शासन व्यवस्था
आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (NLEM)
- 14 Sep 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (NLEM), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA), राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA)। मेन्स के लिये:आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (NLEM) का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आवश्यक दवाओं की नई राष्ट्रीय सूची (National List of Essential Medicines-NLEM) जारी की, जहाँ 34 दवाओं को इस सूची में शामिल किया गया है, जबकि पिछली सूची में शामिल 26 दवाओं इस सूची से हटा दिया गया है, इसी के साथ इसमें सूचित कुल दवाओं की संख्या 384 पहुँच गई है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-WHO) के अनुसार, आवश्यक दवाएँ वे हैं जो जनसंख्या की प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।
आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (NLEM):
- परिचय:
- आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (NLEM) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी एक सूची है।
- NLEM में सूचीबद्ध दवाएँ राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority-NPPA) द्वारा निर्धारित मूल्य सीमा से नीचे बेची जाती हैं।
- भारत में इसे WHO द्वारा जारी आवश्यक दवाओं की सूची (EML) की तर्ज पर तैयार किया गया था।
- आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (NLEM) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी एक सूची है।
- पृष्ठभूमि:
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 1996 में भारत की आवश्यक दवाओं की पहली राष्ट्रीय सूची तैयार की और जारी की जिसमें 279 दवाएँ शामिल थीं। इस सूची को बाद में वर्ष 2003, 2011, 2015 तथा 2022 में संशोधित किया गया।
- उद्देश्य:
- जनसंख्या की प्राथमिक रोग स्थितियों के सुरक्षित और प्रभावी उपचार का मार्गदर्शन करना।
- दवाओं के तर्कसंगत उपयोग को बढ़ावा देना।
- किसी देश के उपलब्ध स्वास्थ्य संसाधनों का अनुकूलन करना। यह इसके लिये एक मार्गदर्शक दस्तावेज भी हो सकता है:
- राज्य सरकारों द्वारा आवश्यक दवाओं की सूची तैयार करना।
- सार्वजनिक क्षेत्र में दवाओं की खरीद और आपूर्ति।
NLEM में शामिल होने वाली दवा हेतु मानदंड:
- NLEM में किसी दवा को शामिल करने से पहले कई कारकों को देखा जाता है। जो निम्नलिखित हैं:
- अनिवार्यता (Essentiality): एक दवा बड़े पैमाने पर जनसंख्या को देखते हुए आवश्यक हो सकती है और पहले बताई गई परिभाषा के अनुसार होनी चाहिये।
- परिवर्तनशील बीमारी का भार: समय के साथ देश में बीमारी का भार बदलता रहता है। एक समय पर टीबी से निपटना अधिक महत्त्वपूर्ण हो सकता है। अगले ही पल कोविड-19 जैसी एक और बीमारी अहम हो सकती है। इसलिये सूची तैयार करते समय प्रचलित बीमारी पर विचार किया जाता है।
- प्रभावकारिता और सुरक्षा: सूची में शामिल होने के लिये दवा में प्रभावकारिता और व्यापक स्वीकृति के "स्पष्ट" प्रमाण होने चाहिये।
- लागत-प्रभावशीलता: NLEM में दवा को शामिल करते समय उपचार की कुल कीमत पर विचार किया जाना चाहिये। केवल इकाई मूल्य ही इसके लिये सर्वोत्तम बेंचमार्क नहीं हो सकता है।
- निश्चित खुराक संयोजन (Fixed Dose Combinations- FDCs): एकल खुराक वाली दवाओं को NLEM में शामिल करने पर विचार किया जाता है। FDC को केवल तभी शामिल किया जाता है जब उनके पास चिकित्सीय प्रभाव से संबंधित सिद्ध लाभ का प्रमाण होता है।
- टर्नओवर: केवल उच्च बिक्री टर्नओवर को NLEM में शामिल करने के लिये अच्छा बेंचमार्क नहीं माना जाता है। इसके लिये अन्य कारकों पर भी अनिवार्य रूप से विचार करने की आवश्यकता है।
NLEM से दवा का निष्कासन:
- यदि कोई दवा भारत में प्रतिबंधित हो जाती है तो उसे सूची से हटा दिया जाता है। साथ ही दवा सुरक्षा को लेकर चिंता की रिपोर्ट सामने आने पर इसे हटा दिया जाता है।
- यदि बेहतर प्रभावकारिता या अनुकूल सुरक्षा प्रोफाइल और बेहतर लागत-प्रभावशीलता वाली दवा उपलब्ध है, तो इसे NLEM से हटा दिया जाता है।
आवश्यक चिकित्सा सूची (EML):
- परिचय:
- सूची रोग की व्यापकता, प्रभावकारिता, सुरक्षा और दवाओं की तुलनात्मक लागत-प्रभावशीलता को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
- ऐसी दवाएँ इस तरह उपलब्ध होनी चाहिये कि व्यक्ति या समुदाय उनका मूल्य वहन कर सके।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के EML को आवश्यक दवाओं के चयन और उपयोग पर विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रति दो वर्ष में अपडेट किया जाता है।
- इतिहास:
- वर्ष 1970 में अपनी EML की रचना करने वाला दुनिया का पहला देश तंजानिया था फिर 1975 में, विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) ने WHO से अनुरोध किया कि वह उचित कीमत पर अच्छी गुणवत्ता का आश्वासन देते हुए आवश्यक दवाओं के चयन और खरीद में सदस्य राज्यों की सहायता करे।
- इसके बाद आवश्यक दवाओं की पहली WHO मॉडल सूची वर्ष 1977 में प्रकाशित हुई जिसमें 186 दवाएँ शामिल थीं।
- इसमें कहा गया है कि आवश्यक दवाएँ "आबादी के स्वास्थ्य और ज़रूरतों के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण, बुनियादी, अपरिहार्य और आवश्यक" थीं तथा चयन के मानदंड प्रभावकारिता, सुरक्षा, गुणवत्ता एवं कुल लागत पर आधारित थे।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. ‘निश्चित मात्रा औषध संयोगों’ (FDCs) से आप क्या समझते हैं? उनके गुण-दोषों की विवेचना कीजिये। (मेन्स -2013) |