहा है और खेल में ग्रेडिंग को बच्चों की शिक्षा में भी शामिल किया जाएगा।
- उच्च शिक्षण संस्थान और खेल विश्वविद्यालय भी स्थापित किये जा रहे हैं। खेल विज्ञान एवं खेल प्रबंधन को स्कूल स्तर तक ले जाने की आवश्यकता है क्योंकि इससे युवाओं के करियर की संभावनाओं में सुधार होगा तथा खेल अर्थव्यवस्था में भारत की उपस्थिति बढ़ेगी।
खेल को बढ़ावा देने के लिये योजनाएँ:
- खेलो इंडिया योजना
- राष्ट्रीय खेल संघों को सहायता
- अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में विजेताओं और उनके प्रशिक्षकों को विशेष पुरस्कार
- राष्ट्रीय खेल पुरस्कार, मेधावी खिलाड़ियों को पेंशन
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय खेल कल्याण कोष
- राष्ट्रीय खेल विकास कोष
- भारतीय खेल प्राधिकरण के माध्यम से खेल प्रशिक्षण केंद्रों का संचालन।