राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति 2022 | 20 Sep 2022
प्रिलिम्स के लिये:मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क, भारतमाला परियोजना, त्रिपक्षीय समझौता। मेन्स के लिये:राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (National Logistics Policy-NLP) 2022 शुरू की है, जिसका उद्देश्य 'अंतिम छोर तक त्वरित वितरण' करना है, साथ ही परिवहन से संबंधित चुनौतियों को समाप्त करना है।
लॉजिस्टिक्स:
- लॉजिस्टिक्स में संसाधनों, लोगों, कच्चे माल, सूची, उपकरण आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर अर्थात् उत्पादन बिंदुओं से उपभोग, वितरण या अन्य उत्पादन बिंदुओं तक ले जाने के साथ नियोजन, समन्वय, भंडारण प्रक्रिया शामिल है।
- लॉजिस्टिक्स शब्द संसाधनों के अधिग्रहण, भंडारण और वितरण को उनके इच्छित स्थान पर नियंत्रित करने की संपूर्ण प्रक्रिया का वर्णन करता है।
- इसमें संभावित वितरकों और आपूर्तिकर्त्ताओं का पता लगाना तथा ऐसी पार्टियों की व्यवहार्यता एवं पहुँच का मूल्यांकन करना शामिल है।
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) 2022
- परिचय:
- नीति प्रमुख क्षेत्रों जैसे प्रोसेस री-इंजीनियरिंग, डिजिटाइज़ेशन और मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्ट पर केंद्रित है।
- यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है क्योंकि उच्च लॉजिस्टिक्स लागत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में घरेलू सामानों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को प्रभावित करती है।
- एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति की आवश्यकता महसूस की गई है क्योंकि भारत में अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में लॉजिस्टिक्स लागत अधिक है।
- लक्ष्य:
- इस नीति की मदद से लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने का प्रयास किया जायेगा। इस नीति का उद्देश्य लागतों में कटौती करना है, जो वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 14-15 प्रतिशत है। जिसमें वर्ष 2030 तक लगभग 8 प्रतिशत तक की कमी लाना है.
- अमेरिका, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और कुछ यूरोपीय देशों में लॉजिस्टिक्स लागत GDP अनुपात से कम है।
- वर्तमान लागत सकल घरेलू उत्पाद का 16% है।
- दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI) में शीर्ष 10 में शामिल होना है। उसे दक्षिण कोरिया की विकास गति की बराबरी करनी होगी।
- भारत वर्ष 2018 में LPI में 44वें स्थान पर था।
- कुशल लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करने के लिये डेटा-संचालित निर्णय समर्थन प्रणाली (Decision Support Systems-DSS) बनाना।
- नीति का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि लॉजिस्टिक मुद्दों को कम-से-कम किया जाए, निर्यात कई गुना बढ़े और छोटे उद्योगों एवं उनमें काम करने वाले लोगों को अधिक लाभ मिले।
- इस नीति की मदद से लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने का प्रयास किया जायेगा। इस नीति का उद्देश्य लागतों में कटौती करना है, जो वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 14-15 प्रतिशत है। जिसमें वर्ष 2030 तक लगभग 8 प्रतिशत तक की कमी लाना है.
- राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति की विशेषताएँ:
- डिजिटल एकीकरण प्रणाली: यह निर्बाध और तेज़ी से कार्य की गति को बढ़ाएग ताकि लॉजिस्टिक्स सेवाओं को कुशलता के साथ सुनिश्चित किया जा सके।
- यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म: इसका उद्देश्य सभी लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्र की डिजिटल सेवाओं को एक ही पोर्टल पर लाया जाएगा, जिससे निर्माताओं एवं निर्यातकों को लंबी और बोझिल प्रक्रियाओं जैसी वर्तमान समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।
- लॉजिस्टिक्स सेवाओं में आसानी: ई-लॉग्स, नया डिजिटल प्लेटफॉर्म, उद्योग को त्वरित समाधान के लिये सरकारी एजेंसियों के साथ परिचालन संबंधी मुद्दों को उठाने की अनुमति देगा।
- व्यापक लॉजिस्टिक्स कार्ययोजना: व्यापक लॉजिस्टिक्स कार्ययोजना जिसमें इंटीग्रेटेड डिजिटल लॉजिस्टिक्स सिस्टम, भौतिक परिसंपत्तियों का मानकीकरण, बेंचमार्किंग सेवा मानक, मानव संसाधन विकास, क्षमता निर्माण, लॉजिस्टिक्स पार्कों का विकास आदि शामिल है।
इस नीति का महत्त्व क्या है?
- राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति के शुभारंभ के साथ पीएम गति शक्ति को और बढ़ावा एवं पूरकता मिलेगी।
- यह नीति इस क्षेत्र को देश में एक एकीकृत, लागत-कुशल, लचीला तथा सतत् लॉजिस्टिक परितंत्र बनाने में मदद करेगी क्योंकि यह नियमों को सुव्यवस्थित करने व आपूर्ति-पक्ष की बाधाओं को दूर करने के साथ-साथ क्षेत्र के सभी बुनियादों को कवर करती है।
- यह नीति भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार, आर्थिक विकास और रोज़गार के अवसरों को बढ़ाने का एक प्रयास है।
लॉजिस्टिक से संबंधित पहलें:
- माल का बहुविध परिवहन अधिनियम, 1993
- पीएम गति शक्ति योजना
- मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क
- लीड्स (LEADS) रिपोर्ट
- डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर
- सागरमाला प्रोजेक्ट्स
- भारतमाला परियोजना
आगे की राह
- रेल क्षेत्र में कई संरचनात्मक कमियाँ है, अगर लॉजिस्टिक लागत को वैश्विक बेंचमार्क पर आधा करना है, तो इन कमियों को तेज़ी से समाप्त करना होगा। एक मालगाड़ी की औसत गति दशकों से 25 किमी प्रति घंटे पर स्थिर रही है- इसे तत्काल दोगुना करके कम-से-कम 50 किमी प्रति घंटे करना होगा।
- रेलवे को टाइम-टेबल आधारित माल संचालन की आवश्यकता है। इसे उच्च-मूल्य के कम लोड वाले व्यवसाय पर नियंत्रण पाने के लिये माल ढुलाई के स्रोत पर एग्रीगेटर और गंतव्य पर डिसएग्रीगेटर बनना होगा।
- दशकों से देश ने पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी अंतर्देशीय जलमार्ग माल ढुलाई की बात की है, लेकिन इस क्षेत्र में कुछ भी प्रगति नहीं हुई है।
- चीन के नदी बंदरगाहों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं जो खासकर पोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ज़ोर देता है।
- रोड लॉजिस्टिक्स पूरी तरह से खंडित क्षेत्र है, जहाँ ट्रक मालिकों के एक बड़े हिस्से के पास बहुत छोटा बेड़ा (फ्लीट) है।
- सरकार द्वारा समर्थित एग्रीगेशन एप्स के साथ छोटे ऑपरेटरों को एक मंच में लाने हेतु सहायक है। साथ ही इस क्षेत्र में बड़ी कंपनियों एवं अभिकर्त्ताओं को लागत कम करने की ज़रूरत है।
- प्रमुख कार्यात्मक क्षेत्रों में सुधार के अतिरिक्त हमे बंदरगाहों का आकार कई गुना और बढ़ाना होगा, यह अकारण ही नहीं है कि दुनिया के शीर्ष 20 बंदरगाहों में से 10 चीन में हैं।
- यह हवाई लॉजिस्टिक्स को नई ऊँचाई पर ले जाने और उच्च मूल्य एवं खराब होने वाली वस्तुओं के परिवहन में भारी सुधार करने का समय है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. गति-शक्ति योजना के कनेक्टिविटी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सूक्ष्म समन्वय की आवश्यकता है। विचार-विमर्श कीजिये। (2022) |